कचरा नहीं है कचरा



केन्या में रिसाइक्लिंग की परंपरा पुरानी नहीं है. लेकिन पिछले पांच सालों में टका टका सॉल्यूशनंस इसमें योगदान दे रही है. वह स्कूलों, कंपनियों और निजी घरों के साथ गरीब और अमीर मोहल्लों में सक्रिय है.
इंसानी जिंदगी में इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक चीजों का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है. बेशक इनसे हमारी जिंदगी आसान हुई है लेकिन इनकी वजह जमा होने वाले टनों ई-कचरे के बारे में भी सोचना होगा.
प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बना हुआ है. हर परिवार हर साल क़रीब तीन-4 किलो प्लास्टिक थैलों का इस्तेमाल करता है. बाद में यही प्लास्टिक के थैले कूड़े के रूप में पर्यावरण के लिए मुसीबत बनते हैं. पिछले साल देश में 29 लाख टन प्लास्टिक कचरा था, जिसमें से करीब 15 लाख टन कचरा सिर्फ़ प्लास्टिक का ही था. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में हर साल 30-40 लाख टन प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है. इसमें से क़रीब आधा यानी 20 लाख टन प्लास्टिक रिसाइक्लिंग के लिए मुहैया होता है. हालांकि हर साल क़रीब साढ़े सात लाख टन कूड़े की रिसाइक्लिंग की जाती है. कूड़े की रिसाइक्लिंग को उद्योग को दर्जा हासिल है और सालाना क़रीब 25 अरब रुपये का कारोबार है. देश में प्लास्टिक का रसाइक्लिंग करने वाली छोटी-बड़ी 20 हज़ार इकाइयां हैं.

देश के करीब 10 लाख प्लास्टिक संग्रह के काम में लगे हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी बड़ी तादाद में शामिल हैं. इन महिलाओं और बच्चों को कूड़े से कागज और प्लास्टिक बीनते हुए देखा जा सकता है. ये लोग अपने स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर कूड़ा बीनते हैं इसके बावजूद इन्हें वाजिब मेहनताना तक नहीं मिल पाता. हालांकि इस धंधे में बिचौलिये (कबाड़ी) चांदी कूटते हैं.

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