गणना प्रपत्रों को ऑनलाइन भरना 'डिजिटल इंडिया' पहल का एक प्रमुख पहलू है : सैयद शहजाद अहमद



डुमराँव - बक्सर
इंडिया इनसाइड न्यूज।

बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 अभियान के तहत गणना पपत्रों को ऑनलाइन भरना आरम्भ हो गया है। गुरुवार को गणना फार्म भरने के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू होने के अवसर पर सैयद शहजाद अहमद निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी ब्रह्मपुर-सह-भूमि सुधार उप समाहर्ता डुमरांव ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भारतीय जनगणना में गणना प्रपत्रों को ऑनलाइन भरना "डिजिटल इंडिया" पहल का एक प्रमुख पहलू है, जो डिजिटल समावेशन और दक्षता को बढ़ावा देता है। नागरिक सीधे पोर्टल के माध्यम से अपना डेटा दर्ज कर सकते हैं, साथ ही जनगणना अधिकारियों द्वारा पारंपरिक व्यक्तिगत गणना भी कर सकते हैं।

श्री अहमद ने आगे कहा कि डिजिटल तरीकों की ओर इस बदलाव का उद्देश्य जनगणना प्रक्रिया को आधुनिक बनाना, कागज-आधारित फॉर्म पर निर्भरता कम करना और डेटा संग्रह और प्रबंधन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है। ऑनलाइन गणना प्रपत्र कई लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें बढ़ी हुई दक्षता, कम लागत और बेहतर डेटा सटीकता शामिल है। वे डेटा संग्रह को सुव्यवस्थित करते हैं, जिससे जानकारी एकत्र करना तेज और आसान हो जाता है, और वे मैन्युअल डेटा प्रविष्टि से जुड़ी त्रुटियों को कम करते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन फॉर्म उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाते हैं, अधिक पहुँच प्रदान करते हैं, और आसान डेटा विश्लेषण और प्रबंधन की सुविधा प्रदान करते हैं।

●डिजिटल एन्यूमरेशन एक आधुनिक और कुशल तरीका है। इसके कई फायदे हैं, जैसे:

• गति और दक्षता : ऑनलाइन प्रक्रियाएं तेजी से पूरी हो सकती हैं, जिससे समय और प्रयास की बचत होती है।

• डेटा की सटीकता : डिजिटल डेटा एंट्री से मानवीय त्रुटियों की संभावना कम होती है।

• लागत में कमी : डिजिटल एन्यूमरेशन से कागजी कार्रवाई और भौतिक संसाधनों की आवश्यकता कम होती है, जिससे लागत कम हो जाती है।

• डेटा का बेहतर प्रबंधन : डिजिटल डेटा को संग्रहीत करना, एक्सेस करना और विश्लेषण करना आसान होता है।

• पारदर्शिता : ऑनलाइन प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी होती हैं, जिससे नागरिकों को जानकारी तक पहुंचने में आसानी होती है।

मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 योजनाबद्ध, संरचित और चरणबद्ध तरीके से चल रही है, ताकि सभी पात्र नागरिकों का नाम मतदाता सूची में शामिल किया जा सके। बिहार में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1,54,977 बूथ स्तरीय अभिकर्ताओं (बीएलए) की सक्रिय भागीदारी के कारण यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ संचालित हो रही है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे और अधिक संख्या में बीएलए नियुक्त करें, ताकि मतदाताओं को पंजीकरण में सहायता मिले और यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सहभागी बन सके।

