सेवा परम धर्म व मुक्ति का द्वार भी



हल्द्वानी-उत्तराखंड,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

सेवा परमो धर्म:। सेवा धर्म ही अध्यात्म का प्रतिफल है। परमार्थ पथ पर अग्रसर होने वाले को सेवा धर्म अपनाना होता है। जिसके हृदय में दया, करुणा, प्रेम और उदारता है वही सच्चा अध्यात्मवादी है। इन सद्गुणों को दिव्य विभूतियों को जीवन क्रम में समाविष्ट करने के लिए सेवा धर्म अपनाने के अतिरिक्त और कोई मार्ग नहीं। भारतीय धर्म में दान का अत्यधिक महत्व है। दान में ही पुण्य है, पुण्य तभी होगा जब दान किया जाए। वास्तव में यदि प्रत्येक मनुष्य में सेवा करने का भाव हो तो मनुष्य जीवन सार्थक सिद्ध हो सकता है। सच मानिए सेवा करना एक परम धर्म है और मुक्ति का द्वार भी है जब हम दूसरों की सेवा करते हैं तो वास्तव में हम ईश्वर की सेवा ही करते हैं।

"सेवा परमो धर्म:" का एक बेहतरीन उदाहरण 'कात्यायनी फाउंडेशन हल्द्वानी' है। कोरोना काल में लोगों के बीच इनकी मौजूदगी और सेवा के अनेकों उदाहरण है। गत वर्ष प्लाजमा, बेड, ऑक्सीजन आदि चीजों का जरूरतमंदों के लिए उपलब्ध करवाना इनकी प्राथमिकता रहीं जो कि उन परिस्थितियों में आवश्यक रही। ज्ञात हो कि संस्था की आशा शुक्ला को लोग "मास्क वूमेन" के नाम से जानते है, कारण कि उन्होंने मास्क बेहिसाब वितरण करवाया व पहाड़ी क्षेत्र भी इससे अछूता न रहा। आज वेंटिलेटर, राशन, फल व जूस, पानी, मास्क, सोनिटाइजर वितरण को प्राथमिकता दे रही हैं।

बता दें कि कात्यायनी फाउंडेशन हल्द्वानी संस्था द्वारा पिछले दिनों के भांति ही गुरुवार को नैनीताल रोड व गौलापार हल्द्वानी पर जागरूकता अभियान चलाया गया। वहीं साथ ही जरूरतमंदों को मास्क, सेनिटाइजर, पानी और फलों का वितरण किया गया। इस दौरान आशा शुक्ला, कपिल अग्रहरि, शालीन शिखर शुक्ला, अतुल जायसवाल, विजय साहू आदि सेवा कार्य में सहृदयतापूर्वक सक्रिय रहे।

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