भूपेश बघेल की अमित शाह, नितिन गडकरी और धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात के मायने



--विजया पाठक
(एडिटर - जगत विजन),
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ क्या भूपेश बघेल फर्जी सीडी कांड मामले को मैनेज करने पहुंचे थे दिल्ली

तमाम सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात की फोटो वायरल की जा रही हैं। इस मुलाकात के पीछे की कहानी विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आपको बताते हैं। भूपेश बघेल अपने अधिकारियों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कमरे में प्रवेश करते हैं। जहां उन्हें पूर्व सूचना के मुताबिक कुल 7 से 10 मिनट का समय मिलता है, जिसमें अभिवादन, स्वागत, फोटोग्राफी और बैठक होती है। अभिवादन, स्वागत और फोटोग्राफी के बाद बघेल कमरे को खाली करने का निवेदन करते हैं। जिसे स्वीकार कर अधिकारियों व अन्य सभी को बाहर कर दिया जाता है। चर्चा प्रारंभ होती है। प्रारंभिक 1-2 मिनट भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में नक्सल मामले की जानकारी देने के बाद वह अपने मुद्दों पर आते हैं। भूपेश बघेल निवेदन करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सीडी कांड (जिसे सीबीआई ने अन्य स्टेट में ट्रांसफर करने को लेकर लगाया हुआ है, जो अब कभी भी सुप्रीम कोर्ट में लिस्टिंग हो सकती है) को रोकने के लिए निवेदन करते हैं। दूसरा मामला, 9 माह पूर्व ईडी और इनकम टैक्स मामले की जद में आये आरोपियों में से छत्तीसगढ़ की एक ताकतवर महिला अधिकारी को बचाये जाने का निवेदन करते हैं, उन्हें बचाने अपने तर्क व जानकारी उनके सामने रखते हैं। कुछ देर पश्चात भूपेश बघेल हाथ जोड़े नजर आते हैं। अब छत्तीसगढ़ से उक्त विभागों के सबसे बड़े अधिकारी को फोन जाता है और जानकारी ली जाती है, क्या कुछ निर्देश प्राप्त हुआ? जवाब मिलता है, नहीं और उसके बाद फोन कट जाता है। ये है छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सच्चाई।

निश्चित तौर पर यह पहला अवसर है जब अचानक भूपेश बघेल दिल्ली जाकर अमित शाह और धर्मेंद प्रधान से मिले हो और नागपुर में नितिन गडकरी से मुलाकात की हो। अचरज सभी को हो रहा है। मुलाकात के कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। बीजेपी नेताओं से इस तरह की नजदीकियां किसी बड़े अंदेशे की ओर इशारा कर रही हैं। यह अंदेशा भूपेश बघेल पर आने वाली मुसीबतों से बचाव का भी हो सकता है। क्योंकि बघेल इस समय पूर्व मंत्री राजेश मूणत फर्जी सीडी कांड में बुरी तरह फंसे हुए हैं। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। हो सकता है कि इस मामले में उनपर वॉरेंट भी जारी हो जाए और उन्हें सीएम पद से इस्तीफा तक देना पड़ जाए। जैसा मध्यप्रदेश में उमा भारती के साथ हुआ था। उनकी शाह से मुलाकात को इस मामले से ही जोड़ा जा रहा है। जानकारोंं का कहना है कि हो सकता है कि बघेल इस मुसीबत से बचने के लिए केंद्र सरकार से समझौता भी कर लें। यह समझौता छत्तीसगढ़ के नंदराज पर्वत की 13 और 15 नंबर कोयला खदान को लेकर हो सकता है। ऐसा विश्व़स्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इन खदानों को बीजेपी सरकार के खास गुजराजी कार्पोरेट्स के जो प्रोजेक्ट राज्य सरकार द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिये गये उन्हेंं पटरी पर लाने का समझौता हो सकता है। गौतम अडानी छत्तीसगढ़ में इन प्रोजेक्‍टस को लेना चाहता है। रमन सरकार के दौरान अडानी को यह खदानें अलॉट भी हो गई थी लेकिन आदिवासियों के ताकत के साथ विरोध के चलते यह खदानें अडानी को अलॉट नहीं हुई थी। उस समय विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल ने भी काफी विरोध किया था। अब जब राज्य में भूपेश सरकार हैं तो इस सरकार ने भी इस मामले को ठंडे बस्तेे में डाल दिया है। अडानी ने भी अभी भी इस खदानों पर से नजरें नही हटाई हैं। क्योंकि सब जानते हैं कि खदानें मिलने से अडानी अरबों रूपये कमायेगा। अमित शाह भी इस मामले को भलीभांति समझते हैं। हो सकता है कि भूपेश बघेल ने अमित शाह के सामने खदानें आवंटित करने की शर्त रखी होगी और अमित शाह सोचने पर मजबूर रहे होंगे।

■ अब सवाल ये उठते हैं-

1. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने मिलने का समय क्यों नही दिया?

2. भूपेश बघेल केवल उक्त महिला अधिकारी को ही क्यों बचाना चाहते हैं? शेष अधिकारियों को क्यों नहीं?

3. भूपेश बघेल को पूर्व आईएएस बाबूलाल अग्रवाल की गिरफ्तारी के तत्काल बाद ही अमित शाह से मिलने की जरूरत क्यों पड़ी?

4. भूपेश बघेल को अचानक केंद्रीय मंत्रियों से नजदीकियां बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ी? कल तक तो वह केन्द्रीय नेताओं से लेकर प्रधानमंत्री तक को उल्टा सीधा बोलने और कोसते नहीं थकते थे।

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