सांख्यिकीय सुधारों और जीडीपी श्रृंखला के बारे में स्पष्टीकरण



नई दिल्ली, 11 जून 2019, इंडिया इनसाइड न्यूज़।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय में किये जा रहे सांख्यिकीय सुधारों और जीडीपी श्रृंखला के बारे में हाल ही में मीडिया के कुछ वर्गों में समाचार आए हैं।

जहां तक सांख्यिकीय सुधारों की बात है, इस बात पर गौर करना महत्‍वपूर्ण होगा कि प्रणालीगत सुधार निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है और समाज की बदलती जरूरतों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आवश्‍यक है। पिछले कुछ समय से सांख्यिकीय प्रणाली से प्रासंगिक और गुणवत्तापूर्ण आँकड़े तैयार करने की मांग बढ़ रही है। मंत्रालय उपलब्ध संसाधनों और प्रौद्योगिकी का सर्वोत्‍तम उपयोग करके इन मांगों को स्‍वीकार करता आ रहा है। किसी भी प्रणाली की तरह, प्रौद्योगिकी के आगमन ने सांख्यिकीय प्रक्रियाओं और उत्पादों में सुधार आवश्यक बना दिया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा संसाधनों का समन्वय करना है, ताकि प्रणाली उत्तरदायी बनी रहे। हाल में उठाये गये सीएसओ और एनएसएसओ के विलय के कदम का उद्देश्य दोनों संगठनों की शक्तियों का लाभ उठाना है, ताकि इन बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके।

2018 में मंत्रिमंडल ने कई नये कार्यकलापों को मंजूरी दी थी, जिनमें सेवा क्षेत्र के वार्षिक सर्वेक्षण पर नये सर्वेक्षण कराना (सेवा क्षेत्र की ज्‍यादा व्‍यापक कवरेज के लिए), अनिगमित उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (इन उद्यमों की प्राथमिक रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए) समय उपयोग सर्वेक्षण (परिवार के सदस्यों के समय की स्थिति का आकलन करने के लिए) और सभी प्रतिष्ठानों की आर्थिक गणना शामिल हैं। इन सभी गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय और मानवीय संसाधनों की आवश्यकता होती है जिनके उपलब्ध होने में समय लगता है। जनशक्ति की तात्कालिक आवश्यकता को मौजूदा जनशक्ति संसाधनों की नये सिरे से तैनाती और पेशेवर जनशक्ति एजेंसियों की आउटसोर्सिंग के विवेकपूर्ण मिश्रण के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। आउटसोर्स फील्ड स्टाफ को भी तैनाती से पहले कड़ाई से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उसके बाद उनकी प्रभावी निगरानी की जानी चाहिए। यह मॉडल आर्थिक गणना और अन्य एनएसएस सर्वेक्षणों में लागू किया जा रहा है। 2013 में कराई गई अंतिम आर्थिक गणना में, राज्य सरकारों से फील्ड कार्य का संचालन करने के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप परिणामों को अंतिम रूप देने और जारी करने में देरी हुई। जारी आर्थिक गणना 2019 में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय ने फील्‍ड का काम शुरू करने के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) एसपीवी के साथ साझेदारी की है, और आंकड़ों की गुणवत्ता और अच्छी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस), राज्य सरकारों और क्षेत्रीय मंत्रालयों के अधिकारी निगरानी और पर्यवेक्षण में शामिल होंगे। यह पहली बार है कि एनएसएस के फील्‍ड कार्य की कठोर निगरानी और पर्यवेक्षण का इस्‍तेमाल आर्थिक गणना के लिए किया जाएगा, ताकि राष्ट्रीय सांख्यिकी व्यवसाय रजिस्टर के निर्माण के लिए बेहतर गुणवत्ता के परिणाम उपलब्ध हो सकें। यह प्रक्रिया एक एकीकृत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की स्थापना द्वारा उत्प्रेरित की गई है।

