नई दिल्ली,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।
मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अवसर पर मनाया जाता है। इस घोषणा को विश्व भर में मानवाधिकारों की रक्षा के मानक के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में अपनाया और उसे मान्यता दी।
इस वर्ष के मानवाधिकार दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र का विषय है – ‘यूथ स्टेंडिंग अप फॉर ह्यूमन राइट्स’। युवाओं को परिवर्तन के एजेंटों के रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा। उन्हें नस्लवाद, नफरत फैलाने वाले भाषणों, डराने-धमकाने, भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया जाएगा तथा अन्य मुद्दों के अलावा जलवायु के प्रति न्याय के लिए संघर्ष करने और अधिकारों को बढ़ावा देने तथा उनके संरक्षण में बड़ी संख्या में विश्व के लोगों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
आयोग ने मंगलवार 10 दिसंबर, 2019 को मानवाधिकार दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में एक समारोह आयोजित किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में इस समारोह को संबोधित करेंगे। एनएचआरसी के अध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच• एल• दत्तू भी समारोह को संबोधित करेंगे और एनएचआरसी की पत्रिका तथा मानवाधिकारों पर पुरस्कार विजेता लघु फिल्म की डीवीडी जारी करेंगे। शाम को नई दिल्ली स्थित मानवाधिकार भवन में एक अन्य समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें तीन विजेताओं को एनएचआरसी लघु फिल्म पुरस्कार – 2019 प्रदान किए जाएंगे।
आयोग 12 अक्टूबर, 1993 को अस्तित्व में आया और उसके बाद से वह मानवाधिकारों की संस्कृति को बढ़ावा देने में लगा है। दुनिया के अधिकतर मानवाधिकार संस्थानों की तरह एनएचआरसी संसद द्वारा पारित मानवाधिकार संरक्षण कानून के अनुसार एक संस्तुतिपरक संगठन है, लेकिन यह प्रावधान सरकार द्वारा स्वीकार की गई आयोग की अधिकतर सिफारिशों के बीच में नहीं आया है, जिससे लोगों का इसमें विश्वास बना हुआ है। यह इस बात से पता चलता है कि हर वर्ष इसमें शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है।
आयोग के कार्यों में संविधान अथवा किसी अन्य कानून के अंतर्गत प्रदत्त सुरक्षा की समीक्षा करना, अंतर्राष्ट्रीय घोषणापत्रों के प्रभावी कार्यान्वयन की सिफारिश करना, मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर अनुसंधान, सेमिनार और चर्चाएं आयोजित करना, मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना तथा मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
आयोग ने बंधुआ मजदूरों और बाल श्रम, जेल सुधारों, स्वास्थ्य के अधिकार, खाद्यान्न के अधिकार, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों, सिलीकोसिस, अवैध क्लीनिकल ड्रग ट्रायल, खाद्य वस्तु्ओं में कीटनाशक दवाओं, दवाओं के मूल्य, कॉरपोरेट-सामाजिक दायित्वत, मैला ढोना और स्वच्छता, महिलाओं के मानवाधिकारों जैसे प्रमुख मुद्दों पर अनेक बार हस्तक्षेप किया है।
आयोग ने इस वर्ष अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए अनेक नई पहल की हैं। उसने अपनी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रणाली को देश के विभिन्न भागों में मौजूद तीन लाख साझा सेवा केन्द्रों से जोड़ा है। इससे सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को अपनी शिकायतें तेजी से दर्ज कराने में मदद मिली है। इसने एचआरसी के टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 14433 की सेवाएं शुरू की हैं। राज्य के अधिकारी इस पोर्टल का इस्तेमाल करते हुए एनएचआरसी के पास ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं, इससे मानवाधिकारों के उल्लंघन के शिकार लोगों को राहत प्रदान करने में होने वाली देरी से बचा जा सकेगा। आयोग ने मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए इस वर्ष राज्य के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग शुरू की है।
आयोग द्वारा इस वर्ष की गई एक अन्य महत्वपूर्ण पहल यह है कि मानवाधिकारों पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीएचआर) तैयार करने के लिए उसका एक कार्यबल स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसमें अन्य साझेदारों के अलावा विभिन्न मंत्रालयों, एनजीओ, नागरिक समाज और एनएचआरसी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह सरकार के प्रमुख मानवाधिकार मुद्दों के समाधान में तेजी लाने में मदद करेगा, जिनका लक्षित दृष्टिकोण के साथ निपटारा जरूरी है, ताकि एक निरंतर चलने वाली व्यवस्था के जरिए देश में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार किया जा सके।