नव संवत्सर वैदिक पंचांग का कुलपति द्वारा विमोचन



वाराणसी-उत्तर प्रदेश,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

सोमवार 26 जुलाई 2021 को वैदिक विज्ञान केन्द्र के द्वारा नवसंवत्सर वैदिक पंचांग का विमोचन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कुलपति प्रो• विजय कुमार शुक्ल, वैदिक विज्ञान केन्द्र के संचालन समिति के सदस्य प्रो• कमल नयन द्विवेदी, प्रो• आर पी मलिक, प्रो• बिन्ध्याचल पाण्डेय, डॉ• सुनील कात्यायन, संकायप्रमुख- प्रो• कमलेश झा एवं वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक प्रो• उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी, डॉ• श्यामबाबू पटेल, संयुक्त कुलसचिव (विकास), एवं पवन कुमार मिश्रा, सहायक कुलसचिव सह प्रशासनिक अधिकारी, वैदिक विज्ञान केन्द्र आदि द्वारा किया गया।

यह वैदिक पंचांग अपने आप में कई मायने में अद्भुत है। इसे मुख्य रूप से तिथियों के आधार पर बारह महीनों में रखा गया है। प्रत्येक तिथि के साथ उसके समाप्ति काल को दिया गया है। मुख्य व्रतों, त्यौहारों तथा पर्वों को भी उन तिथियों के साथ दिया गया है। तिथियों के साथ अंग्रेजी दिनांक एवं वार का समन्वय होने से कोई सामान्य व्यक्ति (जिसे ज्योतिष की जानकारी नहीं है) भी इसे सहजतया समझ सकता है। इसमें वर्ष में पड़ने वाले सूर्य ग्रहण तथा चन्द्रग्रहणों का भी वर्णन है। यह वैदिक पंचांग वैदिक योगविज्ञान, ऋतुचर्या एवं विज्ञान अंक रूप में है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए ऋतुकालीन आहार-विहार, योग परिचय एवं योग की उपयोगिता आदि का सांकेतिक वर्णन दिया गया है। इस वैदिक पंचांग से लोगों में दिन-प्रतिदिन के तिथियों और पक्षों का ज्ञान होने के साथ-साथ भारतीय वैदिक परम्परा ज्ञान का प्रचार प्रसार भी होगा। आम व्यक्तियों के जानकारी के लिए राशियों का वार्षिक फल भी लिया गया है। हमारे भारतीय संस्कृति के मूल धरोहर और वेदों में वर्णित योग विज्ञान के चिन्तन को आसन मुद्राओं, मन्त्रों एवं उनके भावार्थ के साथ दर्शाया गया है।

केन्द्र के समन्वयक प्रो• उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कोविड-19 महामारी काल में शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य हेतु योग का विशेष स्थान है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए जन सामान्य को योग के विशिष्ट सिद्धान्तों, भारतीय संस्कृति तथा वैदिक विज्ञान के ज्ञान भण्डार से परिचित कराने के उद्देश्य से इस वैदिक पंचांग (योगांक) को तैयार किया गया हैं।

कुलपति महोदय ने इस विशिष्ट वैदिक पंचांग के विमोचन अवसर पर अत्यन्त हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि वैदिक ज्ञान को जन-सामान्य के मध्य हृदयंगम बनाने का यह अत्यन्त सहज एवं सरल माध्यम है, जिसमें भारतीय पंचाग के अनुसार तिथियों, पर्वों आदि से सम्बन्धित मौलिक जानकारी तो है साथ ही हमारे वैदिक ग्रन्थों में वैदिक योग विज्ञान के तथ्यों का भी परिचयात्मक उल्लेख जन-मानस में वैदिक ज्ञान-विज्ञान के प्रति जिज्ञासा का प्रादुर्भाव करने वाला है। उन्होंने कहा कि किसी भी विषय का व्यवहारिक ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है, अपने व्यक्तिगत अनुभवों का उल्लेख करते हुए उन्हांने बताया कि आज के शोध अध्येताओं में विषय के व्यवहारिक प्रयोग के कौशल का अभाव देखा जा रहा है, जो चिन्तनीय है। इस दिशा में उन्होंने आशा जतायी कि वैदिक विज्ञान केन्द्र, वेद-अध्येताओं में वह जिज्ञासा व चेतना जगा पाए जिससे वैदिक ज्ञान-विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में शोध-परक अनुसन्धान ही नहीं बल्कि व्यवहारपरक नूतन प्रयोग हो सकें तथा भारतीय वेद परम्परा वैश्विक जगत् में अपनी प्रतिष्ठा को चिरस्थायी कर सकें। इसके लिए यह केन्द्र अन्य विज्ञानादि संकायों के साथ अन्तर्विषयी शोध परियोजनाओं पर भी कार्य करेगा।

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