पुनर्संरचना के बारे में मीडिया की बहुत सी रिपोर्टस में एक बात खासतौर पर नदारद है, और वह है सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय मौजूदा आंकड़ों को संसाधित करने वाले कर्मियों का पुन:स्‍थापन कर आंकड़ों की गुणवत्‍ता और आश्‍वासन पर ज्‍यादा ध्‍यान केन्द्रित कर रहा है। एनएसएस में कम्‍प्‍यूटर असिस्टड पर्सनल इंटरव्‍यूइंग (सीएपीआई) को अंगीकार किये जाने और प्रौद्योगिकी को ई-शेडयूल करने के मद्देनजर आंकड़ों को संसाधित करने की परम्‍परागत गतिविधि में आमूलचूल बदलाव की आवश्‍यकता है। इसकी बदौलत अंतर्निहित प्रमाणन नियंत्रण सहित बेहतर और ज्‍यादा विश्‍वसनीय आंकड़े उपलब्‍ध होते हैं। इन परिवर्तनों के लिए आंकड़ों का संसाधन करने वाले मौजूदा कर्मियों को दोबारा कौशल संपन्‍न बनाने की आवश्‍यकता होती है, ताकि वे आंकड़ों की गुणवत्‍ता को आश्‍वस्‍त करने वाले कार्यकलाप कर सकें। विकसित हुए या विकसित हो रहे प्रशासनिक डेटा सेट्स की सांख्यिकीय प्रणाली में गुणवत्‍ता और उपयोगिता सुनिश्चित होने के बाद उनको ज्‍यादा इस्‍तेमाल करने पर भी जोर दिया गया है।

जहां तक आंकड़ों की विश्‍वसनीयता का सवाल है भारत सरकार ने मई, 2016 में संयुक्त राष्ट्र मौलिक सिद्धांतों की आधिकारिक सांख्यिकी (एफपीओएस) के रूप में अपनाया। इस प्रकार सरकार सांख्यिकीय प्रणाली की स्‍वायत्‍ता और स्वतंत्रता सुनिश्चित और संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्‍वीकृत पेशेवर और वैज्ञानिक मानकों का पालन करते हुए उचित और विश्वसनीय आंकड़े तैयार किए जा सकें। भारतीय संदर्भ में, अतीत में कई विशेषज्ञ समितियों का गठन किया गया है, जिन्होंने राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली के कामकाज में सुधार लाने के लिए कई सिफारिशें की हैं। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय में किए जा रहे सुधार इन सिद्धांतों और साथ ही राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) की विभिन्न सिफारिशें के अनुरूप हैं। दरअसल, मंत्रालय ने आधिकारिक सांख्यिकी पर राष्‍ट्रीय नीति (एनपीओएस) का मसौदा तैयार किया था और इसे सार्वजनिक किया गया था। प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर, इस नीति को फिर से तैयार किया जा रहा है।

23 मई, 2019 को जारी किए गए आदेश का उद्देश्य एकीकृत एनएसओ है, जो अधिकांश अन्य देशों में प्रचलित है, जो कि सांख्यिकी एवं कार्यकम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के भीतर उपलब्ध तालमेल का लाभ उठाकर विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण आंकड़े तैयार करता है। यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि सरकार ने भारत के मुख्य सांख्यिकीविद (सीएसआई) और सांख्यिकी एवं कार्यकम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के सचिव के पद का विलय एनएसओ के प्रमुख के रूप में कर दिया था और पुनर्गठन के बारे में 23 मई, 2019 के आदेश को तदनुसार स्पष्ट कर दिया गया है।

एनएससी के अध्यक्ष तथा सदस्य वरिष्ठ हैं और उन्हें राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली को सुधारने का दायित्व दिया गया है और मंत्रालय अधिकारी उनकी सिफारिशों तथा इनपुट पर उचित रूप से विचार करता है। एनएससी का दर्जा, भूमिका तथा क्रियाकलाप पहले की तरह जारी है (संदर्भ 31 मई, 2019 की प्रेस विज्ञप्ति)। एक विधायी रूप रेखा विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं जिसके अंतर्गत एनएससी स्वतंत्रता के साथ कार्य कर सकती है और सांख्यिकी तथा क्रियान्वयन मंत्रालय, विभिन्न मंत्रालय तथा राज्य सरकारों को मिलाकर राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार के लिए समग्र निर्देशन दे सकती है।

