लोक सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का प्रारंभिक पाठ



नई दिल्ली, 08 फरवरी 2019, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

॥■॥ लोक सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का प्रारंभिक पाठ (07 फरवरी 2019)

अध्‍यक्ष महोदया, मैं माननीय राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण पर उन्‍हें धन्‍यवाद देने के लिए उपस्थित हुआ हूं। इस बार के सम्‍बोधन में राष्‍ट्रपति जी ने जिस प्रकार से देश को दिशा दी है, सरकार के विजन की व्‍यवस्‍था की है। इस सरकार के मुखिया के नाते मैं उनका हृदय से आभारी हूं। सरकार की पहचान ईमानदारी के लिए है। इस सरकार की पहचान पारदर्शिता के लिए है। गरीबों के लिए संवेदना के लिए है, राष्‍ट्रहित को सर्वोपरि रखने के लिए है, भ्रष्‍टाचार पर कार्यवाही करने के लिए है और तेज गति से काम करने के लिए है। वो टीवी का दृश्‍य अभी भी याद है जब नोटों को ऐसे-ऐसे जेब में रखा जाता था। आज इस चर्चा में आदरणीय मल्लिकार्जुन खड़गे जी, श्रीमान भर्तृहरि जी, श्री वेणुगोपाल जी, हरसिमरत जी कौर बादल, श्रीमान दिनेश त्रिवेदी जी, श्री मोहम्‍मद सलीम जी, श्रीमान सौमित्र खान जी, ऐसे अनेक सभी आदरणीय सदस्‍यों ने अपने विचार रखे हैं, अपनी राय रखी है।

एक सार्थक चर्चा का प्रयास हुआ है और सदन ने इन सबको जिस प्रकार से सुना, उनकी बातों को प्रोत्‍साहित किया, इसलिए विचारों की अभिव्‍यक्ति वाले भी और विचारों को प्रोत्‍साहन देने वाले इस पूरे सदन का मैं धन्‍यवाद करता हूं। कुछ आलोचनाएं भी हुई। कुछ सिर पैर के बिना की बातें हुई। कुछ अपने मन को जो अच्‍छा लगता है, वो भी यहां बार-बार बोलने की आदत वालों ने बोल भी दिया। लेकिन मैं मानता हूं कि चुनाव का वर्ष है तो स्‍वाभाविक है हर किसी न किसी की कुछ न कुछ मजबूरी है। कुछ तो बोलना ही पड़ता है और इसलिए वो प्रभाव रहना बड़ा स्‍वाभाविक है, लेकिन यह भी सही है कि हम लोग यहां से जाने के बाद जनता, जर्नादन को अपना काम-काज, लेखा-जोखा देने वाले हैं, क्‍योंकि चुनाव का वर्ष है तो हमकों जनता को जा करके अपना हिसाब देना है और मैं आप सभी को आगामी चुनाव में Healthy Competition के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। करोड़ों युवाओं का भी मैं अभिनंदन करना चाहता हूं, जो इस शताब्‍दी में पहली बार इस चुनाव में Parliament के लिए वोट देने वाले हैं। वे सभी अभिनंदन के अधिकारी है, क्‍योंकि वोट डालना या मताधिकार प्राप्‍त करना यह छोटी घटना नहीं है। और हमें भी हमारी इस नई पीढ़ी को जो पहली बार 21वीं शताब्‍दी के Parliament के चुनाव के वोट बनने वाले हैं, उनका स्‍वागत भी करना चाहिए, क्‍योंकि वे एक प्रकार से देश की नीति निर्धारक उस प्रक्रिया के वो हिस्‍सेदार बनने जा रहे हैं और इसलिए मैं उन नये मतदाताओं को, युवाओं को अनेक-अनेक बधाईयां देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि नई पीढ़ी राष्‍ट्र को दिशा देने में अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।

आदरणीय स्‍पीकर महोदय, जब हम New India की बात करते हैं, एक आशा और विश्‍वास की बात करते हैं। और यह भी सही है कि निराशा की गर्त में डूबा हुआ व्‍यक्ति या समाज न खुद के लिए कुछ करता है, न उस पीढ़ी के लिए कुछ कर पाता है, कर वो ही सकते है जो आशा और विश्‍वास से भरे होते हैं। रोना रोने वालों को पांच-दस लोग अगल-बगल से आश्‍वासन देने के लिए मिल जाएंगे, लेकिन परिवर्तन का संकल्‍प करने वाले लोग उनके पास फटकते नहीं हैं कभी। अब जब मैं New India की बात करता हूं तो मैं स्‍वामी विवेकानंद जी की बात को प्रस्‍तुत करना चाहूंगा। स्‍वामी विवेकानंद जी ने कहा है – “अतीत में जिस दौर से हमें गुजरना पड़ा, वह सभी आवश्‍यक थे, क्‍योंकि विनाश का जो काल बीच-बीच में आया उससे निकल करके ही भविष्‍य का भारत आ रहा है। वह अंकुरित हो चुका है, उसके नये पल्‍लव निकल चुके हैं, और उस शक्तिशाली वृक्ष, विशाल काय वृक्ष का उगना शुरू हो चुका है।” विपरीत परिस्थितियों में विकास की आस, विश्‍वास यही देश को आगे ले जाता है। चुनौतियों को चुनौती देना यह देश का स्‍वाभाव होता है, वही देश चुनौतियों को परास्‍त करता है। जो चुनौतियों से डरकर भागते हैं वो नई-नई चुनौतियों को मोल लेते हैं। और इसलिए चुनौतियों को ही चुनौती देना सामान्‍य मानव की आशाओं-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हम पूरी ताकत से जुटे हुए हैं।

आज यहां 1947 से कुछ बातें बताई गई। अच्‍छी बात है। लेकिन कभी लगता है कि हम जब इतिहास की बात करते हैं तो two period की चर्चा करते हैं। BC and AD आज जो मैंने भाषण सुना की 47 से 14 तक तो मुझे लगता है कि शायद बीसी और एडी की उनकी एक अपनी व्‍याख्‍या है। बीसी की उनकी व्‍याख्‍या है Before Congress मतलब कि कांग्रेस के पहले कुछ नहीं था देश में। सब तबाह था, गर्त में था। और एडी का मतलब है After dynasty. यानि जो कुछ भी हुआ वो उन्‍हीं के बाद हुआ, लेकिन आखिर के किसी काम को comparative देखना ही पड़ा है और वो बुरा है, ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है, हमें इतना विचलित नहीं होना चाहिए।

साढ़े चार साल पहले क्‍या होता था और आज क्‍या है, साढ़े चार साल में किस प्रकार से हम आगे बढ़े हैं। भारत साढ़े चार साल में 10वें, 11वें नंबर की अर्थव्‍यवस्‍था से आज छठें नम्‍बर पर पहुंच गया है और यह भूलिये मत कि जब 11 नंबर पर पहुंचे थे, तो इसी सदन में यहां पर बैठे हुए लोगों ने जो कि आज वहां भी नहीं दिखते हैं उन्‍होंने 11 पर पहुंचने का बड़ा गौरवगान किया था। मैं समझ नहीं पाता हूं, जिनको 11 पर पहुंचने पर गौरव दिखता था उनको छह पर पहुंचने पर पीड़ा क्‍यों है, दर्द क्‍यों है? पहले की तुलना में सबसे ज्‍यादा foreign direct investment आज भारत में है। Make In India की ताकत manufacturing के नये प्रतिमान प्रस्‍थापित कर दिये। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा steel producer आज भारत है, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन बनाने वाला भारत है, दुनिया का सबसे चौथा Auto Mobile Manufacturer आज हिन्‍दुस्‍तान है। फसलों और दूध का रिकॉर्ड उत्‍पादन आज भारत कर रहा है। Internet Data सबसे सस्‍ता और Internet Data सबसे ज्‍यादा consumption अगर दुनिया में हीं है तो हिन्‍दुस्‍तान है। start of eco system ने जिस प्रकार से अपनी जगह बनाई, अपनी जगह जमाई है आज बड़ी-बडी़ multinational को भी वो चुनौती दे रहा है। aviation sector सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। लेकिन विपक्ष में है, विरोध करना जरूरी है। विरोध करना चाहिए, मोदी की आलोचना करनी चाहिए, हमारी नीतियों की आलोचना करनी चाहिए। अच्‍छी बात है, लोकतंत्र में बहुत जरूरी भी है। लेकिन मैं देख रहा हूं कि हम मोदी की आलोचना करते-करते, बीजेपी की आलोचना करते-करते देश की बुराई करने में लग जाते हैं, इसलिए देश पीछे है। हम में से किसी को भी गलती से भी देश की बुराई हो ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। बहुत सी बातें हैं लंदन में जा करके press conference कर करके देश की क्‍या इज्‍जत बढ़ा रहे हो? झूठी press conference करके और आप मुझे पूछ रहे हो कि क्‍या कुछ नहीं कहा। अच्‍छा है मैं अपनी मर्यादा में रहूं, वो ही ज्‍यादा अच्‍छा है।

आज हमारे खड़गे जी, बता रहे थे कि मोदी जी जो बाहर public में बोलते हैं, राष्‍ट्रपति जी ने वही बात सदन में भी कही है। मतलब यह सिद्ध हो गया कि सत्‍य बोलने वालों को बाहर झूठ न बोलना, अंदर अलग बोलना ऐसा नहीं है। जो सच बोलता है, वो बाहर भी वही बोलना है, अंदर भी वही बोलना है, तो मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने इस बात को रजिस्‍टर किया कि हम सच बोलते हैं, public meeting में भी सच बोलते हैं, जनसभा में भी सच बोलते हैं, लोकसभा में भी सच बोलते हैं। और प्रधानमंत्री जी भी सच बोलते हैं, राष्‍ट्रपति जी भी सच बोलते हैं। अब आपकी मुसीबत है कि सच सुनने की आदत भी चली गई है।

