--अभिजीत पाण्डेय (ब्यूरो),
पटना-बिहार, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
अब वैसे उम्मीदवार जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं उन्हें अगर राजनीतिक दल अपना उम्मीदवार बनाती है तो उन्हें समाचार पत्रों में छाप कर यह बताना होगा कि उन्होंने दागी व्यक्ति को उम्मीदवार क्यों चुना। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर यह प्रावधान सभी मान्यता प्राप्त दलों के लिए लागू किया है।
चुनाव को साफ सुथरा और पारदर्शी बनाने के लिए निर्वाचन विभाग इस बार कई कदम उठा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार ऐसे ही नियम और व्यवस्थाएं होंगी जो पहली बार लागू होंगी। निर्वाचन आयोग ने यह प्रावधान लागू किया है कि अब वैसे उम्मीदवार जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं उन्हें अगर राजनीतिक दल अपना उम्मीदवार बनाती है तो उन्हें समाचार पत्रों में छाप कर यह बताना होगा कि उन्होंने दागी व्यक्ति को उम्मीदवार क्यों चुना। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर यह प्रावधान सभी मान्यता प्राप्त दलों के लिए लागू किया है।
बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार यह व्यवस्था लागू होगी जहां दागी उम्मीदवारों को चुनने पर राजनीतिक दलों को कारण बताना होगा। बिहार निर्वाचन विभाग ने इसके लिए 150 पंजीकृत दलों को चिट्ठी लिखी है जिनका मुख्यालय पटना में है। निर्वाचन विभाग ने निर्देश जारी करते हुए बताया कि अगर ऐसे लोगों को वो इस चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाते है जिन पर अपराध का केस चल रहा है तो उनको 48 घंटे के भीतर फॉर्मेट सी 7 के तहत समाचार पत्रों में इसकी सूचना देनी होगी।
निर्वाचन विभाग के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि चुनाव में दागी और अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की जगह अच्छे उम्मीदवार बनाने में मदद मिलेगी ताकि सदन में साफ-सुथरी छवि के लोग पहुंच सके। मालूम हो कि इस साल के सितंबर-अक्टूबर महीने में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं। बिहार की 243 सीटों के लिए विभिन्न पार्टियां चुनावी मैदान में होंगी जिनमें कई दागी चेहरे भी होंगे ऐसे में निर्वाचन आयोग के इस नियम का पार्टियों पर क्या असर पड़ता है ये देखना लाजमी होगा।