हड़ताल बुनकरों का, हलचल कोई नहीं



--माइटी इकबाल,
वाराणसी-उत्तर प्रदेश,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

बुनकरों के हड़ताल का आज तीसरा दिन है, लेकिन कहीं कोई हलचल नही। दरअसल इन बुनकरों का कोई नेता नही, जनता ही नेता हैं। रही बात सरदार साहिबान की तो इन में खुद ही एक जुटता नहीं।

कोई भी आंदोलन, हड़ताल, जलसा जुलूस तब ही सफल हो सकता है जब उस पेशे, मुद्दे से जुड़े पूरा ताना बाना ही एक ज़ुबान हो बोलने लगे, या उस से हर जुड़ी चीजें बन्द हों। और सच यह भी है कि किसी भी आंदोलन को 100% सपोर्ट तो नहीं मिलता। इनमें कुछ लोग तमाशाई बन ही जाते हैं।

उत्तरप्रदेश के बुनकर हाशिये की बिरादरी तो नहीं हैं बल्कि यह वो बिरादरी है जो 15 दिन भी अपना पूरा रोजगार ठप कर दे यानी बिनकारी से सप्लाई तक तो सरकार इनके आगे घुटने टेक दे लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि बुनकरों के धन्ना सेठ और बुनकरों के सरदार ईमानदारी से अपनी लड़ाई लड़ें।

आज मैं बुनकर मजदूरों के बीच था यानी वो बुनकर मजदूर जो रोज कमाने खाने वाले लोग हैं कहते मिले कि, हमारे सेठ लोग जैसा कहेंगे हम वैसा करने को तैयार हैं लेकिन वो यह भी तो बतलायें कि अगर हम रोज कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या?

याद है मुझे भिवंडी, मालेगांव के बुनकरों ने जब एक मांग को लेकर हड़ताल किया था तो सब से पहले उन्होंने रोज कमाने खाने वाले गरीब बुनकरों का भी इंतेज़ाम कर दिया था। नतीजा जहां हड़ताल सफल रहा वहां की सरकार ने इनकी मांग भी मान ली थी।

कहना गलत नहीं होगा कि बनारस आस पास के अमीर बुनकर अपने गरीब बुनकर भाइयों के बारे में ऐसी सोच नहीं रखते, क्यों... पता नहीं।

गरीब बुनकर मजदूरों ने तो यह भी बताया कि अगर हमारे गद्दीदार हमारा बकाया मजदूरी ही दे दें तो दो चार महीने का इंतेज़ाम हम खुद कर लें।

बुनकरों के इस आंदोलन में यह भी देखने को मिला या मिल रहा है कि जो शहर के बड़े बड़े गृहस्ता, गद्दीदार हैं उनको जैसे इस आंदोलन से कोई खास दिलचस्पी है ही नहीं हालांकि फ्लैट रेट बिजली का एक बड़ा लाभ यह खुद ही उठाते हैं। कुछ लोग तो यह भी कहते मिले कि फ्लैट रेट बिजली का लाभ सच पूछिए तो गरीब बुनकर नहीं बल्कि यह अमीर बुनकर ही उठाते हैं और न केवल इस कनेक्शन से पॉवरलूम चला कर बल्कि दूसरे काम में भी इस्तेमाल करते हैं जब कि गरीब बुनकर के पास न तो पॉवरलूम है ना ही कोई कूलर तक।

हालात जो भी हों पर आखिरी सच यही है कि जिस आंदोलन का कोई अच्छा रूप रेखा न हो वो आंदोलन कभी सफल नहीं हो सकता। आप को हर हाल में एक स्ट्रेटजी बनानी होगी।

उधर सरकारी हिकमत अमली यह है कि सरकार पुराने फ्लैट रेट बिजली बहाली तो नहीं करेगी बल्कि कई गुना रेट इजाफा कर के कोई नई योजना थोप देगी और खबर यह भी है कि अमीर बुनकर उसे स्वीकार भी कर लेंगे कारण उन्हें तब भी नुकसान नहीं होगा। बल्कि नुकसान उनका होगा जो दो चार पॉवरलूम के मालिक हैं।

हाफिज नूरुद्दीन सरदार कहते है "इस से बेहतर तो यह होता कि अब तक जो बिजली बिल बकाया है सरकार इसे पुरानी योजना के तहत जमा करवाती और उसके बाद का मीटर रीडिंग से ही पैसा लेती। यानी फ्लैट रेट बिजली की योजना ही समाप्त कर दे सरकार वर्ना चुप से पुरानी योजना को बहाल कर दे और अच्छा से जांच शुरू कर दे कि फ्लैट रेट पर आधारित बिजली कनेक्शन का लाभ वाकई गरीब बुनकर उठा रहे हैं या अमीर बुनकर या फिर वो लोग जो बुनकर हैं ही नहीं बस एक कार्ड बनवाकर बुनकर बन चुके हैं।

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