सावन के महीने में क्यों करना चाहिए महामृत्युंजय मंत्र का जप !



--डाॅ• इन्द्र बली मिश्र,
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,
वाराणसी-उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है। इस पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार से पूजन की जाती है साथ ही शिव मंत्रों का जाप करना बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। इन्हीं मंत्रों में से सबसे प्रभावी मंत्र महामृत्युंजय है। शिवपुराण के अनुसार गंभीर बीमारियों और मानसिक परेशानियों को दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र बहुत ही उपयोगी होता है। इस मंत्र के जाप में इतनी शक्ति होती है कि मृत्यु के करीब पहुंच चुके व्यक्ति को जीवनदान मिल जाता है।

■ महामृत्युंजय मंत्र :

।ॐ हौं जुं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव वंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
ॐस्व:भुव:भु:ॐ सःजुं हौं ॐ।।

● महामृत्युंजय मंत्र का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

एक तरफ जहां महामृत्युंजय मंत्र के जाप का धार्मिक महत्व है तो वहीं दूसरी तरफ यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है। महामृत्युंजय मंत्र की शुरुआत ॐ से होती है। ॐ के उच्चारण से सांस क्रिया पर प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में मौजूद चक्रों में ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है। शरीर में मौजूद चक्रों के कंपन से शरीर में स्फूर्ति आती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में विस्तार होता है।

महामृत्युंजय मंत्र के प्रत्येक अक्षरों का विशेष महत्व है। इन अक्षरों को उच्चारण करते समय अलग-अलग प्रकार की ध्वनियां निकलती हैं  जिसे शरीर में एक खास तरह का कंपन होता है। इस कंपन से शरीर में और आस पास के वातावरण में एक विशेष प्रकार की एनर्जी निकलती है। जो व्यक्ति को मानसिक ऊर्जा के साथ-साथ अनेक ऊर्जा का संचार करती हैं।

● धार्मिक महत्व

धार्मिक नजरिए से इस महामंत्र का विशेष महत्व होता है। जो भी व्यक्ति इस महामंत्र का जाप करता है उसको कई दोषों से मुक्ति मिलती है। इस महामंत्र की स्तुति का वर्णन और महत्व ऋग्वेद, यजुर्वेद, पद्मपुराण और शिवपुराण में किया गया है। शिवपुराण के अनुसार इस मंत्र के जाप से आरोग्यता, लंबी आयु, यश और कीर्ति में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा इस महा मंत्र का उपयोग ज्योतिष शास्त्र में किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि कुंडली में मौजूद मांगलिक दोष, कालसर्प दोष और संतान सुख में आई हुई बाधा को दूर करने में महामृत्युंजय जाप काम करता है। मान्यता है दानवों के गुरु शुक्राचार्य ने महामृत्युंजय मंत्र के अनुष्ठान का उपयोग कर देवताओं के हाथों मारे गए राक्षसों को दोबारा जीवित कर दिया था।

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