जानिए किस दिन है कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व



--डाॅ• इन्द्र बली मिश्र,
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,
वाराणसी-उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु स्वयं आठवें अवतार के रूप मे जन्म लिए थे जिन्हें प्रभु श्री कृष्ण जी के नाम से जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए इस तिथि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग व्रत, पूजन और उत्सव मनाते हैं। कहीं भगवान की पालकी सजाई जाती है तो कहीं झांकी निकाली जाती है। लेकिन इस बार जन्माष्टमी तिथि का ऐसा पेच फंसा है, जिसको लेकर भक्तों के अंदर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 11, 12 और 13 अगस्त तीन दिन देखने को मिल रही है।

भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते। इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं। 11 अगस्त को सुबह 6 बजकर 14 मिनट के बाद अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी, जो 12 अगस्त सुबह 8 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 13 अगस्त को रात्रि 01 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन रात्रि 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।

■ 11 अगस्त को गृहस्थ वाले रखें व्रत

शास्त्रों में इस तरह की उलझनों के लिए एक आसान सा उपाय बता गया है कि गृहस्थों को उस दिन व्रत रखना चाहिए जिस रात को अष्टमी तिथि लग रही है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, 11 अगस्त दिन मंगलवार को गृहस्थ आश्रम के लोगों को जन्माष्टमी का पर्व मनाना सही रहेगा क्योंकि 11 की रात को अष्टमी है। गृहस्थ लोग रात में प्रभु श्री कृष्ण जी की पूजन एवं जागरण कीर्तन करें और 12 अगस्त को व्रत का पारण करें और कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाएं, जो कि श्रेष्ठ एवं उत्तम रहेगा।

जो लोग वैष्णव व साधु संत हैं वो 13 अगस्त को व्रत रख सकते हैं।

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