--के• विक्रम राव
अध्यक्ष - इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स।
परिवार की विपन्नता क्रिकेट का सितारा बनने में बाधक नहीं हो सकती है। इसको बिहार (समस्तीपुर) के 14-वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने साबित कर दिया। इसे बालक कहेंगे, युवक भी नहीं। उसके पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने उपजाऊ खेत बेच दिए ताकि बेटे वैभव को कोचिंग कराई जा सके। हालांकि वैभव के शरीर से बाल्यावस्था की चर्बी ज्यों की त्यों अभी भी बनी है। मगर दमदार शॉट लगाने और शरीर के आकार को बनाए रखने में वह प्रयासरत रहा। दस साल की आयु से नेट पर रोजाना 600 गेंदों का सामना करता था। उसके पिता भी अपने इस लाडले बेटे के लिए दस अतिरिक्त टिफिन बॉक्स लेकर जाते थे। सब काम आ गए। नतीजा सामने है। वैभव करोड़पति बन गए। याद दिला दें कि पिछले साल आईपीएल मेगा नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने वैभव सूर्यवंशी को 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा था। 27 मई 2011 को जन्में वैभव लिस्ट में सबसे युवा खिलाड़ी थे। उन्होंने जनवरी 2024 में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू बिहार के लिए किया था। तब उनकी उम्र 12 साल और 284 दिन थी।
पिछले साल वह चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय अंडर-19 टीम का हिस्सा थे। तब उन्होंने 58 गेंदों में शतक जड़कर सुर्खियों का बाजार गर्म किया था। बिहार के लिए सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में वैभव ने टी20 डेब्यू किया। उन्हें एक मैच में मौका मिला, लेकिन कुछ खास नहीं कर सके। वह एसीसी अंडर-19 एशिया कप 2024-25 में सातवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बैटर बने। उन्होंने पांच मैचों में 176 रन बनाए, जिसमें सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 76 रन है।
इस छोकरा के बारे में एक हिंदी कहावत सही साबित होती है कि "बेहतरीन लोग इत्तेफाक से मिलते हैं।" अर्थात अच्छे लोग आपकी जिंदगी में अचानक, बिना किसी योजना के आते हैं, और ये मुलाकातें एक भाग्यशाली संयोग होती हैं।
वैभव की कोच कर्नाटक के राहुल द्रविड़ कल रात सवाई मानसिंह पवेलियन में सबसे खुश दर्शक थे। वे इस किशोर वैभव की कोच हैं।
वैभव का क्रिकेट सफर असाधारण था। सूर्यवंशी ने 12 साल की उम्र में बिहार की अंडर-19 टीम के लिए वीनू मांकड़ ट्रॉफी खेली थी। उन्होंने जनवरी 2024 में 12 वर्ष और 284 दिन की उम्र में मुंबई के खिलाफ बिहार के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। ऐसा करने पर, वह बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बन गए, और कुल मिलाकर चौथे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी। वह युवराज सिंह (15 वर्ष और 57 दिन) का रिकॉर्ड तोड़ते हुए आधुनिक युग में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए, अलीमुद्दीन ने राजपुताना के लिए 1942-43 सीज़न में सिर्फ 12 साल और 73 दिन की उम्र में सबसे कम उम्र के भारतीय प्रथम श्रेणी पदार्पण का समग्र रिकॉर्ड अपने नाम किया।
आईपीएल में दूसरा सबसे तेज शतक उसने 11वें ओवर की दूसरी गेंद पर राशिद खान की बॉल पर छक्का जड़कर 35 गेंद पर शतक पूरा कर लिया। यह आईपीएल में दूसरा सबसे तेज शतक है।
तुलनात्मक रूप से भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को वैभव सूर्यवंशी ने मिलों पीछे छोड़ दिया है। सचिन किसी भी मैच के 11 खिलाड़ियों में नहीं रहे, एक्स्ट्रा फील्डर के रूप में खेलते थे। 15 साल की आयु में गुजरात के खिलाफ सैकड़ा बनाया था।