आपने कहा मोदी संस्‍थाओं को खत्‍म कर रहा है, बर्बाद कर रहा है। हमारे यहां एक कहावत है – उल्‍टा चोर चौकीदार को डांटे। आप जरा बताइये मुझे लगता है कि विचार करने की आवश्‍यकता है। देश में आपातकाल थोपा कांग्रेस ने, लेकिन कहते हैं कि मोदी बर्बाद कर रहा है। सेना को अपमानित किया कांग्रेस ने, कहते हैं मोदी बर्बाद कर रहा है। देश के सेना अध्‍यक्ष को गुंडा कहा, कहते हैं कि मोदी institute बर्बाद कर रहा है। कहानियां गढ़ी जाती है तख्‍ता पलट करने की और कितना बड़ा हिन्‍दुस्‍तान की सेना की इज्‍जत को कितना बड़ा गहरा दाग लगा दिया है। आपको मालूम नहीं है, आपने हफ्ते, शायद दो हफ्ते राजनीति कर ली होगी। यह जो आपने पाप किया है मैं समझता हूं हमारी सेना के दिलों पर जो घांव लगा है, भारत की सेना तख्‍ता पलट करने का काम करे यह आजादी के इतने सालों में अच्‍छे दिन आए हो, बुरे दिन आए हो, weak प्रधानमंत्री रही हो, weak government रही हो। एक सरकार रही हो, मिलीजुली सरकार हो, कभी देश की सेना ने ऐसा पाप नहीं किया। हम यह बातें कहते हैं, just अपनी राजनीत‍ि के लिए और इसलिए मैं मानता हूं कि यह बहुत बुरा किया है उन लोगों ने। हमें जिम्‍मेवारिक लोग हैं और शासन में बैठे लोगों के द्वारा इस प्रकार की बातें हों, और आप कहे कि हम संस्‍थाओं को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।

चुनाव आयोग, इस देश का चुनाव आयोग विश्‍व के लिए गौरव का केंद्र बन सकता है। छोटी-मोटी शिकायतें रहने के बाद भी सभी राजनीतिक दल चुनाव आयोग के निर्णयों को मान करके चल रहे हैं। क्‍या हम उसको भी बर्बाद करके रहेंगे। हम आज इस पर बर्बाद करने में लगे हुए हैं, क्‍या हम उसकी दिशा में भी कुछ सोच सकते हैं क्‍या? उसी प्रकार से अपनी भी विफलता ईवीएम पर... मैं तो हैरान हूं, देश बजट की चर्चा करता है और यह ईवीएम का रोना रो रहे हैं। आप इतने डरे हुए… क्‍या हो क्‍या गया है आप लोगों को?

न्‍यायपालिका को कांग्रेस धमकाती है, मैं जिस प्रकार से न्‍यायपालिका के निर्णय को कांग्रेस से जुड़े हुए लोग जिस प्रकार से बयानबाजी कर रहे हैं, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा। न्‍यायपालिका का निर्णय अच्‍छा हो, बुरा हो, लेकिन उसका सम्‍मान इसलिए किया जा रहा है, क्‍योंकि ये institution आखिर बचानी पड़ेगी। लेकिन हमें पसंद न हो, तो कुछ भी बोल दें, कुछ भी बुलवा लें, कुछ भी लिखवा दें। आप पूरी judiciary को डराने के लिए महाभियोग के नाम से पूरी व्‍यवस्‍था को हिलाने की कोशिश की है और आप हमें कह रहे हो।

यह कांग्रेस पार्टी है, जिसने योजना आयोग को planning commission को जोकरों का समूह कहा था। मालूम है न किसने कहा था? आज आप planning commission के इतने गीत गा रहे थे, उसी planning commission को आपके एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री ने जोकरों का समूह कहा था। institution का सम्‍मान... एक शब्‍द पकड़ लिया, लेकिन बाकी अपना तो कारोबार देखो जरा। 356 का दुरूपयोग, 100 बार, करीब-करीब सौ बार आपने किया। चुनी हुई सरकारों को आपने बर्खास्‍त कर दिया। और श्रीमती इंदिरा गांधी ने अकेली ने पचास बार किया उसका उपयोग, पचास बार सरकारों को गिराया और यह 2019 किस चीज की anniversary है, याद करे, जरा मैं केरल के मित्रों को कहना चाहता हूं केरल तो 1959 में जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे और इंदिरा जी कांग्रेस की अध्‍यक्षा थी, वो केरल गईं थी, पता नहीं क्‍या देखा, क्‍या-क्‍या पाया क्‍या सुना, आते ही केरल की कम्‍युनिस्‍टों की चुनी हुई सरकार को बर्खास्‍त कर दिया ये 2019 anniversary है। आप संस्‍था‍ओं की मान-सम्‍मान की बातें करते हो। किस प्रकार से आपने देश के साथ आपने एनटीआर के साथ क्‍या किया, आपने एमजीआर के साथ क्‍या किया।

इतना ही नहीं आपने मंत्रिमंडल के निर्णय, कैबिनेट का decision press conference में जाकर कैसे फाड़ा। कौन सी sanctity, कौन सी संस्‍थाओं का सम्‍मान और अब इसलिए कृपया करके मोदी पर उंगली उठाने से पहले ये आपको पता होना चाहिए, आपकी चार उंगली आपकी तरफ होती है। और इसलिए आमतौर पर मेरी, खड़गे जी एक decent व्‍यक्ति हैं लेकिन पता नहीं क्‍या मजबूरी है, किस मुसीबत में फंसे हैं। कि एक decent व्‍यक्ति हर बार dissent, हर बार dissent, हर बार dissent लेकिन मैं आप dissent है इस बात को तो मैं सदन के सामने कहूंगा, जरूर कहूंगा, और ये बात नहीं है आज उन्‍होंने कहा कि मैं जरा first aid करीब 36 घंटे के बाद पूछ रहे थे, first aid की जरूरत है क्‍या। तो आप एक सीनियर व्‍यक्ति के नाते हम जैसे लोगों की चिंता कर रहे हैं इसलिए मैं आप का आभारी हूं।

अध्‍यक्ष महोदया जी, इन सारी मुसीबत के मूड में एक सबसे बड़ा कारण ये है, कि एक गरीबी से उठा हुआ इंसान जिसने कभी दिल्‍ली के गलियारे देखे नहीं थे। उसने इतनी बड़ी सल्‍तनत को चुनौती दे दी। वो पचा नहीं पा रहे हैं। वे ये मानकर चलते है कि हम तो ये देश पर गद्दी हमारे मालकिन की है। वो ऐसा एक कोने में पड़ा हुआ इंसान आकर यहां, ये बात इनके दिमाग से जाती नहीं है। वो जो नशा है, वो नशा परेशानी का कारण है।

आदरणीय अध्‍यक्ष महोदया अब जरा हिसाब की बातें चल रही थी कि हमारी सरकार, तुम्‍हारी सरकार तो मैं भी बता दूं। 55 साल मेरे 55 महीनें, 55 साल मेरे 55 महीनें, देखिए स्‍वच्‍छता का दायरा 55 साल में 2014 तक 40 प्रतिशत था। आज साढ़े चार साल के 55 महीने के अंदर 98 प्रतिशत पहुंच गया है। साढ़े चार साल में दस करोड़ से ज्‍यादा शौचालय बने हैं। और जो लोग कहते हैं कि ये सरकार अमीरों के लिए है। मुझे खुशी है कि मेरे देश के 10 करोड़ अमीरों के लिए मैंने शौचालय बनाये हैं। वही मेरे अमीर हैं, वही मेरा ईमान है। वही मेरी जिंदगी है। उन्‍हीं के लिए जीता हूं, उन्‍हीं के लिए यहां आया हूं। गैस कनेक्‍शन 55 साल में 12 करोड़ गैस कनेक्‍शन और 55 महीने में 13 करोड़ गैस कनेक्‍शन और उसमें छ: करोड़ उज्‍ज्‍वला, काम किस गति से होता है और किसके लिए होता है। इसका आप अंदाज लगा सकते हैं।

बैंको का राष्‍ट्रीयकरण किया, गरीबों के नाम से बाते की, राजनीति की, चुनाव जीतते गए, वोट बटोरते गए लेकिन हमारे देश में 55 साल में 50 प्रतिशत लोगों के बैंक के खाते थे, 55 महीने में अब हम शत-प्रतिशत करने में हम यशस्‍वी हो गए हैं। आपको तकलीफ होती है 18 हजार गांव में बिजली पहुंचाई है। आंकड़ा और आंकड़ा देखते हैं यानी 1947 के पहले इस देश के किसी गांव में बिजली नहीं थी, 1947 के पहले इस देश के किसी गांव में बिजली नहीं थी वहीं शुरू कर रहे आप...., लेकिन अगर सचमुच में जिस गति से पिछले 55 महीने में सरकार चली है। आजादी के बाद इतनी रूकावटें नहीं थी, इतना विरोध नहीं था, इतने कानूनों की परेशानी नहीं थी, इतना मीडिया भी नहीं था अगर उस समय आप चाहते काम करना तो पहले दो दशक में हिन्‍दुस्‍तान के हर गांव में बिजली पहुंच जाती। ये काम जो 20 साल में होना चाहिए था वो मुझे आकर के पूरा करना पड़ा है और इसलिए इतना ही नहीं, आपका 2004 का manifesto देख लीजिए, आपका 2009 का manifesto देख लीजिए, आपका 2014 का manifesto देख लीजिए। आपने तीनों manifesto में ये कहा है कि हम तीन साल के भीतर, 2004 में कहा तीन साल के भीतर, आपने 2009 में कहा तीन साल के भीतर, 2014 में कहा तीन साल के भीतर, तीन साल के भीतर हर घर में बिजली पहुंचाई जाएगी। आपके manifesto में है, बिजली पहुंचाएगें। मैं हैरान हूं वो गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ का इलेक्‍शन करते गए हैं लेकिन 2004 में भी तीन साल, 2009 में भी तीन साल, 2014 में भी तीन साल और आज घरों में बिजली पहुंचाने में मुझे रात-दिन मेहनत करनी पड़ रही है। ढाई करोड़ परिवारों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर दिया है।

और आने वाले दिनों में शत प्रतिशत electrification का काम करने का गर्व हम प्राप्‍त करेंगे, ये मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। कुछ लोग हैं जो भ्रमित करने का प्रयास करेंगे लेकिन आंकड़े, आंकड़े जुठला नहीं सकते हैं। 2014 में तीस साल के बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है और देश अनुभव करता है। जब मिलावटी सरकार होती है तब क्‍या हाल होता है। और अब तो महामिलावट आने वाला है। पूर्ण बहुमत वाली सरकार होती है तो कितने निर्णय कर सकती है, कितनी गति से आगे बढ़ सकती है और निर्धारित, महामिलावट, महामिलावट यहां पहुंचने वाले नहीं है। ये महामिलावट आप कोलकाता में इकट्ठा करो। ये महामिलावट का हाल देख लो, केरल में मुंह नहीं देख पाएंगे एक दूसरे का, ये महामिलावट का नेतृत्‍व करने वालों को उत्‍तर प्रदेश में बाहर कर दिया, ये महामिलावट करने वालों को.....और इसलिए ये महामिलावट का खेल.... अस्थिर सरकार और कल्‍पनीय सरकार इसके कारण ये महामिलावट देश ने तीस साल ये स्थिति देखी है। जो health conscious society है वो भी मिलावट से दूर है। healthy democracy वाले भी ये महामिलावट से दूर रहने वाले हैं। जब बहुमत वाली सरकार होती है प्रजा, देशवासियों के लिए समर्पित सरकार होती है तो काम कैसे होता है।

