राजनेता और महिला पत्रकार



---के• विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

कितने भारतीय पत्रकार (महिला विशेषकर) उचित मानेंगे कि चुनाव अभियान के दौरान पुरुष प्रत्याशी के वाहन में स्त्री संवाददाता अकेले सफर करे? अमरीका के दक्षिणपूर्वी राज्य मिसिसिपी में राज्यपाल पद के निर्वाचन (भारत की भांति उनकी नियुक्ति नही होती) में रिपब्लिकन (डोनल्ड ट्रम्प वाली) पार्टी के उम्मीदवार राबर्ट फोस्टर ने “दैनिक मिसिसिपी टुडे” की संवाददाता लारिसन कैम्पवेल से कहा कि एक पुरुष पत्रकार को साथ लाकर वे उनके वाहन में चल सकती हैं। एकाकी नहीं। इस पर दैनिक के संपादक ने दो विरोध व्यक्त किये। पहला यह कि राजनेता महिलाओं को भोग्या मात्र मानता है। दूसरा उनके समाचार पत्र पर दो संवाददाताओं का अनावश्यक बोझ डाल रहा है। महिला रिपोर्टर खुद सक्षम और अनुभवी है। मगर प्रत्याशी फोस्टर अपनी बात पर अडिग रहे। समूचे अमरीका में बवाल उठा, खासकर मीडिया जगत में, कि रिपब्लिकन पार्टी का प्रत्याशी बड़ी शुचिता का दंभ भर रहा है। तुलनात्मक रूप से डोनल्ड ट्रम्प के कई महिलाओं से नाजायज रिश्ते अब ज्यादा जग जाहिर हो गये हैं।

राबर्ट फोस्टर अभी पैंतीस वर्ष के हैं, हसीन हैं। उन्हें आशंका है कि अकेली महिला के साथ चलने के मतलब उनके निजी चरित्र और कुटुंब पर लांछन लगाने के अवसर देना। मीडिया तुरंत उनपर विवाहेतर रिश्तों का आरोप मढ़ देगी। अपनी युवा पत्नी श्रीमती रुथ (मायने ‘करुणा’) से वे वादा कर चुके थे कि वे सदा ऐसी स्थिति से बचेंगे जिससे उनके वैवाहिक और कौटुम्बिक जीवन पर आंच आये। रिपब्लिकन पार्टी के इस युवा प्रत्याशी ने “बिली ग्राहम सिद्धांत” वाले प्रकरण का हवाला भी दिया। एक पादरी था, बिली ग्राहम, जो 1949 में एक धार्मिक प्रवचन हेतु किसी नगर में गया। लौटकर अपने होटल के कमरे में प्रवेश करने पर उसने पाया कि एक नंगी युवती, उनके बिस्तर पर पड़ी, संभोग हेतु उन्हें आमंत्रित कर रही थी। ऐसी कई हरकतों द्वारा अमरीका में पादरियों को भ्रष्ट किया जाता रहा है। तभी भागकर पादरी ग्राहम ने खुद को बचाया। फिर अपनी पत्नी श्रीमती केरेन के साथ उन्होंने शपथ ली कि वे कभी भी अकेले नहीं जायेंगे ताकि पत्नीव्रत धर्म पर टिके रहें। यूँ विश्व के कई राष्ट्रों में राजनेताओं के चरित्र पर अवैध नारी–सम्बन्ध थोप कर उन्हें बदनाम और बरबाद किया जा चुका है। बिल क्लिंटन तो महाभियोग का सामना करने वाले थे। राष्ट्रपति भवन में आधी उम्र की मोनिका लेवेंस्की से शारीरिक संबंध वे बना ही चुके थे। राष्ट्रपति ट्रम्प पर गत मास ही फिर नया तोहमत एक महिला ने लगाया। ट्रम्प अपनी कामप्रियता को गुप्त नहीं रखते हैं। और उसे न नकारते हैं।

