--डाॅ• इन्द्र बली मिश्र,
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,
वाराणसी-उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
भाद्रपद मास की संकष्टी चतुर्थी 07 अगस्त 2020 दिन शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है साथ ही उपवास भी रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश की पूजा होती है। मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस व्रत को फलदायी माना गया है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को ये व्रत रखा जाता है। गणेश जी को बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है। भक्तों के विघ्न और दुख हरने वाले गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।
बता दें कि संकष्टी चतुर्थी का तात्पर्य संकटों को हरने वाली चतुर्थी से है।
■ पूजन विधि
पौराणिक कथाओं के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना शुभदायक माना गया है। इस दिन भक्तों को संकट से उबारने के लिए गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। दिनभर उपवास रखें, फिर शाम के समय गणेश जी का षोडशोपचार पूजन करें। उन्हें पुष्प, अक्षत्, चंदन, धूप-दीप, और शमी के पत्ते अर्पित करें। गणेश जी को दुर्वा जरूर चढ़ाएं और लड्डुओं का भोग लगाएं। गणेश जी के मंत्रों (ॐ गं गणपतये नमः) का जाप करें। इसके बाद गणेश जी की आरती करें। रात में चंद्रमा को जल अथवा दूध से अर्घ्य दें। अंत में ब्राह्मण के लिए दक्षिणा और दान का सामान अलग कर दें। उसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण कर व्रत पूर्ण करें।
■ चंद्रोदय का समय - वाराणसी में रात्रि 09:16 से प्रारंभ होगा। यह समय अलग अलग स्थान के लिए अलग अलग हो सकता है।