2014 के पहले आपकी सरकार थी। गरीबों को घर मिलना चाहिए, ये 1947 से हर सरकार ने विचार किया है, लेकिन 2014 के पहले पांच साल आपकी सरकार ने 25 लाख घर बनाएं, हमनें 55 महीने के अंदर 1 करोड़ 30 लाख घर बना करके चाबी दे दी है और घर भी जिसमें शौचालय है, जिसमें बिजली है, जिसमें गैस का कनेक्‍शन है, ऐसे चारदीवारियां बना करके काम पूरा नहीं कर रहें हैं, और आज वो बात, आप यहां पर आपके लोग वो भी आकर के कहते हैं कि मेरे इलाकें में आवास अलोटमेंट करवा दीजिए और पैसे.... पैसे गरीब के खातें में सीधे जमा हो रहे हैं। बिचौलिए नहीं हैं।

2014 में, अब आपके घोषणा पत्र में 2004 में था, 2009 में था और 2014 में भी था और आपने कहा था कि वो भी ऐसे ही तीन साल कहां से ले आए मुझे मालूम नहीं आपका तीन साल का definition क्‍या है, वो भी मुझे मालूम नहीं। 2004 में भी कहा कि तीन साल में... हर पंचायत को

हम optical fiber network से जोड़ेगें digital इंडिया की तरफ आगे बढ़ेंगे। 2004 में कहा था, वही बात 2009 में कही, वही बात 2014 में कही...; जब हम आए तब 59 villages में optical fiber network पहुंचा दिया। 2004 से शुरू किया काम आपने.... 2014 तक पहुंचते-पहुंचते 59 villages में broadband connectivity 55 महीने की हमारी सरकार ने 1 लाख 16 हजार गांवों में broadband connectivity पहुंच गई। आप वादे करते रहे आज हमारे खड़गे साहब ने शेर शायरी का मिजाज था उनका और हो सकता है कि कविता जो हुस्‍न से शुरू होती थी। वो उनकी नज़र गई। मुझे समझ नहीं आया कि उनको हुस्‍न वाली पंक्ति क्‍यों पसंद आई। लेकिन उसी कविता में अगर आपने जिस परिवेश से आप पैदा होकर के आए, आपके परिवार ने जिस संगत से आप निकला हुआ है। मैं जानता हूं और मैं गर्व करता हूं आपके परिवार की हिम्‍मत पर, अगर वो चीजें आपको याद रहती हैं तो हुस्‍न वाली पंक्ति की तरफ नज़र नहीं जाती। अगर वो होता तो आपकी नज़र जाती और मुझे तो बहुत बराबर ये चीज दिन-रात याद रहती है आप लोगों के कारण। उस कविता में लिखा है.......

जब कभी झूठ की बस्‍ती में सच को तड़पते देखा है,

तब मैंने अपने भीतर, किसी बच्‍चे को सिसकते देखा है।

आपके झूठ के कारोबार से क्‍या होता है, ये कविता में आपको दिखाई देना चाहिए लेकिन वो नहीं देख पाए.... उसी कविता में आगे लिखा है...... अगर संवेदना नाम की चीज बची होती लेकिन सत्‍ता के गलियारों में रहने के कारण शायद वो छूट गया होगा अगर वो ..... बचा होता तो उसके आगे की तड़पन भी तो जरूर दिल को छू जाती। आगे की प‍ंक्ति है.....

अपने घर की चारदीवारी में, अब लिहाफ़ में भी सिहरन होती है,

जिस दिन से किसी को गुर्बत में, सड़कों पर ठिठुरते देखा है।

इसलिए संवेदना होती है, दर्द होता है तब जाकर के बात बनती है जी,

कांग्रेस 55 साल......, सत्‍ता भोग के 55 साल, हमारे 55 महीने... सेवा भाव के 55 महीने, 55 साल का सत्‍ता भोग और 55 महीने का सेवा भाव, और जब नीति स्‍पष्‍ट हो, नीयत साफ हो, इरादे नेक हों, निष्‍ठा अटल हो तो हम चौबीसों घंटे गरीबों के लिए, देश के कल्‍याण के लिए, देश के विकास के लिए अपने आप को समर्पित करने के लिए एक नई ऊर्जा, एक नई प्रेरणा निरंतर पा के रहेंगे।

आप किस प्रकार से काम करते हैं? मैं 21वीं सदी के मतदाताओं को जरूर याद कराना चाहूंगा कि किस नीयत से 55 साल का सत्‍ता भोग चल है। आप देखिए जब common wealth games शुरू हुए, देश की आन-बान-शान पूरे विश्‍व में पहुंचाने का एक स्‍वर्ण अवसर था लेकिन उस समय एक तरफ हमारे खिलाड़ी पदक जीतने के लिए मेहनत कर रहे थे और ये common wealth में अपनी wealthअपनी wealth उसको जुटाने में लगे थे।

2-जी स्‍पैक्‍ट्रम का आवंटन, आप उसको देख लीजिए 2-जी स्‍पैक्‍ट्रम में क्‍या हुआ ये सत्‍ता भोग का परिणाम था और इनकी नीयत यही अपना और अपनो का फायदा करना। हमारी नीयत लोगों को सस्‍ता data, फोन पर बात करने का खर्च कम हो और इस पर तो ये स्‍पैक्‍ट्रम की नीलामी की व्‍यवस्‍था हमने विस्‍तृत की।

बैंकिग व्‍यवस्‍था क्‍या करके रखा था। फोन बैंकिंग चलता था, नामदार को पता चले किसको मदद की जरूरत है, बैंक को फोन चला जाता था। रुपये निकल जाते थे पहुंच जाते थे, किस काम के लिए, कौन ले जाए, कहां रह जाएगा। अब सब निकल रहा है तो परेशानियों बढ़ रही हैं। इस बात को तो नहीं भूल सकते कि स्‍वतंत्रता के बाद 2008 तक बैंको ने तो कुल 18 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज लिया था, लोन दिया। लेकिन सत्‍ता भोग की जो राजनीति चलती थी देश चलाने का तरीका था उस सत्‍ता भोग के 55 साल का परिणाम देखिए..... 2008 से 2014, छ: साल में ये 18 लाख करोड़ बढ़कर के 52 लाख करोड़ हो गया। ये फोन बैकिंग का परिणाम था.. लोगों के पैसे थे, लूटे जा रहे थे। कोई पूछने वाला नहीं था। ये आपका तरीका था, ये 21वीं सदी के मतदाताओं को पता होना चाहिए। कि कैसे देश को...... और उनको... उनकी उम्र इतनी छोटी रही होगी जब खेल चले, अब उन लोगों को शिक्षित करना हम लोगों का काम है।

मुद्रा योजना से, मुद्रा योजना से हमने सात लाख करोड़ ये वही हैं जो 2014 में आप छोड़ कर गए, ये तो ब्‍याज बढ़़ रहा है, एक नया एनपीए नहीं बढ़ रहा है। ये आप छोड़ कर गए उसका ब्‍याज बढ़ रहा है। और हमने कानून ऐसे लाए हैं कि तीन लाख करोड़ रुपया वापिस आना शुरू हुआ है। मुद्रा योजना सात लाख करोड़ रुपये हमने मुद्रा योजना से दिया माननीय अध्‍यक्षा जी, उन लोगों को दिया जिनके पास collateral गांरटी का भी कोई ताकत नहीं था और उन्‍होंने स्‍वरोजगार खड़ा किया। उन्‍होंने रोजगार के अवसर पैदा किए। ये काम हमने किया है। जो भाग गए हैं वो ट्विटर पर रो रहे हैं कि मैं तो नौ हजार करोड़ लेकर निकला था लेकिन मोदी ने 13 हजार करोड़ रुपया मेरा जब्‍त कर लिया। वो रो रहे हैं। ट्विटर कर रहे हैं। और बोलेगें कि सुबह उठता हूं तो पता चलता है कि मेरी आज ये संपत्ति का पता चल गया वो भी जब्‍त हो गई। दुनिया में किसी देश में संपत्ति है वो भी जब्‍त हो गई। ये कानून हमने बनाया। लूटने वालों को आपने लूटने दिया हमने कानून बनाकर के उनको वापिस लाने की कोशिश की।

अध्‍यक्ष महोदया, मुझे लगता है हमारे कांग्रेस के मित्रों ने कुछ काम आऊटसोर्स कर दिए हैं, वैसे अभी दो दिन पहले मदद कीजिए थोड़ा तो करना ही पड़ेगा। माननीय अध्‍यक्ष महोदया जी कांग्रेस ने ये कहा जब सर्जिकल स्‍ट्राइक की बात आई। मैं यहां उरी फिल्‍म की चर्चा नहीं कर रहा हूं। मैं सर्जिकल स्‍ट्राइक की बात कर रहा हूं तब कांग्रेस ने कहा हमारे समय में भी सर्जिकल स्‍ट्राइक हुआ था। हां.... हां आपके पास सब कुछ है। आप सब कुछ है ठहरिये आपके पास सब कुछ है आपको घंटों तक बोलने दिया है अगर उस समय सेना की वो हालत ही नहीं रहने दी थी आपने सेना को एक प्रकार से आपने निहत्‍था बना दिया था। वो स्थिति ही नहीं कि सर्जिकल स्‍ट्राइक करने का कोई निर्णय कर सके। ये हाल बनाकर रखा था। वो दिन थे जब बुलेट प्रूफ जैकेट तक उपलब्‍ध नहीं थे। आप सर्जिकल स्‍ट्राइक का सोच भी कैसे सकते थे और आप हिन्‍दुस्‍तान की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। न communication device थे, न हेलमेट थे, न अच्‍छे प्रकार के जूते थे, मैं युद्ध सामग्री की तो बात ही नहीं कर रहा हूं ये सामान्‍य व्‍यवस्‍थाओं की बात है।

2009 में भारतीय सेना ने 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की, पांच साल बाद भी 2014 तक बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं खरीदी गई..; अब वो सर्जिकल स्‍ट्राइक की बाते करते हैं। यह स्थिति जानने के बाद 2016 में हमने 50 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी की और 2018 में पूरी 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट हमने हमारे जवानों को पहुंचा दी है।

अगर 2014 में उसके बाद भी देश की जनता ज्‍यादा समझदार है कि गलती नहीं करती है लेकिन 2014 के बाद भी UPA की सरकार बनी होती तो देश का गौरव तेजस्‍व लड़ाकू विमान आज जमीन पर ही खड़ा होता वहां पार्किंग एरिया पर पड़ा होता वो हवा में नहीं जाता। 2016 में जुलाई में, हमने 45 squadron में शामिल किया और 83 तेजस्‍व विमान खरीदने को हमने स्‍वीकृति दे दी। आपको इसकी चिंता नहीं थी, सेना ताकतवर हो ये आपने कभी सोचा नहीं।

देश की रक्षा कर रहे जवानों के लिए आपकी इतनी संवेदनहीनता क्‍यों थी, आपने क्‍यों कांग्रेस ने पिछली सरकारों ने दस साल में सेना, वायु सेना, नेवी उसकी आवश्‍यकताओं को नजरअंदाज क्‍यों किया?कल्‍पना कीजिए उस समय अगर कोई हमारे दुश्‍मन देशों ने कोई हरकत की होती तो आज देश कहां खड़ा होता, आपने इतना criminal negligence किया हुआ है और देश, देश इसको कभी माफ नहीं कर सकता। आज आवश्‍यकता है जिस प्रकार से वातावरण के बीच में हम रह रहे हैं हमारी सेना का आधुनिकीकरण होना चाहिए और उसके लिए हम,...

