काशी मंथन द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : मिथ्या, तथ्य, चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर केंद्रित व्याख्यान का आयोजन



काशी, 13 जुलाई 2019, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कामधेनु सभागार में काशी मंथन द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : मिथ्या, तथ्य, चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर केंद्रित व्याख्यान का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर वीडीए के सचिव तथा काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट एवं काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह उपस्थित ने निर्माणाधीन विश्वनाथ कॉरिडोर के बारे में विस्तृत चर्चा की। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों, कर्मचारियों के अलावा शहर के नागरिक से भरे हाल में श्रोताओं के सवालों से शुरू हुए सत्र में श्री सिंह ने एक-एक प्रश्नों का उत्तर देते हुए विश्वनाथ कॉरिडोर से जुड़ी तमाम भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया। वीडियोज, चित्रों, नक्शों और प्रेजेंटेशन आदि के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को कॉरिडोर की रूपरेखा, उसके उद्देश्य तथा उसके क्रियान्वयन में आये अड़चनों का जिक्र करते हुए प्रोजेक्ट से जुड़ी किसी भी प्रकार की भ्रांति अथवा अफवाहों को पुरजोर तरीके से दूर करने का प्रयास किया।

उन्होंने बताया कि सितंबर 2021 तक पाँच लाख वर्गफुट में फैली इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद लोगों को ना सिर्फ विश्वनाथ मंदिर तथा उसके परिक्षेत्र में फैले अन्य ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शन में सहूलियत होगी बल्कि इस कॉरिडोर के माध्यम से उन्हे काशी की पुरातन संस्कृति, अध्यात्म, कला आदि से परिचित होने के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र मिलेगा। परियोजना के निर्माण के दौरान पुराने मन्दिरों को तोड़ने व उनके ऐतिहासिक स्वरूपों से छेड़छाड़ होने के बाबत एक सवाल का जबाब देते हुए उन्होंने बताया कि कॉरिडोर के सर्वेक्षण के दौरान कुल 43 मंदिरों को चिन्हित किया गया है। कॉरिडोर के निर्माण के दौरान इन मंदिरों के ऐतिहासिक स्वरूप का ध्यान रखते हुए उन्हें या तो उनके मूल स्वरूप में रखा जायेगा अथवा उन्हें धार्मिक परंपराओं के अनुरूप पुनःप्रतिष्ठित किया जायेगा।

इस अवसर पर स्वागत उद्बोधन देते हुए काशी मंथन के संयोजक एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव डॉ• मयंक नारायण सिंह ने कहा कि काशी मंथन का उद्देश्य आम जनमानस के अवचेतन को राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के सामरिक हितों को लेकर जागरूक करना है। राष्ट्रीय सुरक्षा के एक वृहद अवधारणा है जो सिर्फ सेना अथवा सीमा से नहीं जुड़ा बल्कि समाज भी इसमें एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने बताया कि काशी मंथन लगातार एक राष्ट्र-हितों के लिए जागरूक नागरिक समाज के निर्माण की दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि काशी मंथन के मंच पर तमाम तरह की परिचर्चाएं तो लगातार होती रहती हैं लेकिन पहली बार काशी मंथन के मंच पर काशी को लेकर मंथन हो रहा है। कार्यक्रम की महत्वता की तरफ इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत आवश्यक कार्यक्रम था क्योंकि विश्वनाथ कॉरीडोर को लेकर जिस तरह से लगातार भ्रम की स्थिति जाने-अनजाने पैदा की जा रही थी उसको दूर करने की अत्यंत आवयश्यक्ता थी।

कार्यक्रम का संचालन डॉ• पंकज सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ• सुनील तिवारी ने दिया। इस अवसर पर डॉ• क्षिप्रा धर, श्रीमती दिव्या सिंह विश्वविद्यालय के छात्र अधिष्ठाता प्रो• एम• के• सिंह, प्रो• डी• सी• राय, डॉ• अभिषेक पांडे, प्रो• आर• एन• राय, डॉ• प्रवीण राणा, डॉ• नेहा पांडेय, डॉ• बाला लखेन्द्र, डॉ• धीरेंद्र राय, विक्रान्त कुश्वाहा, डी• गांगुली, अदिति, रजित, प्रो• अभिमन्यु सिंह, प्रो• प्रदोष मिश्रा सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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