ज्ञात हो कि 25 जून से 3 जुलाई 2025 तक, राज्य के लगभग 7.90 करोड़ मतदाताओं को गणना प्रपत्र (Enumeration Forms - EF) छपवाकर वितरित किए जा रहे हैं। यह प्रपत्र 23 जून 2025 तक के मौजूदा रिकॉर्ड के आधार पर आंशिक रूप से भरे हुए हैं, जिन्हें 77,895 बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 20,603 और बीएलओ की नियुक्ति की जा रही है। ये बीएलओ 24 जून 2025 (SIR आदेश जारी होने की तिथि) तक मतदाता सूची में दर्ज सभी 7.90 करोड़ मतदाताओं को घर-घर जाकर प्रपत्र दे रहे हैं। इसके अलावा, ये प्रपत्र ईसीआई के पोर्टल से डाउनलोड भी किए जा सकते हैं। राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बीएलए प्रतिदिन अधिकतम 50 प्रमाणित प्रपत्र जमा कर सकते हैं। गणना प्रपत्रों को भरकर 25 जुलाई 2025 से पहले जमा करना होगा। इस प्रक्रिया को सुचारू बनाने हेतु बीएलओ के साथ-साथ स्वयंसेवकों की भी तैनाती की गई है। लगभग 4 लाख स्वयंसेवक – जिनमें सरकारी कर्मचारी, एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस आदि शामिल हैं – मतदाताओं की सहायता के लिए उपलब्ध हैं। इनका उद्देश्य वृद्ध, बीमार, दिव्यांग, निर्धन और अन्य वंचित वर्गों की सहायता करना है।

बता दें कि 2003 की मतदाता सूची में जिन मतदाताओं के नाम हैं, उन्हें केवल गणना प्रपत्र और मतदाता सूची का अंश प्रस्तुत करना होगा। उन्हें कोई अन्य दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं है। वहीं जो मतदाता 2003 की सूची में नहीं हैं, उन्हें अपने जन्म तिथि/जन्म स्थान से संबंधित दस्तावेज (निर्दिष्ट 11 दस्तावेजों की सूची में से कोई एक) प्रस्तुत करना होगा। और जिन मतदाताओं के माता-पिता का नाम 01.01.2003 की मतदाता सूची में शामिल था, उन्हें अपने माता-पिता से संबंधित किसी भी अतिरिक्त दस्तावेज को प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

25 जून से 26 जुलाई 2025 तक चलने वाले इस चरण में, भरे हुए गणना प्रपत्र (Enumeration Forms) बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा एकत्र किए जा रहे हैं। मतदाता द्वारा स्वप्रमाणित दस्तावेजों के साथ इन प्रपत्रों को इकट्ठा किया जाएगा और बीएलओ प्रतिदिन बीएलओ एप्प या ईसीआईनेट के माध्यम से डाटा अपलोड करेंगे। प्रपत्र जमा करते समय बीएलओ मतदाताओं को प्राप्ति रसीद (Acknowledgment Receipt) देंगे। इन भौतिक प्रपत्रों को संबंधित निर्वाचक पंजीकरण पदाधिकारी (इआरओ) या सहायक निर्वाचक पंजीकरण पदाधिकारी (एईआरओ) को सौंपा जाएगा। 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसमें केवल उन्हीं मतदाताओं के नाम शामिल होंगे जिनके प्रपत्र अंतिम तिथि (25 जुलाई) तक प्राप्त हो चुके होंगे। जिन मतदाताओं द्वारा गणना प्रपत्र जमा नहीं किया गया है, उनके नाम प्रारूप सूची में नहीं होंगे।

ज्ञात हो कि ईआरओ और एईआरओ द्वारा इन प्रपत्रों की जांच संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार की जाएगी, जिसमें मतदाता का भारतीय नागरिक होना, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का होना, और संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का सामान्य निवासी होना आवश्यक है। इस समयावधि में ईआरओ/एईआरओ सभी आवेदन और आपत्तियाँ संविधान के अनुच्छेद 326 तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 के अनुरूप जांचेंगे। प्रारूप मतदाता सूची में किसी भी नाम को हटाने से पहले उचित जांच की जाएगी और संबंधित व्यक्ति को उचित सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।

बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) स्‍थानीय सरकारी/अर्द्ध सरकारी पदाधिकारी होता है जो स्‍थानीय निर्वाचकों से परिचित होता है और सामान्‍यत: उसी मतदान केन्‍द्र में मतदाता होता है। वह अपने स्‍थानीय ज्ञान का प्रयोग करके मतदाता सूची में सुधार करने में सहायता प्रदान करता है। वास्‍तव में, बीएलओ ज़मीनी स्‍तर पर भारत निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधि होता है जो कि मतदाता सूची पुनरीक्षण और उसके संबंध में वास्‍तविक क्षेत्रीय सूचना एकत्रित करने की प्रक्रिया में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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