मुझे ये बताइए तीन दशक हो गए क्‍या कारण है देश ने एक भी next generation fighter plane हमारी सेना के हाथ में नहीं दिया गया। मतलब not a single in 30 years जबकि हमारे पड़ोस में हर प्रकार से युद्ध सामर्थ्‍य बढ़ता चला जा रहा है। लेकिन क्‍या देश की सुरक्षा का विषय देश के साथ विश्‍वासघात नहीं था, क्‍या इनकी कोई जिम्मेवारी नहीं है। एक-एक आरोप का जवाब निर्मला जी ने गिन-गिन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हर पहलू को तराश करके देखा है और सवाल ये है कि कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती है कि देश की सेना के हाथ में हमारी वायु सेना मजबूत हो। मैं गंभीर आरोप लगा रहा हूं कांग्रेस पार्टी चाहती नहीं है कि हमारी वायु सेना मजबूत हो, आज राफेल का सौदा रद्द हो, इसके लिए किसकी भलाई के लिए लगे हो। आप किस कंपनी की भलाई के लिए खेल खेल रहे हो। आप इस प्रकार से देश की सेवा के साथ ये व्‍यवहार करते हो। 30 साल तक देश की सेना को आपने निहत्‍था बनाकर के रखा था और इतिहास गवाह है... कांग्रेस पार्टी और उनकी यूपीए की सरकार की सत्‍ता भोग का कालखंड रक्षा सौदों में दलाली के बिना काम कर ही नहीं सकता।

मैं कभी सोच रहा था कि राफेल को लेकर के ये झूठ भी इतने confidence से क्‍यों बोलते हैं, ये confidence से क्‍यों बोलते हैं,ये मैं सोचता था, तो जब मैं डिटेल देखने लगा तो मुझे पता चला कि वो ये मान कर चले हैं कि पिछले 55 साल में सत्‍ता भोग के काल में एक भी रक्षा सौदा बिना दलाली हुआ ही नहीं। कहां से कोई चाचा, कोई मामा..... जब पारदर्शिता से, ईमानदारी से देश की वायुसेना को मजबूत करने का काम हो रहा है। तो माननीय अध्‍यक्षा जी ये कांग्रेस के लोग जरा बौखला जाते हैं। सच उनको सुनने की आदत रही नहीं है और अब परेशानी है चेहरे उतरे हुए हैं...... हमने आकर के देश में भिन्‍न-भिन्‍न संस्‍थाओं को एक चिट्ठी भेजी है। हमने कहा कि आपको विदेशों से धन मिलता है FCRA कानूनों के तहत आपको परमिशन मिली हुई है, आप अपने पैसों का हिसाब दीजिए। विदेशों से पैसा आता है कहां उपयोग करते हैं। इतना सा.... कोई रेड नहीं करनी पड़ी है। किसी इनकम टैक्‍स वाले को जाना नहीं पड़ा है एक छोटी सी चिट्ठी गई है और आप हैरान हो जाएंगे, इस देश में 20 हजार से ज्‍यादा संगठन उन्‍होंने अपनी दुकानें बंद कर दी जो विदेशों से धन लेते थे। ये 20 हजार संस्‍थाएं क्‍या करती थीं.. सीमावर्ती गांवों से लेकर के, संसद से लेकर के, न्‍यायतंत्र तक, न्‍यायप्रक्रिया तक प्रभाव पैदा करने का काम होता था। उन पर हाथ उठाने का काम हमने किया है। हिन्‍दुस्‍तान को नुकसान करने में ..... 20 हजार संस्‍थाएं ..... क्‍या आप ये नहीं रोक सकते थे, क्‍यों चलने दी, क्‍या आशीर्वाद थे, क्‍या भला होता था आपका, ये विदेशी धन लाने के रास्‍ते किसके लिए थे। ये लड़ाई हम लड़ रहे हैं और इसलिए चारों तरफ से अभद्र भाषा सुनने को मिलती है, गाली-गलौज सुनने को मिलता है, गंदे आरोप सुनने को मिलते हैं उसका कारण यही है कि इतने लोगों को परेशानी हो रही है कि एक ईमानदार सच्‍ची सरकार, देश के हित में सोचने वाली सरकार आती है तो क्‍या होता है। ये इससे पता चलता है। 20 हजार संस्‍थाएं बहुत बड़ा आंकड़ा है और अब तो मैं देख रहा हूं जो बहुत बड़े-बड़े नाम थे वो officially हिन्‍दुस्‍तान में से अपना कारोबार बंद करके नए नाम से घुसने के लिए रास्‍ते खोज रहे हैं, ये हाल पैदा हो गया है और आपने देखा होगा।

मुझे याद है गुजरात में सरदार सरोवर डैम, नर्मदा... पंडित नेहरू जी ने उसका शिलान्‍यास किया था, पंडित नेहरू जी ने और अभी मैनें उद्घाटन किया है, कितना देश का पैसा और उसमें भी मुझे विदेशी धन से खेलने वाले एनजीओ ... और किसी ने रोका नहीं इनको .... 20 हजार संस्‍थाएं बंद हुई है। और आने वाले दिनों में आंकड़ा बढ़ सकता है। क्‍योंकि हम पाई-पाई का हिसाब ले रहे हैं।

अध्‍यक्ष महोदया 55 साल के सत्‍ता भोग ने कुछ दलों के लोगों की ऐसी आदत खराब कर दी है वो अपने आप को ऐसा शहंशाह मानते हैं और बाकियों को ऐसा निकृष्‍ट मानते हैं, हर व्‍यवस्‍था को निकृष्‍ट मानते हैं, हर किसी का अपमान करना मानों उनके स्‍वभाव में है। हर किसी को अपमानित करना ये उनके स्‍वभाव में है और इसलिए मुख्‍य न्‍यायाधीश को विवाद में घेरना, पूरा माहौल बिगाड़ने का प्रयास करना, न्‍यायतंत्र का अपमान करना, रिजर्व बैंक का अपमान करना, सेना अध्‍यक्ष का अपमान करना, चुनाव आयोग का अपमान करना, देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी का अपमान करना, लोकतंत्र का अपमान करना ये ..... ये मैं समझता हूं कि सत्‍ता भोग के कारण आपके अंदर आई हुई विकृति है। और महात्‍मा गांधी बहुत पहले भनक गए थे उनको अंदाज आ गया था कि सारी बीमारियों को receiving capacity सबसे किसी की ज्‍यादा है तो कांग्रेस की है। और इसलिए महात्‍मा गांधी ने उसी समय कहा था, कांग्रेस को बिखेर दो, कांग्रेस मुक्‍त भारत ये मेरा स्‍वप्‍न नहीं है, मैं तो महात्‍मा गांधी जी की इच्‍छा पूरी कर रहा हूं। और डेढ़ सौ साल है महात्‍मा गांधी जी के, ये श्रद्धाजंलि के रूप में ये काम करना ही करना है। और कितनी ही मिलावट कर लो बच नहीं सकते हो। हमारे लिए तो हमारे संस्‍थान अलग हैं। हमारे लिए हमसे बड़ा दल है दल से बड़ा हमारा देश है। और इसलिए माननीय अध्‍यक्षा जी संविधान संस्‍थाओं का अपमान, भ्रष्‍टाचार, वंशवाद ये एक प्रकार से कांग्रेस के साथियों ने भी ये मिलावट कल्‍चर स्‍वीकार कर लिया है, वंशवाद के बाद उनका एक भी साथी नहीं रह सकता है। एक भी नहीं, क्‍योंकि उनके लिए ये एक संस्‍कार बन गया है, ये इनकी संस्‍कृति बन गई है। और ये उनके लिए जमकर के और इसलिए ये म‍हामिलावट का खेल को बड़ा आसानी से किया जा सकता है, सभी वंशवादी हैं। करीब-करीब थोक में सब bail पर हैं, तो बड़ा स्‍वाभाविक है फिर......

