गुवाहाटी : नॉर्थ-ईस्‍ट एजुकेशन कॉन्‍क्‍लेव



गुवाहाटी-असम,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुवाहाटी में नॉर्थ-ईस्‍ट एजुकेशन कॉन्‍क्‍लेव का उद्घाटन किया

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा के साथ शनिवार को गुवाहाटी में गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सभागार में आयोजित नॉर्थ-ईस्‍ट एजुकेशन कॉन्‍क्‍लेव यानी पूर्वोत्तर शिक्षा सम्मेलन का उद्घाटन किया। इसका आयोजन असम सरकार के शिक्षा विभाग और शंकरदेव एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन (एसईआरएफ) द्वारा किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में शिक्षा क्षेत्र एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करना और उन्‍हें सामाजिक रूप से जागरूक करते हुए 21वीं सदी का एक वैश्विक नागरिक तैयार करना है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने देश अपने प्रकार के पहले शिक्षा सम्मेलन के आयोजन की पहल के लिए राज्य के शिक्षा विभाग और शंकरदेव एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन (एसईआरएफ) की सराहना की। इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनईपी 2020 देश के शिक्षा परिदृश्य को बदलने के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण है और यह भारत के शिक्षा क्षेत्र में उल्‍लेखनीय बदलाव की शुरुआत कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी हमारी विविधता में एकता का सूत्रधार और एक सभ्‍यता के तौर पर हमारी ताकत है। एनईपी के दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि एनईपी वांछित अधिगम क्षमता विकसित करने, छात्रों को 21वीं सदी के ज्ञान एवं कौशल से लैस करने और हमारे युवाओं को वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार करने पर केंद्रित है।

मं‍त्री ने कहा कि नॉर्थ-ईस्‍ट एजुकेशन कॉन्‍क्‍लेव का उद्देश्य एनईपी 2020 के उन तमाम पहलुओं पर परिचर्चा एवं विचार-विमर्श करना है जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक रूपरेखा तैयार करने और उसके सफल कार्यान्वयन के लिए रणनीति तैयार करने में मदद करेगा।

श्री प्रधान ने कहा कि भाषाओं की विविधता पूर्वोत्तर क्षेत्र से बेहतर कहीं नहीं दिख सकती है क्‍योंकि यहां की निवासी जनजातियों द्वारा लगभग 180 भाषाएं बोली जाती हैं। एनईपी 2020 के तहत मातृभाषा एवं स्थानीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है और सरकार इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने का प्रयास कर रही है। राज्य में भाषाई विविधता के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि असम भारत में स्थानीय भाषा आधारित शिक्षा की प्रयोगशाला हो सकता है।

असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि एनईपी 2020 ने ज्ञान हासिल करने के लिए मार्कशीट से आगे जाने का अवसर प्रदान किया है जो भारत को कहीं अधिक शक्तिशाली बनाएगा, देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, छात्रों को सशक्त करेगा और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस दो दिवसीय विचार-विमर्श के बाद इस क्षेत्र में एनईपी के कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाएगी। साथ ही इस नीति के अनुसार पहल शुरू की जाएगी और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार एक नए एवं सशक्‍त भारत के सपने को साकार करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की जाएगी। उन्होंने इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके समर्थ एवं गतिशील नेतृत्व से राज्य को एनईपी-2020 के उचित कार्यान्वयन में मार्गदर्शन मिलेगा।

उद्घाटन सत्र में असम के शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगू, सीएसएस यूनिवर्सिटी मेरठ के वीसी प्रो. नरेन्‍द्र कुमार तनेजा, यूजीसी के चेयरमैन, प्रो. डी. पी. सिंह, पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के शिक्षा मंत्री, असम सरकार के शिक्षा सलाहकार प्रो. नानी कोपल महंत, अन्‍य हितधारक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।

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