मधुमक्खी पालन के 500 बक्सों, मिट्टी के बर्तन बनाने की 500 चाकों और चमड़े की 500 किटों का वितरण



बूंदी-राजस्थान,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर और समाज के कमजोर वर्ग को सहायता देने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने राजस्थान के बूंदी जिले में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मधुमक्खी पालन के 500 बक्सों, मिट्टी के बर्तन बनाने की 500 चाकों और चमड़े की 500 किटों का वितरण किया। इस अवसर पर केवीआईसी के अध्यक्ष वी• के• सक्सेना और विधायक अशोक डोगरा उपस्थित थे।

केवीआईसी के प्रयासों की सराहना करते हुए ओम बिरला ने कहा, ‘बापू ने ग्रामीण प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें उनके द्वार पर आजीविका के अवसर प्रदान करने का सपना संजोया था। केवीआईसी बापू के सपने को वास्तविक रूप में पूरा कर रहा है। मधुमक्खी पालन, मिट्टी के बर्तन बनाने की कला और चर्म उद्योग को दोबारा जीवित करने के लिए पहल की है। इस पहल से ग्रामीण युवाओं को सम्मान तथा आदर प्राप्त करने में बहुत सहायता होगी।’

उल्लेखनीय है कि मधुमक्खी पालन, मिट्टी के बर्तन बनाने और चमड़ा उद्योग को दोबारा जीवित करने के लिए केवीआईसी एक जनांदोलन का नेतृत्व कर रहा है। आयोग ने पिछले 2 वर्षों के दौरान मधु मिशन, कुम्हार सशक्तिकरण मिशन और लेदर मिशन के जरिये यह कार्य कर रहा है। आयोग ने अब तक लगभग 1.15 लाख बी-बॉक्स, 13,000 बिजली चालित चाकों और चमड़े की 2500 किटें वितरित की हैं। इस तरह आयोग ने 17,000 मधुमक्खी पालनकर्ताओं, 52,000 कुम्हारों और 2,500 चर्मकारों के लिए रोजगार का सृजन किया है।

केवीआईसी के अध्यक्ष वी• के• सक्सेना ने कहा, ‘इस आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण शिल्पकारों को शक्तिसम्पन्न बनाना और मधु पालन, कुम्हारी तथा चमड़े की शिल्पकारी के मद्देनजर उनमें आत्मविश्वास पैदा करना है। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप हमारा प्रयास है कि इन सबको आजीविका के अवसर प्रदान किये जाएं। इसके साथ उन ग्रामीण किसानों को आय का वैकल्पिक स्रोत भी प्रदान करने का उद्देश्य है, जो या तो श्रमिक बन जाते हैं या दैनिक मजदूरी के लिए बड़े शहरों को पलायन कर जाते हैं।’

इस आयोजन में राजस्थान के झालावाड़, कोटा और बूंदी जिलों के शिल्पकारों ने बड़ी तादाद में हिस्सा लिया। लाभार्थियों ने ओम बिरला और वी• के• सक्सेना को दिल्ली से यहां तक आकर गांव में बिजली से चलने वाले चाकों को वितरित करने के लिए धन्यवाद दिया। इस नए चाक में मेहनत कम लगती है और बेहतर उत्पाद तैयार होते हैं। उत्पाद बनाने के समय में भी कमी आती है।

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