आज पूर्ण बहुमत की सरकार अगर अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी मुझसे ज्‍यादा अगर पूर्ण बहुमत मिला होता तो आज देश कहां से कहां पहुंच गया होता, हम जानते हैं और जो आज आपके पास आए हैं न वो उस समय भी हमारे पास थे और उस समय भी उन्‍होंने ऐसा ही धोखा किया था। आइए धोखबाज लोगों को लेकर के हमने देश का मिलावटी कल्‍चर, महामिलावट, महामिलावट करते रहो।

आज बाबा साहेब अंबेडकर का उल्‍लेख हुआ, एक बार बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था, और हो सकता है कि मिलावट के रास्‍ते पर गए हुए कुछ लोगों को शायद बाबा साहेब अंबेडकर में श्रद्धा हो तो काम आएगा। बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि कांग्रेस में शामिल होना आत्‍महत्‍या करने के समान होगा। ये बाबा साहेब अंबेडकर का वाक्‍य है।

अध्‍यक्ष महोदया जी आज यहां सदन में....., खड़गे जी आपका CR कोई नहीं बिगाड़ेगा चिंता मत करो आपको सत्‍तायु होना है। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

अध्‍यक्ष महोदया जी, आज यहां सदन में महंगाई को लेकर के भी कुछ बाते हुई हैं। हकीकतों से बिल्‍कुल परे, सच्‍चाई से परे, मैं उन सबको याद दिलाना चाहता हूं, हमारे देश में दो गानें बड़े प्रसिद्ध हुए थे किसी जमाने में। एक था बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई, एक गाना था। और दूसरा गाना था मंहगाई का जो पॉपूलर हुआ था महंगाई डायन खाए जात है..... महंगाई डायन खाए जात है। अब ये दोनों गीत किस कार्यकाल के हैं, पहला गाना पॉपूलर हुआ था तब श्रीमती इंदिरा गांधी जी प्रधानमंत्री थीं, और इनफेलेशन 20 प्रतिशत से ज्‍यादा था। और दूसरा गाना रिमोट कंट्रोल वाली सरकार थी और दस प्रतिशत से ज्‍यादा इनफेलेशन था। तब ये गाने लिखे गए हैं तब गाने पॉपूलर हुए थे, महंगाई और आपका .... अटूट नाता है...अटूट नाता। इस देश में जब भी कांग्रेस आई है मंहगाई हमेशा बढ़ी है। इंदिरा जी के समय 30 प्रतिशत से प्‍लस चला गया था इनफेलेशन। अब आप 1947 से शुरू कर रहे थे कल.... मैं खोल कर रखूंगा तो पता नहीं क्‍या-क्‍या निकलेगा। और इसलिए बीते साढ़े चार साल में महंगाई का दर, 55 महीने में सेवा भाव से चलने वाली सरकार 4 प्रतिशत की मर्यादा में बांध करके रखा है। मध्‍यम वर्गीय समाज के लिए बहुत सारी मदद का काम हमारी सरकार लगातार करती रही है। क्‍योंकि देश में जिस प्रकार से आर्थिक गतिविधि आई है। मध्‍यम वर्गीय की आशा अपेक्षा बढ़ना बहुत स्‍वाभाविक है। और मैं मानता हूं कि वो किसी भी देश की प्रगति के विकास के लिए ये बहुत अनिवार्य अंग है जो आज देश 55 महीनें में अनुभव कर रहा है। नए-नए aspiration, नई-नई अपेक्षाए, नई-नई आंकाक्षाएं ये विकास की सबसे बड़ी निशानी होती है। जो आज देश में नजर आ रहा है कुछ लोगों को आशा, अपेक्षाएं ये बोझ लग रही हैं। मैं उसको गौरव से देखता हूं क्‍योंकि वो दौड़ने की ताकत देती है नया करने की प्रेरणा देती है।

जीएसटी के बाद जरूरी सामान tax के दायरे से हमने बाहर करने का काम किया है, आप याद कीजिए दूध पर भी टैक्‍स लेते थे, न जाने कैसी-कैसी चीजों पर आप टैक्‍स लेते थे। वो दिन.... आपको को बोलने का हक ही नहीं है और average tax जीएसटी से पहले 30 प्रतिशत से ज्‍यादा हुआ करता था। और आप..; आप ऐसी बाते बताते हो जैसे मतलब अब जीएसटी कांउसिल निर्णय करती है जिसमें आपके दल के लोग भी होते हैं और आपके दल के मुख्‍यमंत्री, और आपकी सरकार के लोग भी होते हैं।

आज 99 प्रतिशत सामान 18 प्रतिशत या उससे नीचे आया है, इस बजट में भी इनकम टैक्‍स में 5 लाख रुपये की रियायत देने का काम हमने किया है और ये मांग हमारे समय आई है ऐसा नहीं है जब economist प्रधानमंत्री थे तब भी आती थी। 1992 में भी ऐसी मांग आती थी। लेकिन इतने सालों तक आपने कभी ध्‍यान नहीं दिया, हमनें चिंता की है, हमने किया है।

Education loan हमारे मीडिल क्‍लास का परिवार education loan लेता है। education loan लेता है, तो 15 प्रतिशत से घटाकर के 11 प्रतिशत हमने उसका किया है ब्‍याज और उसके कारण अगर एक नौजवान विद्यार्थी 10 लाख रुपये का लोन लेता है तो आज उसको लोन भरते भरते सवा लाख रुपये की बचत होती है। उसी प्रकार से आवास में अगर वो बैंक से लोन लेता है मध्‍यम वर्गीय परिवार तो बैंक में पैसा जमा करते करते उसको पांच से छह लाख रुपये की बचत होती है। ये काम हमने करके दिया है। उसी प्रकार से एलईडी बल्‍ब मैं हैरान हूं क्‍या कारण था कि यूपीए के समय कि एलईडी बल्‍ब 300, 400, 450 में मिलता था और ऐसा क्‍या कारण है कि हमारे आने के बाद वो 60, 70 रुपये में आ गया और देश में करोड़ों-करोड़ों एलईडी बल्‍ब बिक गए हैं। कितने करोड़ो रुपयों का पैसा गरीब और मध्‍यम वर्ग के परिवार का बचा है जिसका अंदाजा आप लगा सकते हैं और इस एलईडी बल्‍ब के कारण देश में 50 हजार करोड़ रुपयों का बिजली का बिल कम हुआ है। जो 50 हजार करोड़ रुपया प्रतिवर्ष मध्‍यम वर्ग के परिवार की जेब में बचा हुआ है। अगर 50 हजार करोड़ रुपये का मैं पैकेज घोषित करता तो मीडिया में चौबीसों घंटे चर्चा चलती, हर अखबार में हेड लाइन होती ये काम आराम से 50 हजार करोड़ रुपया बचा कर के देश के मध्‍यम वर्गीय परिवार की मदद करने का काम हमारी सरकार ने किया है।

दिल की बीमारी के स्‍ंटट कितने महंगे थे सस्‍ते कर दिए। ये करके दिखाया हमनें मुफ्त में डायलिसिस सुविधा district level तक ले गए हैं। पहले गरीब व्‍यक्ति को डायलिसिस के लिए 2-2 हजार रुपया, 3-3 हजार रुपया खर्च करना पड़ता था आज मुफ्त में उसका इलाज करने का काम हमारी सरकार ने किया है। पांच हजार से ज्‍यादा जन औषधि केंद्र हमने शुरू किए हैं, उन जन औषधि केंद्रों का परिणाम है कि आज गरीब परिवार जिसमें संयुक्‍त परिवार हो 60 से ऊपर की उम्र के 1-2 लोग रहते हों, तो कुछ न कुछ दवा रोज का उनका काम होता है दवा लाना, खरीदना, आज 100 रुपये की दवाई जेनरिक मेडिसन के नाते 30 रुपये में मिलने लगी है। ये मध्‍यम वर्ग को सबसे बड़ा लाभ होने का काम हमने किया है उसी प्रकार से गरीब के इलाज की हमने चिंता की है। मैं हैरान हूं कि आयुष्‍मान भारत की योजना में मोदी की चिट्ठी को लेकर परेशान हैं एक प्रकार से चिट्ठी लिखता है देश का प्रधानमंत्री तो बहुत बड़ी जिम्‍मेवारी लेता है, बहुत बड़ा commitment देता है। और सामान्‍य मानवी को विश्‍वास देता है कि आप चिंता मत कीजिए हम आपके साथ हैं। आप... आप और सचमुच में सदन को खुशी होनी चाहिए कि इस देश के गरीब जो गरीबी के कारण मौत का इंतजार करते थे। लेकिन अस्‍पताल की राह जाना पसंद नहीं करते थे और वो सामान्‍य जड़ी-बूटी लेकर के गुजारा कर लेते थे। गंभीर से गंभीर बीमारी में वो दिन काटते थे। परिवार के लोगों की भी स्थिति भी ऐसी होती थी कि अब क्‍या करें। 2-2, 3-3, 4-4 साल से गंभीर बीमारी में पड़े हुए लोग अभी कुछ सौ दिन से भी ज्‍यादा दिन हुए नहीं है इस आयुष्‍मान भारत योजना को अब तक करीब-करीब 11 लाख गरीबों ने उसका already फायदा उठाया है और गंभीर प्रकार की बीमारियों में लाभ मिला है और प्रतिदिन 15 हजार से ज्‍यादा गरीब इस आयुष्‍मान भारत योजना के तहत फायदा उठा रहे हैं। ये हम सबका दायित्‍व है मैंने देखा है कि प्रधानमंत्री राहत कोष से हमारे सभी एमपी चिट्ठी लिखते हैं कि भई हमारे इलाके में कैंसर की बीमारी है प्रधानमंत्री राहत कोष से पैसे दो। और प्रधानमंत्री राहत कोष से हम इस काम को लगातार करते रहते हैं, मेरे पहले के प्रधानमंत्रियों ने भी किया है। लेकिन इस आयुष्‍मान भारत के बाद आज किसी एमपी को किसी प्रकार की चिट्ठी लिखने की नौबत नहीं आ रही है उसको गोल्‍ड कार्ड मिल गया उसका काम तुरंत हो जाता है। प्रधानमंत्री राहत कोष से तो कुछ सीमा तक पैसे दिए जाते थे इसमें पूरा का पूरा खर्चा दिया जा रहा है। हर MP प्रधानमंत्री राहत कोष से मिलने वाले पैसों के संबंध हमेशा मुझे मिलते थे, संतोष व्‍यक्‍त करते थे, मेरे इलाके में इतने लोगों का फायदा हो गया, साहब पहले सप्‍ताह में हो गया, तीसरे सप्‍ताह में हो गया सब कुछ अपना.... और मैं उनको भी चिट्ठी लिखता हूं। प्रधानमंत्री राहत कोष में से जिनको भी पैसा मिलता है मैं चिट्ठी लिखता हूं कि पक्‍का होना चाहिए कि हां, वो बीमार था कि नहीं था। और चिट्ठी लिखता हूं। हम जब गुजरात में थे तो हमने एक प्रयोग किया था सर्किट हाउस में लोग रहते थे, नेता लोग है तो फिर कनसेशन उन्‍हें मिल जाता है उनको सर्किट हाऊस में, तो हमारे एक सर्किट हाउस के मैनेजर थे, जितने लोग रहते थे उनको फिर चिट्ठी लिखते थे कि आप और आपकी पत्‍नी दोनों फलानी तारीख को आए थे। आपको कोई असुविधा नहीं होगी। साहब स्थिति ऐसी हो गई कि लोग आना ही बंद कर दिए। मैं चिट्ठी लिखता था कि आपको इस बीमारी के नाते मैंने इतना पैसा भेजा है, आपका स्‍वास्‍थ्‍य ठीक रहा होगा इसके कारण .... और उसको फिर आधार से भी जोड़ दिया। एक नए पैसे का लिकेज नहीं ....... लेकिन आयुषमान भारत से सभी MPs को मैं आग्रह करता हूं, आप चुनाव में जा रहे हैं, जितने गरीब हों आपके क्षेत्र में आयुष्‍मान भारत का लाभ दिला सकते हैं दिलाइए। मैं स्‍पष्‍ट स्‍पर्धा के लिए निमंत्रित करता हूं आपको, गरीबों का भला होगा, चुनाव तो आएंगे, जाएंगे भईया अभी दो तीन महीने हैं कर लो कुछ काम। आपके लिए मौका है इसलिए मैं आपको बताता हूं।

