अमित शाह ने शंघाई सहयोग संगठन - शहरी भूकंप खोज व बचाव, संयुक्त अभ्यास 2019 का उद्घाटन किया



नई दिल्ली,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शंघाई सहयोग संगठन - शहरी भूकंप खोज व बचाव, संयुक्त अभ्यास 2019 के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए कहा कि आज का यह आयोजन एक वर्ष से अधिक की बातचीत और एससीओ देशों के बीच के सहयोग का परिणाम है। उनका कहना था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कर्गिस्तान की राजधानी बिस्वेक में आयोजित एससीओ के 19वें सम्मेलन में साझा क्षेत्र में संपर्क को और बेहतर करने की जरूरत पर बल दिया था और आपसी सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में संयुक्त अभ्यास के मंत्र को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के सभी नागरिकों की ओर से शंघाई सहयोग संगठन के सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि अगस्त 2017 में उत्तर भारत में शामिल होने के बाद देश के वर्तमान रक्षा मंत्री ने सरकारी विभागों के प्रमुखों की बैठक में भाग लिया तथा इस बैठक में प्रस्ताव किया था कि भारत सर्च और बचाव विषय पर एक संयुक्त अभ्यास आयोजित कर सकता है। श्री शाह ने कहा कि हमारे प्रस्ताव का सभी राष्ट्रों ने दिल से स्वागत किया और मुझे खुशी हो रही है संयुक्त अभ्यास का विचार आज साकार होने जा रहा है।

अमित शाह ने कहा कि यह अभ्यास हमारे देशों में आपदा प्रतिरोधी क्षमता का निर्माण करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। वर्ष 1996 से वर्ष 2015 की अवधि के दौरान ऐसे देशों में प्राकृतिक आपदाओं से लगभग 300000 लोगों की जान गई है जिसमें से 200000 से अधिक लोगों की जान भूकम्प से गई है। जो इन देशों में आपदा से होने वाली मौतों का दो तिहाई हिस्सा है इसलिए भूकंप के खतरे से निपटना एससीओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। श्री शाह ने यह भी कहा कि शहरी भूकंप सर्च संयुक्त अभ्यास हमारी सामूहिक तैयारी में सुधार करने में बहुत उपयोगी होगा, भूकंप के बाद की कार्रवाई में समन्वय करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रक्रियाओं को समझने में सहायता करने के अतिरिक्त उसके प्रतिभागी टीम के सदस्यों के बीच जानकारी और मित्रता होने में भी इस अभ्यास से मदद मिलेगी। उनका कहना था कि जब सदस्यों को आपदा की स्थिति से निपटने के लिए मिलकर कार्रवाई करनी होगी, उस समय साझा अभ्यास बहुत काम आएगा।

अमित शाह का कहना था कि हमारी संयुक्त कार्रवाई से आपदा के खतरे के प्रभाव कम होंगे। उनका कहना था कि हम सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, यदि हम आपदाओं और आपात स्थितियों के प्रभाव को रोकने और कम करने में सफल हो पाते हैं तो विश्व स्तर पर भी इससे बहुत लाभ होंगे। उन्होने कहा कि आपदाओं से होने वाली हानि को न्यूनतम करना आवश्यक है। श्री शाह ने कहा कि भारत में आपदाओं से होने वाली मौतों की संख्या में कमी करने और अन्य नुकसान को कम करने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। हाल के दिनों में चक्रवाती तूफानों का जिक्र करते हुए श्री शाह का कहना था कि एक दशक से अधिक समय के दौरान पूर्व चेतावनी प्रणालियों के सुदृढ़ीकरण, पहले से तैयारियां, प्रशिक्षण और क्षमता विकास का परिणाम है कि चक्रवाती तूफान के प्रभाव को कम किया जा सका। उनका कहना था कि एक दशक से थोड़ी अधिक समय में हमने होने वाली मौतों की संख्या को, विगत में होने वाली मौतों की संख्या के 1% से भी कम पर लाने में सफल हुए। श्री शाह ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना 2016 में लॉन्च हुई थी, भारत के सभी 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेशों और 90% जिलों ने अपनी आपदा प्रबंधन की पूरी तैयारी कर ली है। आपदा प्रबंधन में निजी क्षेत्रों के संसाधन, उपयोगिता के प्रावधान से इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है जिससे राष्ट्र और स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन में सुधार हुआ है। अब संशोधित राष्ट्रीय योजना के द्वारा जलवायु संबंधी पर भी विचार किया जाएगा।

अमित शाह का कहना था कि भारत आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना संबंधित संगठन की अगुवाई कर रहा है जो बहुमुखी होगा। आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना संबंधी इस वैश्विक संगठन के द्वारा विकासशील और विकसित देशों, छोटी और बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों, अवसंरचना विकास के प्रारंभिक और एडवांस देशों तथा ऐसे देश जिन्हें आपदा का अधिक का खतरा है, उन सभी की चिंताओं का निराकरण होगा। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन पुरस्कार के द्वारा आपदा के दौरान कार्रवाई करने वाले लोगों को उनके साहस के लिए सम्मानित किया जाएगा और उनका उत्साह बढ़ाया जाएगा।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने आपदा राहत में तकनीक के उपयोग पर बल दिया और सितंबर 2014 में जम्मू कश्मीर में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद राहत और पुनर्वास उपायों के अंतर्गत दो लाख से अधिक प्रभावित परिवारों के खाते में ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों में आपदा के दौरान राष्ट्रीय आपदा मोचन बल भेजा गया। श्री शाह ने कहा कि नेपाल में 25 अप्रैल 2015 को आए भूकंप से मकानों, वहां की संरचना और सेवाओं का भारी नुकसान हुआ जिसमें 75 जिलों में जन-जीवन प्रभावित हुआ। भारतीय वायु सेना की फ्लाइट भेजने वाला भारत ऐसा पहला देश था जो भूकंप के 6 घंटे के भीतर नेपाल की सहायता के लिए वहां पहुंचा था। भारत सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में बचाव राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में नेपाल को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया। पुनर्निर्माण कार्यों में नेपाल की सहायता के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की 5 टीमें भी भेजी गयीं थी।

श्री शाह का कहना था कि सार्क देशों के साथ संयुक्त अभ्यास से सफलतापूर्वक संचार की दिशा में बहुत सुधार होने की संभावना है। आज के बाद हमारे देशों के बीच आपदा जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में अधिक संयुक्त प्रयास किए जाएंगे ऐसी पहलों से हम निरंतर एक दूसरे से कुछ सीखेंगे, नए तौर-तरीके विकसित होंगे और हम आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे ताकि हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित विश्व का निर्माण कर सकें।

चार दिनों तक चलने वाले अभ्यास के दौरान सदस्य देशों के प्रतिभागियों हेतु शहरी भूकंप - संयुक्त खोज और बचाव अभ्यास का आयोजन किया जाएगा। इस अभ्यास के दौरान संचालन और प्रतिक्रिया एजेंसियों के बीच समन्वय और सहयोग के साथ-साथ उच्च स्तर पर सामरिक अभ्यास किया जायेगा।

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