--विजया पाठक
एडिटर - जगत विजन
भोपाल - मध्यप्रदेश, इंडिया इनसाइड न्यूज।
● कर्नल सौफिया और सेना का मजाक बनाने वाले नेताओं पर नहीं ले पाया कोई एक्शन?
● पहले विजय शाह, फिर देवड़ा और अब हरियाणा के सांसद रामचंद्र जांगड़ा का शर्मनाक बयान, लेकिन भाजपा नेताओं ने साधी चुप्पी
● जनता के हित में लिये गये फैसले और उठाई गई आवाज के लिये विधायक चिंतामणी मालवीय बने पार्टी और मुख्यमंत्री के आंख का कांटा
● बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा क्यों नहीं ले रहे एक्शन?
खुद को जनता का हितैषी और जनकल्याण के लिए समर्पित राजनीतिक पार्टी बताने वाली भारतीय जनता पार्टी के दो अलग-अलग रूप देखने को मिल रहे हैं। देश की आन-बान और सेना की अफसर कर्नल सौफिया कुरैशी पर अभद्रजनक टिप्पणी करने वाले कैबिनेट मंत्री विजय शाह की इस अभद्रता पर उनसे इस्तीफा लेने के बजाय उन्हें गुपचुप ढंग से संरक्षण देने का काम कर रही है। यही नहीं प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा खुद देश की शान सेना के जवानों को प्रधानमंत्री मोदी के पैरों में नत्मस्तक होने की बात कह रहे हैं। हद तो तब हो गई जब हरियाणा के सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने अपना सुहाग खो चुकी तमाम महिलाओं को कमजोर बताते हुए बिगड़ैल बयानबाजी की है। सवाल यह है कि क्या भाजपा नेतृत्व इतना बेबस हो गया है कि अपने नेता, मंत्रियों और सांसदों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। यही नहीं जबलपुर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के फैसलों की अनदेखी करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा शाह से इस्तीफा नहीं ले पा रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि वीडी शर्मा विजय शाह जैसे बिगड़ैल बोल बोलने वाले मंत्री को मंत्री पद से और पार्टी से बाहर नहीं कर पा रहे हैं। इतने समय के बाद भी अभी तक शाह पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वहीं, दूसरी तरफ गरीब किसानों के हित में आवाज उठाने वाले विधायक चिंतामणि मालवीय को पार्टी के नियमों का उल्लंघन बताकर कारण बताओ नोटिस थमा दिया जा रहा है।
• पार्टी की मर्यादा को किया शर्मसार
देखा जाये तो भाजपा नेताओं द्वारा दिये गये इन अभद्र बयानों ने न सिर्फ पार्टी की छवि को धूमिल किया है, बल्कि पार्टी की मर्यादा को शर्मसार किया है। यही नहीं बेलगाम बयानबाजी की पहचान रखने वाले मंत्री विजय शाह, जगदीश देवड़ा और सांसद रामचंद्र रामचंद्र जांगड़ा ने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और कुशाभाऊ ठाकरे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे राजनेताओं के मूल्यों को तार-तार कर दिया है। इन नेताओं के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण आज पूरे देश में और विदेश में मध्यप्रदेश की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचा है।
• पूर्व मंत्री ऊषा ठाकुर को भी करना चाहिए बर्खास्त
आश्चर्य की बात यह है कि जिस समय महू में आयोजित कार्यक्रम में विजय शाह सेना के शौर्य को शर्मसार करने वाला बयान दे रहे थे। उस समय बाजू मे कुर्सी में बैठी पूर्व मंत्री ऊषा ठाकुर तालियां बजा रही थीं। उन्होंने एक बार फिर शाह के इस बयान पर आपत्ति नहीं लेने का विचार नहीं किया और महिला सेना अधिकारी की शर्मसार होती वीरता पर बेशर्मों की तरह तालियां ठोकती रहीं। नियमानुसार पार्टी को तत्काल प्रभाव से ऊषा ठाकुर को भी निलंबित करना चाहिए।
• आखिर कसूर क्या है विधायक मालवीय का?
देखा जाये तो चिंतामणी मालवीय अपनी जगह बिल्कुल ठीक है। अगर उनका कोई दोष है तो वह यह कि वे उज्जैन संभाग के अलोट विधानसभा सीट से विधायक हैं और उनके सामने मुख्यमंत्री मोहन यादव मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में खड़े रहते हैं। ऐसे में विधायक मालवीय उज्जैन की जनता के साथ किसी भी तरह का गलत होते देख चुप नहीं बैठते और तुरंत जनता के हित में लड़ाई शुरू कर देते हैं। ऐसे में मालवीय की लोकप्रियता बढ़ती देख न सिर्फ मोहन यादव बल्कि उज्जैन के अन्य नेता भी दंग रह गये हैं। यही कारण है कि वे मुख्यमंत्री यादव के साथ मिलकर चिंतामणी मालवीय के खिलाफ मंत्रणा करते दिखाई पड़ते रहे हैं। कुल मिलाकर मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि मालवीय का कसूर क्या है। जबकि महिला सेना के अफसरों पर अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले मंत्रियों को अभयदान दिया जा रहा है।
• इसलिए मुख्यमंत्री की आंख में खटक रहे मालवीय
दरअसल विधायक मालवीय ने पिछले दिनों विधानसभा में बजट सत्र के दौरान उन्होंने उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण, किसानों की भूमि के स्थायी अधिग्रहण और कॉलोनाइजर्स व भू-माफियाओं की साजिश का मुद्दा उठाया था। उन्होंने किसानों की भूमि का स्थाई अधिग्रहण व सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थाई निर्माण पर जनता की आवाज से सरकार को अवगत करवाया था। डॉ. मालवीय की मजबूत आवाज से किसानों में उत्साह देखा गया। उनके उज्जैन आगमन पर किसान आंदोलन समिति ने भव्य स्वागत किया और आभार व्यक्त किया। यही कारण है कि चिंतामणी मालवीय आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की आंखों के काटे के रूप में खटक रहे हैं।
• अपने हक के लिये किसके पास जायेगी जनता
लोकतंत्र में हर विधायक और सांसद को अपने क्षेत्र की जनता के हितों के लिए काम करने और निर्णय लेने का अधिकार है। यही कारण है कि जनता जब भी परेशान होती है तो वह अपने क्षेत्र के विधायक या सांसद के पास जाकर उस समस्या का निराकरण कराने की गुहार लगाती है। ऐसे में चिंतामणि मालवीय ने भी वही किया जो एक विधायक को करना चाहिए था। उन्होंने अपने विधानसभा और जिले के किसान भाईयों के साथ हो रहे धोखाधड़ी के खिलाफ आवाज उठाई जिसके लिए उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया गया है।