अध्‍यक्ष महोदया जी एक विशेष योजना जो मैं विस्‍तार से बताना चाहता हूं। संविधान संशोधन करके हमने देश के गरीब युवाओं को उनके सपनों को साकार करने के लिए एक सुविधा तो की है लेकिन सामाजिक तनाव को जितना dilute कर सकते हैं उस रास्‍ते को हमने चुना है। SC, ST, OBC उस व्‍यवस्‍था को जरा भी हाथ लगाये बिना 10 प्रतिशत गरीबों का आरक्षण ये विषय कोई हमारे आने के बाद आया ऐसा नहीं पहले से था, ये हमने हिम्‍मत दिखाई और मैं इस सदन का आभारी हूं सबका आभारी हूं कि सबने सर्वसम्‍मति से इसमें साथ दिया मैं इसके लिए आज मौका लेता हूं आभार व्‍यक्‍त करने का, हर एक का आभार व्‍यक्‍त करता हूं लेकिन इसके साथ-साथ बाकी अन्‍याय न हो इसके लिए शिक्षा के क्षेत्र में अनुपात के अंदर सीटें बढ़ाने का भी निर्णय कर लिया है ताकि हमारी जो प्रगति की यात्रा है उसको कोई दुख-तकलीफ न हो।

55 साल के शासन के बावजूद अब मैं जरा सत्‍ता भोग के हाल क्‍या है। सत्‍ता भोग 55 साल जॉब के संबंध में कोई स्‍टैंडर्ड व्‍यवस्‍था विकसित ही नहीं हुई। 55 साल में हमारे लिए वो एजेंडा ही नहीं था, पुरानी सरकारों के लिए कि रोजगार को ध्‍यान में रखकर के व्‍यवस्‍था विकसित करनी चाहिए, कोई व्‍यवस्‍था नहीं है, और इसके लिए सत्‍ता भोग में डूबे हुए लोगों की जिम्‍मेवारी ज्‍यादा है। हमने आकर के कोशिश की है और अगर 100 सेक्‍टरों में नई नौकरियां बन रही हैं तो सिर्फ उसमें 7-8 सेक्‍टर को गिनकर के एक मोटा-मोटा अनुमान लगाया, आज जो गति है कि 100 सेक्‍टर में रोजगार.... 7 या 8 मेंtoken सर्वे होता है और उसके हिसाब से अनुमान अब आज वक्‍त बदल चुका है सारे पैरामीटर बदल रहे हैं, रोजगार के प्रकार बदल चुके हैं अब इसलिए हम आज इस सदन को सच्‍चाई बताना चाहता हूं और डंके की चोट पर बताना चाहता हूं, हकीकतों के आधार पर बताना चाहता हूं और मैं देशवासी भी जो टीवी पर देखते हैं उनको विशेष रूप से कहता हूं। कि मेरे आगे की भाषण की बजाय इसको गंभीरता से सुनिए ताकि जिस प्रकार से सत्‍य को कहीं जगह नहीं ऐसे जो सत्‍ता भोगी लोग जो बाते कर रहे हैं उनको जरा सीधा-सीधा जवाब देश की जनता दे सकती है।

अब देखिए, देश में असंगठित क्षेत्र करीब-करीब 85 to 90 percent नौकरियां देता है। जबकि संगठित क्षेत्र सिर्फ 10 से 15 percent ही job देता है। इस सत्‍य को स्‍वीकार करना होगा। unorganized sector में 82 to 90 percent है, जबकि organized sector में 10 to 15 percent only है। जो sector सिर्फ नौकरियों के 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्‍व करता है मैं उसके कुछ आंकड़े जानना चाहता हूं, मैं जरा वो 10 percent वाला हिसाब जानना चाहता हूं। 90 percent वाला हिसाब बाद में देखता हैं। सितंबर 2017 से लेकर नवंबर 2018 तक यानि करीब-करीब 15 महीने में लगभग एक करोड़ 80 लाख लोगों ने पहली बार provident fund का पैसा कटाना शुरू किया। यह बिना रोजगार होता है क्‍या? हां, इनमें से 64 percent लोग हैं जिनकी उम्र 28 साल से कम है। इसलिए खड़गे जी जो आज सुबहargument दे रहे थे, इसका कोई logic नहीं है। 28 साल से कम उम्र का व्‍यक्ति मतलब एक नया job प्राप्‍त करने वाला होता है। इसके अलावा एक ओर तथ्‍य मैं आपको देना चाहता हूं। हमारे देश में मार्च 2014 में करीब-करीब 65 लाख लोगों को नेशनल पेंशन स्‍कीम एनपीएस में रजिस्‍टर किया गया था। पिछले साल अक्‍तूबर में यह संख्‍या बढ़ करके एक करोड़ 20 लाख हो गई। क्‍या यह भी बिना नौकरी के सब हुआ होगा। कोई ऐसे ही कर देता होगा क्‍या? और इसलिए एक और आंकड़ा मैं देना चाहता हूं। हर साल Income Tax Return भरते समय non corporate taxpayers जो अपनी आय घोषित करते हैं। उन्‍हें खुद salary नहीं मिलती है, लेकिन ये लोग अपने यहां जिन लोगों को नियुक्‍त करते हैं, उनको salary देते हैं। पिछले चार वर्षों में देश में ऐसे लगभग छह लाख 35 हजार नये professional जुड़े हैं। क्‍या आपको लगता है कि एक डॉक्‍टर अपना clinic या nursing home खोलता है तो क्‍या किसी और को काम नहीं देता होगा क्‍या? कोई charted accountant अपना दफ्तर खोलता है, क्‍या किसी को रोजगार नहीं देता होगा क्‍या? क्‍या यह 1,2,3 लोगों का स्‍टाफ नहीं रखता होगा क्‍या? छह लाख 35 हजार professional अब उन्‍होंने जिन लोगों को काम पर रखा होगा, और मैं फिर कहूंगा कि formal sector का आंकड़ा है जो सिर्फ 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्‍व करता हूं, उसके आधार पर मैंने बताया है।

अब मैं आपको जरा informal sector का आंकड़ा देता हूं। informal sector में transport sector असंगठित कामदार जो होते हैं transport sector में सबसे ज्‍यादा रोजगार का अवसर होता है। बीते चार वर्षों में करीब 36 लाख बड़े ट्रक या commercial vehicles बिके, करीब डेढ़ करोड़ passenger vehicles बिके हैं और 27 लाख से ज्‍यादा नये ऑटो की बिक्री हुई है। यह सारी गाडि़यां जिन्‍होंने भी खरीदी हैं, क्‍या उन्‍होंने पार्किंग करके रखी है क्‍या? शोभा के लिए रखी है क्‍या? क्‍या उनको कोई चलानेवाला होगा क्‍या? उनकी कोई सर्विसिस नहीं होती होगी क्‍या? क्‍या उनके maintenance के लिए कोई मैकेनिज्‍म काम नहीं करता होगा क्‍या? एक अनुमान है कि transport sector में ही देश में बीते साढ़े चार वर्षों में करीब-करीब सवा करोड़ लोगों को नये अवसर मिले होंगे। इसी तरह Hotel Industry अगर Hotel Industry की मैं बात करूं तो approved होटलों की संख्‍या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्‍या यह होटल खाली पड़े हैं? किसी को job नहीं दे रहे हैं क्‍या वो? यह अनुमान यह भी हो सकता है कि tourism sector में करीब-करीब डेढ़ करोड़ नई नौकरियों का निर्माण हुआ है।

देश में टेक्‍सी एग्रीगेटर सर्विस का इतना विस्‍तार हो रहा है, लेकिन विपक्ष के मेरे साथियों को लगता है कि तमाम app based कंपनियां यह कर रही हैं। यह app based कर रही है, क्‍या driver lessकार चल रही है क्‍या? app based हो रहा है, तो driver less कार है क्‍या? उसमें भी कोई न कोई गाड़ी चलाता है। उसका भी कोई न कोई रोजगार है। मुद्रा योजना के तहत पहली बार लोन पाने वाले लोगों की संख्‍या सवा चार करोड़ से ज्‍यादा है। first timer यानी इन सवा चार करोड़ लोगों ने अपना काम शुरू किया है, लेकिन ये लोग job data के अंदर नहीं होते हैं। इसी तरह हमारी सरकार के दौरान दो लाख से ज्‍यादा नये common service center देश के ग्रामीण इलाकों में खोले गए हैं। क्‍या इसकी वजह से भी किसी को नौकरी नहीं मिली होगी क्‍या? एक जमाना था STD का बूथ लगता था और parliament में उसको रोजगार के आंकड़ों के रूप में बताया जाता था। आज दो लाख common service center और करीब-करीब 18-20 घंटे काम करते हैं, एक-एक common service center में 3-3, 5-5 नौजवान काम करने लगे हैं और common service सेवाएं दे रही है।

उसी प्रकार से देश में दोगुनी गति से हाईवे बन रहे हैं, नये airport बन हरे हैं, रेलवे स्‍टेशनों का आधुनिकरण हो रहा है। करोड़ों-करोड़ों नये घर बन रहे हैं। क्‍या यह भी किसी को रोजगार के नये अवसर नहीं देते है क्‍या? हमारे देश का नौजवान आज अपने दम पर खड़ा हुआ है। skill इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया, स्‍टेंडेंट अप इंडिया, मुद्रा योजना यह स्‍वरोजगार ऐसे मजबूत हमारे initiative हैं जो देश में..

