--विजया पाठक (एडिटर- जगत विजन),
भोपाल-मध्य प्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
लंबे समय से उठ रही पत्रकारों को कोरोना योद्धा मानने की मांग को आखिरकार शिवराज सरकार ने सोमवार को स्वीकृति दे दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि पत्रकार साथी समाज और सरकार के बीच में अपनी जान हथेली पर लिए एक सेतु का कार्य़ निरंतर कर रहे है इसलिए सरकार ने उन्हें फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में रखने का निर्णय लिया है। यह मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ही है कि वो पत्रकारों के हित में निरंतर सोचते है और उनके लिए क्या बेहतर हो सकता है इस दिशा में निरंतर काम करते है। देखा जाए तो जब से प्रदेश में कोरोना ने दस्तक दी है, तभी से पत्रकारों ने बिना संक्रमण से डरे पूरे बचाव के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है।
विगत एक वर्ष से मैंने कई बार इस संबंध में पोस्ट लिखा कि इस करोना संकट में प्रदेशवासियों की तकलिफों को सरकार तक सेतु बनाकर खबर के रूप में पत्रकारों ने अपने कर्तव्य का पालन किया। विगत एक वर्ष से जनता के दुखो से सरकार को चेताया एवं जगाया। इस भयावक स्थिति में भी ग्राउण्ड रिपोर्टिंग करके पत्रकारों ने वास्तविक स्थिति से सरकार को अवगत कराया। पत्रकारों के बारे में सोचने के लिए मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तह दिल से आभार प्रकट करती हूँ। लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने प्रदेश के कई पत्रकारों को अपना निशाना बनाया है। इस दौरान कई ऐसे साथी पत्रकार है जिनकी संक्रमण के चलते मौत हो गई और उनके परिवार अकेले पड़ गए। क्योंकि कई ऐसे पत्रकार है चाहे वो श्रमजीवी हो या फिर अखबार, चैनल में काम करने वाले जिनके घरों में आय का एक मात्र वही सहारा थे और उनके चले जाने के बाद परिवार के सामने एक बड़ी आर्थिक चुनौति खड़ी हो गई थी। लेकिन निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री के इस निर्णय से उन तमाम परिवार के लोगों को एक संबल मिलेगा जिन्होंने इस महामारी के दौर में अपनों को खोया है। जाहिर है कि पत्रकार वर्ग बीते एक वर्ष से लगातार इस बात की मांग कर रहा था कि उन्हें भी फ्रंट लाइन वर्कर माना जाए।
मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय का स्वागत पत्रकारों से जुड़े सभी संगठन कर रहे है। लेकिन अभी भी इस निर्णय में जो ध्यान देने वाली बात है वह यह है कि प्रदेश में ज्यादातर ऐसे पत्रकार है जो अधिमान्य नहीं है लेकिन फिर भी वो लगातार संक्रमण के इस दौर में फील्ड पर अपनी ड्यूटी कर रहे है ऐसे में यदि सरकार उन्हें भी फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल कर लें तो यह समान अधिकार का एक बेहतर उदाहरण होगा। खेर, मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार से अन्य राज्य सरकारों को भी सीख लेना चाहिए कि उनके यहां काम करने वाले सभी पत्रकारों को वो फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए उन्हें कोरोना योद्धा की श्रेणी में लाए और उनके वैक्सीनेशन आदि की व्यवस्था को सुनिश्चित करें ताकि लोगों को इनका फायदा मिल सके।