राहुल का वारिस



---के• विक्रम राव, अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।

सोनियापुत्र राहुल गांधी की संतति के अभाव से संतप्त उनके वफादार अब नेहरू वंश के नूतन वली अहद को पा गये हैं। उनकी बांछें खिल गई हैं। इन राजमुग्धों को खूँटे से पगहा तुड़ाने की आवश्यकता नहीं है। अपनी नामांकन रैली (10 अप्रैल 2019) में अमेठी मार्ग पर चुनावी ट्रक में साथ खड़े भांजे रेहान के गले में रुद्राक्ष माला खुले आम डालकर राहुल ने उसे अभिव्यंजित कर दिया। नए राजवंश (वाड्रागांधी) की नींव भी डाल दी। रुद्राक्ष-प्रेम दर्शाता है कि नानी सोनिया, मामा राहुल और पिता राबर्ट परम शिवभक्त हैं। तीनों अमेठी आये तो बेल पत्र के साथ जो दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा प्रदत्त है। रेहान छठी पीढ़ी के नेहरू रक्तज हैं, प्रियंका-राबर्ट वाड्रा के आत्मज हैं। इसी वर्ष वोटर बने हैं। आयु है उन्नीस वर्ष।

ठीक ऐसा ही मंजर 29 दिसम्बर 1929 के दिन था जब लाहौर के रावी तट पर मोतीलाल नेहरू ने लाचार महात्मा गांधी द्वारा इकलौते पुत्र जवाहरलाल को कांग्रेस अध्यक्ष नामित कराया था। युगों पूर्व पड़ोस में तीन सौ किलोमीटर दूर हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र ने ऐसा ही कराया था। कुमारी इंदिरा नेहरू और फिरोज गांधी की शादी से नेहरू-गांधी वंश बना, जिसमें राजीव से लेकर राहुल तक रहे। नूतन सन्दर्भ में अब वही वाड्रा-गांधी वंश कहलायेगा। रेहान नामक ऐतिहासिक पात्र भी रहा। यह जिक्र पवित्र कुरान में भी है। रेहान का अर्थ है सुगन्धित बूटी (तूकमलंगा)। शब्द पारसी है जो उनके नाना (राजीव) के पिता (फिरोज गांधी) थे। एक उल्लेख और। गुलाम वंश के सुल्तान बलबन की तुर्की सामंती को भारतीय मुस्लिम जागीरदार रेहान ने ललकारा था, मगर (1253-54) में उसकी हत्या हो गयी थी। वह वीर हिन्दुस्तानी था।

जब मामा राहुल तथा पिता राबर्ट के साथ रेहान अमेठी कलक्ट्रेट पहुँचे थे तो कुछ शरारती भाजपाइयों को किसी ने कहते सुना कि, “जमीन बचाओ, वाड्रा आ रहा है।” संकेत गुड़गाँव, बीकानेर और लन्दन में भूमाफियागिरी की ओर था। हालांकि राबर्ट पहले ही कह चुके हैं कि वे कांग्रेस प्रत्याशियों के लिये वोट माँगने के लिये राष्ट्रव्यापी दौरा करेंगे। वायनाड भी जायेंगे, जहाँ उनके सहधर्मी मतदाता करीब बारह प्रतिशत हैं। राजनीति वाड्रा के लिये अर्थशास्त्र है। पीतल के बर्तनों का यह मामूली विक्रेता दो दशक में अरबपति हो जाय तो सफल व्यापारी तो निश्चित होगा ही।

जीजा की तुलना में साले साहब कोई उन्नीस नहीं पड़ते। चौदहवीं लोकसभा (2004) की उम्मीदवारी पर राहुल के पास मात्र पछ्पन लाख की संपत्ति थी। सत्रहवीं लोकसभा चुनाव (2019) पर वह कई करोड़ हो गई। जबकि वे न तो कारोबारी हैं, न उनकी कोई पेशेवर आय (वकील, डॉक्टर आदि) है। माहभर में वायनाड चुनाव अधिकारी को पंद्रह करोड़ दिखादी। समरथ को नहिं दोष गुसाईं।

एक दिलचस्प पहलू और भी है। नेहरू-गांधी परिवार अपने को रईस (अभिजात्य) वर्ग का दर्शाते हैं। शायद इसीलिए वोटर अपने को आम रियाया मानकर उनसे सहमता है, राजभक्त हो जाता है। खुद राहुल भारत के प्रधानमंत्री का चायवाला और चौकीदार कहकर परिहास करते हैं। गौरतलब है कि सिवाय जवाहरलाल नेहरू और प्रियंका वाड्रा के उनकी छः पीढ़ी में कोई भी स्नातक डिग्रीयाफ्ता नहीं है। नेहरू वंशावलि पर भी गौर कर लें। पंडित मोतीलाल नेहरू, जो मुख़्तार मात्र थे, के पिता पंडित गंगाधर नेहरू लाल किले के पास रात्रि जागरण करते थे और “जागते रहो” पुकारते रहते थे।

उनके ननिहाल की भी पड़ताल कर लें। राहुल के नाना स्व• स्टीफानो माइनो राजमिस्त्री रहे। इतालवी सेना के बहादुर सैनिक थे, और द्वितीय विश्व युद्ध में फासिस्ट अधिनायक बेनितो मुसोलिनी की ओर से हिटलर की नाजी सेना की मदद के लिए स्टालिनग्राड को कब्जियाने में सोवियत लाल सेना से भिड़े थे। उनकी बड़ी पुत्री सोनिया माइनो कभी केम्ब्रिज के रेस्त्रां में मदिरा परोसती थीं। जैसे नरेंद्र मोदी वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे।

राबर्ट वाड्रा के परिवार के इतिहास पर भी चर्चा लम्बाती जा रही है। प्रियंका वाड्रा के श्वसुर राजेंद्र वाड्रा दिल्ली के होटल में संदिग्ध स्थिति में मृत पाए गये। राबर्ट के अग्रज रिचर्ड ने आत्महत्या कर ली थी। बहन मिशेल कार दुर्घटना में 2007 में मर गईं।

राहुल आरोप लगाते हैं मोदी पर कालाधन वापस लाने में विफल रहने का। कुटिल मोदी इंदिरा गांधी के तीसरे (मुँहबोले) पुत्र कमलनाथ के साथियों से कालाधन छीन लाये। शरद पवार ने कह दिया कि राहुल के पिताश्री भारत में मोबाइल टेलीफ़ोन लाये, तो शातिर भाजपाइयों ने खोज कर ली कि राजीव गांधी का निधन हुआ 21 मई 1991 को, तथा पहला मोबाइल टेलीफ़ोन देश में आया 1995 में, चार वर्ष बाद।

इतना मलाल तो कईयों को रहेगा कि अभी से इस अधेड़ विपक्षी नेता को राजमद हो गया है। राहुल ने चुनाव प्रचार का स्तर बाजारू कर दिया। मगर दोष किसका है? “विद्या ददाति विनयम” कभी पढ़ाया जाता था स्कूल में। मगर इसके लिये स्कूल जाना पड़ता है।

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