अध्‍यक्ष महोदया, हमारे देश का युवा, हमारे देश के भविष्‍य के साथ सीधा-सीधा जुड़ा हुआ है। लेकिन साथ-साथ हमारे देश के किसान उसकी चिंता भी जिस प्रकार से की गई है, जरा बजट देख लीजिए,आपके समय कितना बजट खर्च होता था, हमारे समय कितना खर्च होता है। आप एमएसपी में कितना पैसे लगाते थे, हम एमएसपी में कितना पैसे लगाते हैं। आप देख लीजिए जहां आपकी सरकारें थी, एमएसपी में कितनी खरीदी करती थी और आज भारतीय जनता पार्टी एमएसपी में कितनी खरीदी करती है। जरा आंकड़े देखोगे तो आपको लगेगा कि किसानों के लिए कैसे काम होता है। 55 साल का सत्‍ता भोग, 55 महीने का सेवा भाव, यह आपकों किसानों की सेवाओं में भी बिल्‍कुल नज़र आएगा। और आपने दस साल में चुनाव को ध्‍यान में रखने एक कर्ज माफी का चक्र बना लिया। यह आपने अपना खेल शुरू किया। 10 साल हवा बनाते चलो और आंख में धूल झोंको और फिर अपना वोट बटोरने की कोशिश करो यह आपकी दस वार्षिक योजना है।

2009 का चुनाव जीतने के लिए आपने कर्ज माफी की घोषणा की। किसानों का कर्ज छह लाख करोड़ रुपया था माननीय अध्‍यक्ष जी, छह लाख करोड़ रुपया। इतना बड़ा उन्‍होंने ताम-झाम, हो-हल्‍ला किया और उनकी स्थिति में उनको सवाल तो कोई पूछता नहीं है। वो भी गाजे-बजाने लग जाते हैं। छह लाख करोड़ रुपये का कर्ज था और आपने माफ कितना किया 52 हजार करोड़ यह क्‍या है, और यह किसको जाता है? बैंक में जो बड़े लोगों से पैसे लिये जाते हैं उनको जाता है। जो गरीब किसान है, उसको तो बिचारे कुछ जरूरत है तो उसको साहूकार के पास जाना पड़ता है, वो ब्‍याज में मर जाता है, लेकिन आपको उसकी परवाह नहीं थी। और उस समय जो CAG का रिपोर्ट है इसी सदन में रखा गया। लेकिन उस समय इतने बड़े-बड़े corruption का कारोबार चलता था कि बहुत सी चीजों पर ध्‍यान ही नहीं जाता था। 2जी चलता था, कोयला चलता था, स्‍पेक्‍ट्रम.. न जाने क्‍या-क्‍या चलता था। और कैसे-कैसे लोग चलाते थे, यह किस-किस समय चलाते थे। लेकिन उस समय की सीएजी रिपोर्ट में है कि उन 52 हजार करोड़ में भी 35 लाख लोग ऐसे पाएं गए जो इसके हकदार नहीं थे, लेकिन वो पैसे लेते थे। इसमें भी दलाली, इसमें भी खेल और इतना ही नहीं हम जब इस योजना को लाए हैं तो हमारा साफ मत है कि हम कैसे भला करेंगे। किसान के लिए हमारी सोच क्‍या रही। हमारे हजारों करोड़ रुपये, हम भी कर्ज माफी के रास्‍ते पर जा सकते थे। लेकिन empowerment of kisan उसकी समस्‍या का कायम समाधान 99 सिंचाई योजना, आज आपको प्रधानमंत्री सिंचाई योजना से तकलीफ हो रही है। 99 सिंचाई योजना, जो किसी समय में मैंने कहा नेहरू जी ने हमारे यहां यह पत्‍थर डाला था, मैंने जा करके जो उद्घाटन किया। 99 ऐसी योजनाएं जो लटकी पड़ी थी, हजारों-करोड़ों रुपया खर्च करके उन योजनाओं को पूरा करने का काम हमने किया है। हमने नये mega food park, नये cold storage को बल दिया है। हमारा 22 हजार ग्रामीण हाट बनाने की दिशा में काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमने ईनाम के माध्‍यम से ऑनलाइन किसानों को अपने माल बेचने की व्‍यवस्‍था मुहैया की है, ताकि किसान को पूरा दाम मिल सके।

माननीय अध्‍यक्षा जी, हमने इस योजना में किसानों के लिए इस बार बजट में छह हजार रुपये वार्षिक रूप से देने का तय किया है। यह निर्णय आने वाले दूरगामी परिणाम करने वाला है। 12 करोड़ किसान इसके लाभार्थी बनेंगे। आपकी अब तक योजनाएं एक करोड़, डेढ़ करोड़, दो करोड़ किसानों तक सीमित थे। ऊपर सतही के लोगों के लिए थे। एक एकड़ भूमि वाला दो एकड़ भूमि वाले किसान तक कभी पहुंचे नहीं थे। यह योजना ऐसी है कि जो एक एकड़, दो एकड़ छोटे किसान पर... और इस देश के 85 percent किसान ये हैं। इनको यह लाभ मिलने वाला है। और करीब 12 करोड़ किसान को सीधा लाभ उनके बैंक के खाते में जाएगा, कोई दलाल नहीं होगा। मैं हैरान हूं कुछ राज्‍य बड़ा सीना तान करके कह रहे हैं। हम मोदी की यह किसान योजना को नहीं लेंगे। अरे वहां के जरा किसान को तो पूछो भई छह हजार रुपया लेना है क्‍या नहीं लेना है? आपको तो एक रुपया देना नहीं है। सीधा निर्णय वाला है। लेकिन राजनीति में कुछ लोगों को पागलपन ऐसा हो जाता है, घोषणा कर देते हैं यह योजना का लाभ नहीं लेना है। अरे अपने किसानों की चिंता करो, आयुष्‍मान हम नहीं लेंगे। अरे अपने यहां गरीब की चिंता करो। यह राजनीति‍ चलती रहेगी। यह खेल करना बंद करो। और अपने गरीब किसानों की चिंता करो।

किसान और साहुकारों को लोन देने वाले छोटे किसानों की कोई कर्जमाफी होती नहीं है। मैं जरा कर्नाटक का उदाहरण देना चाहता हूं। और आप कर्नाटक के हैं अब आपका और किसान नेता स्‍वयं यहां बैठे हैं हमारे पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय देवगोड़ा जी अपने आपके एक किसान सूत्र के रूप में हमेशा लोगों को बताते रहते है। आपकी सरकार.... आपकी सरकार, आपने बड़ी घोषणा की थी और हमें कहते हो कि घोषनाएं करके मोदी ने वोट ले लिया, आपने कर्नाटक में किसानों का कर्ज माफ करने का कहा था। इसके लाभार्थी 43 लाख according to government record Karnataka 43 lacs हितकारी हैं और अभी तक सिर्फ 60 हजार लोगों को लाभ मिला है। ये मैं आपकी सरकार की बात बताता हूं। आप 43 लाख में से 60 हजार, और आप दुनिया को कर्जमाफी के नाम पर बता रहे हो, 10 दिन में कर्जमाफी, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में जाकर के आइए वहां अभी तो कागज पर चिट्ठियां नहीं बन पा रही है। 10 दिन में, आप बातें बड़ी-बड़ी करते थे, और मैं बताता हूं आपका 10 वर्ष का आपका खेल.... 10 वर्ष के खेल में आप एक बार 50-60 हजार करोड़ रुपया माफ करते हैं, 10 साल में एक बार और ऊपर के जो 2-3 करोड़ किसान हैं वही उनके हितकारी होते हैं पहुंचता तो है ही नहीं।

हमारी योजना है प्रतिवर्ष 10 साल का मैं हिसाब लगाऊं तो किसानों के खाते में साढे सात लाख करोड़ रुपये जमा होते। कहां 50-52 हजार का खेल और कहां साढे सात लाख करोड़ रुपया देश के किसानों के हाथ में जाएगा। इतना ही नहीं हमने इस बजट में राष्‍ट्रीय कामधेनु आयोग, मछली पालन करने वाले किसानों के लिए भी हमने विशेष व्‍यवस्‍था की है। जो किसान क्रेडिट कार्ड के benefit किसान को मिलते थे, वो पशु पालन को भी और मछली पालन करने वाले को भी मिलने वाले हैं, इसका फायदा होने वाला है। हमने उन लोगों के विषय में सोचा एक संवेदनशील सरकार कैसे काम कर सकती है। आप कहेंगे हमारे समय में भी था, भई सब कुछ आपके समय में था, और मुझे तो ये आपके किए हुए में भी मेरी ताकत सारी जा रही है। क्‍योंकि आपने ऐसा-ऐसा हाथ लगाकर छोड़ दिया है, कि इसको पूरा करना पड़ रहा है। अब लेकिन उसको भी मैं खुशी-खुशी पूरा करूंगा।

अब मुझे बताइए टीकाकरण मोदी आने के बाद आया है क्‍या, टीकाकरण पहले भी था, लेकिन टीकाकरण होना चाहिए। उस बच्‍चे को, उस मां को लाभ मिलना चाहिए... वो काम नहीं होता था। हमारे गरीब, आदिवासी, दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित छूट जाते थे। हमने मिशन इंद्रधनुष चलाया और हमने टीकाकरण का दायरा चौड़ा कर दिया और सफलता पूर्वक आगे बढ़ाया है। टीकाकरण आपके जमाने में भी था, लेकिन वो किसी के टीके के लिए रह जाता था, गरीब के घर तक वो टीका पहुंचता नहीं था। इस काम को हमने करने का काम किया है।

बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले लोगों को skill development का काम, स्‍वरोजगार का काम उसके लिए कौशल विकास का एक बड़ा अभियान हमने चलाया है। हमने skill India अभियान के तहत लाखों युवाओं को प्रशिक्षित किया है। प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के लोगों के लिए कई वर्षों से मांग रहती थी, unorganized labour के लिए, 40-42 करोड़ unorganized labour है, पहली बार हमने उसको हाथ लगाया और हमने 3 हजार रुपये की पेंशन की व्‍यवस्‍था unorganized labour के लिए लेकर आए हैं। मैं मानता हूं हिन्‍दुस्‍तान की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी जो सोचती थी वो नहीं कर पाई, वो काम करने का काम हमने किया है। और इसलिए एक काम हमारे देश में मछुआरों की एक मांग रहती थी कि हमारे लिए अलग मिनिस्‍ट्री होनी चाहिए, हमारी सरकार ने इस बार बजट में कहा है माछीमारों के लिए.... मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय की व्‍यवस्‍था करने के लिए भी कहा है। उसी प्रकार से ट्रेडस देश के गतिविधि में आर्थिक विकास की गतिविधि में ट्रेडस रोल है। लेकिन उनके लिए कोई मालिक नहीं, कोई चिंता करने वाला नहीं था, सरकार ने हमारा जो डिपार्टमेंट है उसमें बदलकर के DIPP को department for promotion of industry and internal trade के साथ जोड़ दिया है ताकि ट्रेडस की देखभाल करने वाला भारत सरकार में भी एक विभाग होना चाहिए।

