देश में नई तिलहनी क्रांति की जरूरत: डॉ• पी• के• राय



--एकलव्य कुमार,
भरतपुर-राजस्थान, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से चार दिवसीय आदिवासी किसान प्रशिक्षण एवं नदबई तहसील के न्यौठा गाँव में सरसों प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान निदेशालय के निदेशक डॉ• प्रमोद कुमार राय ने किसानों को संबोधित किया। डॉ• राय ने कहा कि इस प्रदेश के किसानों की आर्थिक तरक्की में सरसों की फसल का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि सरसों अनुसंधान निदेशालय की स्थापना के बाद देश और विशेषकर राजस्थान में राई-सरसों की खेती को नई दिशा मिली है।

• तिलहनी क्रांति की जरूरत

डॉ• पी• के• राय ने कहा कि देश को खाद्य तेलों में दूसरे देशों पर निर्भरता घटाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए राई-सरसों की उत्पादकता बढ़ानी होगी। इसके लिए विशेष प्रयासों के साथ नई तिलहनी क्रांति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के उत्तर पूर्वी राज्यों विशेषकर असम, मणिपुर और झारखण्ड की कृषि जलवायु एवम सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियां राई-सरसों की खेती के अनुकूल है। धान की खेती के बाद खाली खेतों में किसान राई - सरसों की खेती कर लाभ उठा सकते हैं। छोटी जोत और पानी की कमी वाले इलाकों में अन्य फ़सलों की तुलना राई-सरसों की खेती लाभदायक है।

• कई योजनाएं चला रही है सरकार

वहीं इस मौके पर परियोजना निदेशक 'आत्मा', भरतपुर योगेश शर्मा ने कहा कि सरकार किसानों के हितों के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है। किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिये। साथ ही उन्होंने कहा कि खेती से आमदनी बढ़ाने के लिए किसानों को कृषि विविधीकरण को अपनाना होगा।

कार्यक्रम के दौरान प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ• अशोक शर्मा ने बताया कि आदिवासी उप योजना के तहत चयनित आदिवासी क्षेत्रों के किसानों के विकास के लिए सरसों अनुसंधान निदेशालय कार्य कर रहा है। इस कड़ी में निदेशालय की ओर से आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें झारखंड के पूर्वी और पश्चिमी जिलों के 46 आदिवासी किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यक्रम 26-29 फरवरी तक चला। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को सरसों उत्पादन की उन्नत शस्य क्रियाओं, राई-सरसों की उन्नत किस्मों,मिट्टी की जांच, कीट एवम रोग और खरपतवार प्रबंधन आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षणार्थी किसानों ने इस दौरान व्यावहारिक अनुभव के लिए निदेशालय के अनुसंधान प्रक्षेत्रों और न्यौठा गांव में स्थानीय किसानों के खेतों पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन में लगाई गई आर.एच.725 और सी.एस-60 किस्मों का कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों के साथ अवलोकन किया और उपज क्षमता का आकलन कर चर्चा की।

न्यौठा में आयोजित सरसों प्रक्षेत्र दिवस के अवसर पर निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ• अरुण कुमार ने राई-सरसों की उन्नत किस्में, वैज्ञानिक डॉ• मुरलीधर मीना ने सरसों में पोषक तत्व प्रबंधन, डॉ• अर्चना अनौखे ने राई-सरसों में कीट प्रबंधन, डॉ• प्रशांत यादव ने कृषि में जैव प्रौद्योगिकी का महत्व, वीरेश भागौर ने किसान उत्पादक संघों के बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में आदिवासी किसानों के साथ 200 स्थानीय किसानों और महिलाओं ने शिरकत की।

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