केजरीवाल की राशन किट योजना का समर्थन कर पूरे देश में क्यों लागू नहीं करती मोदी सरकार



--विजया पाठक,
(एडिटर: जगत विजन),
नई दिल्ली, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर प्रधान मंत्री द्वारा रोक

■ आखिर केजरीवाल सरकार से इतन क्यों डरे हुए है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच चली आ रही खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। यही वजह है कि मोदी सरकार ने केजरीवाल सरकार की महत्वाकांक्षी घर-घर राशन पहुंचाने वाली इस योजना पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद से ही पूरे देश में यह चर्चा का विषय बन गया है कि आखिर मोदी सरकार को दिल्ली सरकार की इस योजना से क्या आपत्ति है।

देखा जाए तो केजरीवाल की इस योजना का केंद्र सरकार को समर्थन कर देश के सभी राज्यों में लागू करने जैसा निर्देश जारी करना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा करने के बजाय इस पर रोक लगाने का निर्णय ले लिया। यदि आज यह योजना पूरे देश में लागू होती है तो हर महीने अपना काम धंधा छोड़ घंटों लाइनों में राशन लेने के लिए खड़े लोगों को खासी राहत मिलेगी। उन्हें सड़ा गला और मिलावटी राशन से छुटकारा मिलेगा और घर बैठे इस सुविधा का लाभ हर परिवार ले सकेगा। हमेशा जनता के हित में सोचने वाली केंद्र सरकार का यह निर्णय बिल्कुल ठीक नहीं और इससे कहीं न कहीं मोदी सरकार का पक्षपात करने वाली सोच जाहिर होती दिखाई देती है।

जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार जनता के बीच चर्चित होती घर-घर राशन पहुंचाने वाली योजना को लेकर खटाई में पड़ गई है। क्योंकि वो राज्य में चुनाव के पहले एक के बाद एक जनता के हित में लिए जाने वाले फैसलो से कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी जनता के बीच में अपनी जगह बनाने में निरंतर कामयाबी हासिल करती जा रही है।

इससे पहले भी देखा गया है कि कोविड प्रबंधन हो या स्कूल शिक्षा हर क्षेत्र में केजरीवाल सरकार ने उत्कृष्ट कार्य कर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। अगर दिल्ली सरकार की घर-घर राशन पहुंचाने वाली योजना बनी रहती तो दिल्ली सरकार 72 लाख लोगों के घर तक राशन पहुंचाती। केंद्र सरकार को इसी पर आपत्ति थी। तर्क यह था कि राशन वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत किया जाता है। ऐसे में इसमें किसी तरह का बदलाव कोई राज्य नहीं कर सकता।

दिल्ली के खाद्य आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन ने कहा है कि निर्णय राजनीति से प्रेरित है। योजना को खारिज करते हुए उपराज्यपाल ने दो कारण बताए हैं। इसमें केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं है और कोर्ट में एक मामला चल रहा है। इन दोनों बिंदुओं की वैधता को खारिज करते हुए हुसैन ने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार ऐसी योजना शुरू करने के लिए किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। फिर भी हर स्तर पर केंद्र को अवगत किया गया। केंद्र से प्राप्त अंतिम पत्र के आधार पर आपत्तियों को भी दिल्ली मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया है।

वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद दिल्ली कैबिनेट ने योजना से ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नाम को हटाने और मौजूदा एनएफएस अधिनियम, 2013 के हिस्से के रूप में राशन की डोरस्टेप डिलीवरी को लागू करने का निर्णय पास किया है, यह केंद्र सरकार की सभी आपत्तियों को दूर करता है। इस योजना के तहत प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा, 1 किलो चावल और चीनी घर पर प्राप्त होता। वर्तमान में 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल और चीनी उचित मूल्य की दुकानों से मिलता है। योजना के तहत गेहूं के स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाता और चावल को साफ करके पैकेट में दिया जाता। राशन डीलर खराब गुणवत्ता वाला राशन नहीं देता। राशन की दुकानों के चक्कर नहीं लगाना पड़ता। केंद्र सरकार की ‘वन नेशन, वन कार्ड योजना’ को पूरा करती है यह योजना। बावजूद मोदी सरकार इसको लागू करने को लेकर आपत्ति जता रही है जो कि सीधे तौर पर गलत है।

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