भारत के तो राजनेता और राजनेत्री के कई रूमानी किस्से मिल जायेंगे। आदरणीय स्व• पंडित नारायण दत्त तिवारी सिरमौर रहे हैं। मगर ऐसे भी लोग रहे जिन्होंने विवाहेतर संबंध खुलेआम रखा, बाद में उस स्त्री से विधिवत विवाह कर वैध अर्धांगिनी का दर्जा उसे दिया। एनटी रामा राव और मुलायम सिंह यादव का उदहारण है।

मुख्य मंत्री रहे वीर बहादुर सिंह का उदाहरण अनूठा है। एक बार वे राजकीय वायुयान से दिल्ली जा रहे थे। एक महिला संवाददाता ने अनुरोध किया कि उन्हें भी कार्यवश दिल्ली जाना है। मुख्य मंत्री पसोपेश में थे क्योंकि वे नारी के मसले पर बड़ा कठोर रुख रखते थे। तत्काल वीर बहादुर सिंह ने उस महिला पत्रकार से कहा : “हाँ, जरूर चलो पर अपने पति और दोनों बच्चों को साथ ले लो।”

नारी के दबाव में राजकार्य इकतरफा संपन्न करने की चर्चा जवाहरलाल नेहरू के सन्दर्भ में होती रही। मौलाना आजाद ने तो लिख भी डाला कि लेडी माउन्टबेटन से मुग्ध होकर प्रधान मंत्री ने कई अहितकारी फैसले लिए थे। मगर एक राजनेता था जिसने इन विश्वासघाती मित्रों की तुलना में नेहरू का पूरा साथ दिया। वे थे नेहरू के घोरतम आलोचक डॉ• राममनोहर लोहिया। हालाँकि लोहिया रहे आजीवन अविवाहित, पर काफी नारी-प्रेमी थे। इस सोशलिस्ट नेता ने तब कहा : “यदि वर्षों से विधुर रहे नेहरू को लेडी माउन्टबेटन के आगोश में तनिक सुकून मिलता है, तो बुरा क्या है ?”

एक दफा चिर कुमार अटल बिहारी वाजपेयी से एक महिला पत्रकार ने पूछा था, “आपने अब तक शादी क्यों नहीं की?” अटल जी का उत्तर था : “आपका यह प्रश्न है अथवा प्रस्ताव?”

अत्यंत दिलचस्प मामला था लन्दन में ब्रिटिश रक्षा मंत्री जान प्रोफ्यूमो का। वे 19-वर्षीया वारांगना क्रिश्चियन कीलर के शयन कक्ष से आधी रात बाहर आते थे। तभी सोवियत दूतावास का रक्षा सचिव कीलर के संग बाकी रात बिताता था। कंजर्वेटिव पार्टी के प्रधान मंत्री हेरल्ड मैकमिलन पर आरोप लगा कि उनका मंत्री सोवियत सरकार को ब्रिटेन की गुप्त सैनिक सूचनाएँ देता है। “सुपर मैक” की सरकार गिर गई। तभी कीलर ने अदालती गवाही में बताया था कि तरणताल में पानी के अंदर में उसकी रान पकड़ने और नितम्ब दबाने वालों में मार्शल मोहम्मद अयूब खान भी थे। वे तब इस्लामी पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे।

मगर लखनऊ के दो विधायकों का किस्सा तो दिलचस्प है। एक थे अलीगढ़ से विधायक नेकराम शर्मा जो दारुलशफा (विधायक निवास) के अपने फ़्लैट में एक महिला शिक्षिका के साथ पाए गये थे। विपक्ष के नेता राज नारायण जी ने विधान सभा में इस मसले को उठा दिया था। दूसरे विधायक थे मियां लायक अली जो हिन्दू युवती को लेकर भागते पकड़े गये थे। तब से उत्तर प्रदेश में लोगों ने अपने पुत्रों का नाम नेक और लायक रखना बंद ही कर दिया था।

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