--डॉ• इंद्र बली मिश्र,
काशी हिंदू विश्वविद्यालय,
वाराणसी-उत्तर प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
पारंपरिक गणना आधारित पंचांगों में धनतेरस 12 नवंबर गुरुवार को शाम 6 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर 13 नवंबर शुक्रवार को दोपहर तीन बजकर 45 मिनट तक रहेगी। 12 नवंबर को प्रदोषकाल में त्रयोदशी विद्यमान है अतः 12 नवंबर को ही पर्व मनाना अधिक श्रेयस्कर होगा।
भगवान धन्वंतरी का जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धन्वंतरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है।
■ धनतेरस के मौके पर क्या खरीदें
1. लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय, व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढ़ाता है।
2. धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है, जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है और वही सबसे धनवान है।
3. भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता भी हैं, उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना की जाती है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
■ धनतेरस के दिन क्या करें
1. इस दिन धन्वंतरि का पूजन करें।
2. नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।
3. सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।
4. मंदिर, गोशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।
5. यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन और जेवर खरीदना चाहिए।
6.कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआँ, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं।
■ इस मंत्र का जब करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
● 12 नवंबर को खरीदारी एवं पूजन का का शुभ मुहूर्त : सायं काल 6:00 बजे से लेकर रात्रि 10:00 बजे तक।
● 13 नवंबर को खरीदारी का शुभ मुहूर्त : सुबह 5:59 से 10:06 बजे तक। सुबह 11:08 से दोपहर 12:51 बजे तक। दोपहर 3:38 मिनट से शाम 5:00 बजे तक।