राम मंदिर की आधारशिला में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल भी



--अभिजीत पाण्डेय (ब्यूरो),
पटना-बिहार, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

एक बार फिर राम मंदिर का नाम सुर्खियों में है। मगर इस बार राम मंदिर के साथ टाइम कैप्सूल की भी चर्चा हर तरफ हो रही है। गौरतलब है कि 5 अगस्त को राम नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। इसके साथ ही मंदिर की नींव डालते समय 200 फीट की गहराई में टाइम कैप्सूल भी रखा जाएगा।

अयोध्या में राम मंदिर के 200 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल डाला जाने वाला ये कैप्सूल एक तरह का ऐतिहासिक दस्तावेज होगा, जिसमें राम मंदिर के इतिहास से लेकर विवाद तक की सारी जानकारियां होंगी। ये इसलिए रखा जाएगा ताकि हजारों साल बाद भी अगर किसी खुदाई में कैप्सूल मिले तो उस वक्त के लोगों को राम जन्मभूमि के बारे में पता चल सके।

टाइम कैप्सूल एक बॉक्स होता है जो किसी भी आकार का हो सकता है। आमतौर पर इसे तांबे से बनाया जाता है ताकि मिट्टी में दबा होने के बाद भी ये ज्यादा से ज्यादा वक्त तक टिका रहे। वहीं लोहे से बने बॉक्स जंग लगने के कारण खराब होने लगते हैं और उनमें रखी सामग्री के नष्ट होने का डर रहता है। किसी भी तरह के केमिकल रिएक्शन से बचा रहने वाला टाइम कैप्सूल इतना मजबूत होता है कि वो हर तरह के मौसम और परिस्थिति में मिट्टी में सुरक्षित रहे। पुराने वक्त में भी टाइम कैप्सूल होते थे। तब उन्हें कांच के डिब्बे या बोतल में बनाया जाता था।

जमीन में काफी गहराई तक दबाने का सीधा उद्देश्य है कि सैकड़ों-हजारों सालों बाद भी उस जगह से जुड़े तथ्य सेफ रहें। जैसे अगर किसी भयंकर आपदा में बहुत कुछ तबाह हो जाए और बहुत सालों बाद जमीन की खुदाई हो तो पुरातत्वविदों को पता चले कि अमुक जगह ये था। यानी टाइम कैप्सूल इतिहास को भविष्य के लिए संजोने की कोशिश है। राम मंदिर में कैप्सूल दबाने के पीछे भी यही मकसद है।

अयोध्या का राम मंदिर ऐसा पहला स्थान नहीं है जहां टाइम कैप्सूल रखा जा रहा हो। देश के कई ऐसे मशहूर और प्रतिष्ठित स्थान है जहां टाइम कैप्सूल रखा जा चुका है। इस फेहरिस्त में दिल्ली का लाल किला, कानपुर का आईआईटी कॉलेज और चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय शामिल है। इन संस्थानों से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां सहेजकर कैप्सूल के रूप में उसे दफना दिया गया है।

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