घूमंतू समुदाय....ये कोई मेरे आने के बाद घूमंतू नहीं हुए सदियों से ये समुदाय है, आपकी सरकार में था, आप तो गरीबों के नारे लगाते थे लेकिन घूमंतू समुदाय के लिए सांप-सपेरे वाले लोग हैं उनको आप विदेशी मेहमान को दिखाने के लिए सपेरों को बिठा देते थे लेकिन उनकी चिंता करने की आपको फुर्सत नहीं थी। हमने पहली बार घूमंतू समुदाय के वेलफेयर के लिए एक बोर्ड बनाने का निर्णय किया है। ताकि योजनाओं का लाभ समाज को उस वर्ग को मिले और मेरा अनुभव है... मैं गुजरात में जब था। मैं घूमंतू समुदाय के लोगों के लिए मकान के लिए काम कर रहा था। मेरी इच्‍छा थी उनके बच्‍चे पढ़े... तो वो कह रहे थे कि साहब हमारा तो घर नहीं है हम रहेंगे कहां.... हम कहां जाएंगे। मैंने जब उनको घर दिया, आज मैं गर्व से कहता हूं उनके बच्‍चे कंम्‍पयूटर चला रहे हैं और बड़ी शान से जीना जी रहे हैं। अगर इन समाजों में शकित है उन समाजों की भलाई के लिए हम काम करें तो हम कर सकते हैं।

अध्‍यक्ष महोदया जी विदेश के संबंध में हमारी सुषमा जी कई बार कई बातें कह चुकी हैं, इसलिए मैं उसको विस्‍तार में नहीं जाता हूं। लेकिन एक बात सही है, निश्चित है कि आज विश्‍व मंच पर भारत की बात सुनी जाती है। किस विषय में भारत क्‍या सोचेगा ये आज दुनिया को पहले सोचना पड़ता है। आज विश्‍व में कोई निर्णय होते हैं तो निर्णय के पहले आप पेरिस एग्रीमेंट देख लीजिए, पेरिस एग्रीमेंट का फाइनल होने से पहले लगातार दुनिया की बड़ी-बड़ी हस्तियां टेलिफोन पर भारत से बात करती थीं, कि ये शब्‍द रखें कि न रखें। यानि आज भारत ने अपनी जगह बना ली है और भारत ने फिलीस्‍तीन और इजरायल के बीच में तनाव होगा लेकिन फिलीस्‍तीन और इजरायल दोनों हमारी दोस्‍त हो सकते हैं। सऊदी अरब और ईरान के बीच में तनाव होगा, लेकिन सऊदी अरब और ईरान दोनों हमारे दोस्‍त हो सकते हैं। हमने इस प्रकार से आज दुनिया कें अंदर ..... हमारा विदेश में रहने वाला भारतीय समुदाय हमने कभी इसकी अहमियत नहीं मानी, और मुझे खुशी है कि मेरे प्रयत्‍नों के बाद सभी राजनीतिक दलों को भी विदेश में रहने वाले भारतीयों पर नजर गई है। और मैं इसको अच्‍छा मानता हूं और विदेश में रहने वाले भारतीय हमारे देश की बहुत बड़ी ताकत है। हमने इसको पहचाना है और आज हम उसका अनुभव कर रहे है। हर क्षेत्र में वो हमारी बात को पहुंचा रहे है। और मुझे खुशी है अभी जो प्रवासी भारतीय दिवस हुआ, बनारस में हुआ। अब तक के प्रवासी भारतीय दिवस में सबसे ज्‍यादा प्रतिनिधित्‍व बढ़ा और खुशी की बात है।

कुंभ विश्‍व में हेरिटेज के रूप में इसको स्‍वीकार किया है, लेकिन हम ऐसी मानसिक बीमारी में फंस गए थे, कि कुंभ की बात आए तो भागते थे कहीं सांप्रदायिकता का दाग न लग जाए। लेकिन आज दुनिया के सभी प्रतिनिधित्‍व कुंभ के मेले में आ रहे हैं। दुनिया की एंबेसी के सारे लोग कुंभ में गए और अपने देश का झंडा गाढ़ करके आए। ये भारत की ताकत है। ये भारत की soft power है। इसको भी हमने पहले नजरअंदाज किया था अब हम उन चीजों को भी बल दे रहे हैं। और इसलिए उस दिशा में भी हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं।

मेरे लिए खुशी की बात है, क्‍या मैं जितनी भी विचार रखे होंगे आलोचना की होगी, तथ्‍यों को अभाव के साथ भी बोल लिए होंगे। रिकार्ड पर भी चला जाएगा लेकिन मैं आज इस सदन को अध्‍यक्ष महोदया जी आपके माध्‍यम से विश्‍वास दिलाना चाहता हूं। कि 2014 में जिस मंजिल को लेकर के हम निकले, देश के सपनों को पूरा करने के लिए हमनें जो ठानी है, देश के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, देश जिन बीमारियों में फंसा हुआ है... इससे बाहर निकालने का काम, देश जिन सपनों को लेकर के चल रहा है, इन सपनों को लेकर के योजना पूर्वक आगे बढ़ने का प्रयास, देश के संसाधनों का optimum utilization पल-पल देश के विकास के लिए काम आए, पाई-पाई देश के भलाई के लिए काम आए इससे हम लगातार लड़े हैं। हम करते रहे हैं, हम करते रहेंगे, और मैं देशवासियों को विश्‍वास दिलाता हूं।

और मैंने 2018 में अविश्‍वास के प्रस्‍ताव के समय भी 2018 में अविश्‍वास के प्रस्‍ताव के बाद मैंने देखा कि मेरी आवाज... मेरा गला घोटने का भरपूर प्रयास किया गया था। डेढ़ पौने दो घंटे तक नारेबाजी के बीच में भी ये ईश्‍वर की कृपा थी कि मैंने अपनी बात देश और दुनिया के सामने रखी, और उस समय मैंने आपको ये शुभकामनाएं दी थी, वो शुभकामनाएं मैं आज फिर देना चाहता हूं कि आप इतनी तैयारी करो, इतनी तैयारी करो कि 2023 में फिर से आपको अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने का मौका मिले, और ..... ये समर्पण भाव है अंहकार का परिणाम है कि 400 से 40 हो गए और सेवा भाव का परिणाम है दो से यहां आकर के बैठ गए, दो से निकल कर आकर के यहां बैठ गए आप कहां से कहां तक पहुंच गए। अरे मिलावटी दुनिया में जीना पड़ रहा है। आप कोई लंबी बात करोगे तो शोभा नहीं देगी और इसलिए आने वाले दिनों में जो लोग कहते हैं कि देश आगे बढ़ा... आगे बढ़ा .. मैं जरा कहता हूं... खड़गे जी एक सीनियर व्‍यक्ति हैं उनके अभ्‍यास के लिए अगर हो सके तो.... 1947 में जो देश आजाद हुए उन्‍होंने 2014 तक क्‍या प्रगति की और 1947 में आजाद हुए हिन्‍दुस्‍तान ने क्‍या प्रगति की... ये लेखा-जोखा लोगे तो पता चलेगा कि हर डगर-डगर पर आपकी विफलताएं नजर आएगी। बाकी दुनिया के देशों ने इसी कालखंड में विश्‍व की सबसे बड़ी शक्तिशाली विफलताओं को पार किया है, हमारे पास संभावनाएं थी, आपकी गति में दम नहीं था, आपकी नीति नहीं थी, आपके पास विजन नहीं था और इसी के कारण 5-15 संस्‍थाओं का नाम देकर के आप गीत गाते रहते हो, अगर उसी गति को चलते, देश को समस्‍याओं से आपने मुक्‍त किया होता, अरे किसान को पानी पहुंचा दिया होता, आपने लोगों के घरों में बिजली पहुंचा दी होती... हां हां हम 55 महीने में कर दिए हैं।

और इसलिए आखिर में, मैं ये कहना चाहूंगा कि आज सुबह बसवण्‍णा के कुछ वचन खडगे साहब पढ़ रहे थे, लेकिन खड़गे साहब आप तो कर्नाटक के हैं इतने साल के बाद क्‍यों पढ़ा, ये अगर 25-39 साल पहले पढ़ा होता तो जो बुरे रास्‍ते पर आप लोग चले गए नहीं जाते हैं, गलत काम पर नहीं जाते आपको ये बसवण्‍णा के वचन, और मैं चाहूंगा कि हर कांग्रेसी के घर में बसवण्‍णा का वचन आज ये जो पढ़ा न उसको संजोंकर के रखिए। और अभी-अभी जहां सरकारें आपको मौका मिला है वहां तो बड़े अक्षरों में लगाकर रखिए ताकि ये बीमारियां जो आपके यहां फली-फूली हैं थोड़े लोग डरने लगें और इसलिए भी वहां एक फोटो मोदी की मत रखना वर्ना बेचारे डर जाएंगे। मुसीबत आएगी और इसलिए माननीय अध्‍यक्ष महोदया मैं.... जी हां आप चिंता मत कीजिए ...... देश को लूटने वालों को मोदी डरा कर रहेगा, देश ने मुझे इसी काम के लिए‍ बिठाया है जिन्‍होंने देश को लूटा है, जिन्‍होंने देश को तबाह किया है उनको डरना ही होगा, ये डर.... और इसीलिए तो जिंदगी खपाई है... ऐसे लोगों के खिलाफ लड़ने के लिए जिंदगी खपाई है।

माननीय अध्‍यक्षा जी आखिर में एक बात कहना चाहूंगा कि बिल्‍कुल इस देश में चोर, लूटेरे, बदमाशों का डर खत्‍म हो गया था उसी के कारण देश बरबाद हुआ है। उनके लिए डर पैदा करने के लिए देश ने मुझे यहां बिठाया है। और इसलिए हम इस काम को आगे बढ़ाने वाले हैं अध्‍यक्ष महोदया जी आखिर में एक बात कहकर के मेरी बात को समाप्‍त करूंगा .....

सूरज जायेगा भी तो कहाँ
उसे यहीं रहना होगा
यहीं हमारी सांसों में
हमारी रगों में
हमारे संकल्पों में
हमारे रतजगों में
तुम उदास मत होओ
अब मैं किसी भी सूरज को नही डूबने दूंगा।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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