जहां तक जीडीपी श्रृंखलाओं का प्रश्न है मंत्रालय ने अनेक स्पष्टीकरण जारी किये हैं जिन पर सूचित तथा संतुलित दृष्टिकोण के लिए उचित विचार करने की आवश्यकता है। वास्तव में जीडीपी श्रृंखलाओं (नई श्रृंखलाएं तथा पिछली श्रृंखलाएं) के लिए विस्तृत तौर तरीके और दृष्टिकोण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। 30 मई, 2019 की विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति में सेवा क्षेत्र पर एनएसएस (74वां राउंड) तकनीकी रिपोर्ट की तुलना में जीडीपी अनुमानों में एमसीए कॉरपोरेट डाटा कवरेज को बताया गया था ताकि एमसीए डाटा के उपयोग पर मीडिया में उठाए गए विषयों का समाधान किया जा सके। यह बताया गया था कि एनएसएस यह सर्वे सेवा क्षेत्र के वार्षिक सर्वे किये जाने के समय उभरने वाली चुनौतियों को समझने के लिए करता है। सूक्ष्म स्तर पर तथ्यों का विश्लेषण किया गया और यह दर्ज किया गया कि बहुमत में कंपनियों ने एमसीए के साथ अपना वैधानिक ऑनलाइन रिटर्न दाखिल किया और इसे जीडीपी अनुमान में नजरअंदाज नहीं किया गया। गलत वर्गीकरण के प्रश्न की भी व्याख्या की गई कि कॉरपोरेट पहचान संख्या (सीआईएन) में राष्ट्रीय औद्योगिकी वर्गीकरण संहिता सन्निहित है। इसे पंजीकरण के समय घोषित गतिविधि में कंपनी द्वारा परिवर्तन किये जाने पर भी अद्यतन नहीं किया जाता। सेवा क्षेत्र पर वार्षिक सर्वे करने से पहले सांख्यिकी तथा कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय इन सीमाओं को ध्यान में रखेगा और सर्वे डिजाइन पद्धति में शामिल किया जाएगा। इन तथ्यों का उपयोग नए आधार पर जीडीपी श्रृंखलाओं के संशोधन में भी किया जाएगा।

इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि जीडीपी का अनुमान लगाना एक जटिल कार्य है और अनुमान अपूर्ण डाटा प्रणाली में लगाया जाता है। इससे विषय के विशेषज्ञ के परामर्श के साथ कार्य पद्धति निर्धारित करने से पहले जटिल अनुकरण तथा सांख्यिकी पुर्वानुमान की आवश्यकता होती है। वास्तव में वर्तमान जीडीपी श्रृंखलाओं के आलोचक 2011-12 आधार संशोधन कार्यपद्धति पर विचार करने और अंतिम रूप देने में शामिल थे।यह कहा जा सकता है कि इन समितियों के निर्णय एकमत और सामूहिक रूप से लिए गए थे। सर्वाधिक उचित दृष्टिकोण के रूप में सिफारिश करने से पहले डाटा उपलब्धता और कार्यपद्धति के पहलुओं पर विचार करने के बाद निर्णय लिये गए। मंत्रालय पारंपरिक रूप से विचार-विमर्शों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पेशेवरों को शामिल करता रहा है और उनके योगदानों से राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली को बहुत अधिक लाभ हुआ है। इसके अतिरिक्त भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विशेष डाटा प्रसार मानक (एसडीडीएस) को मानता है तथा अनुमान जारी करने के लिए अग्रिम रिलिज कैलेंडर का निर्णय लिया जाता है। आईएमएफ ने भारतीय जीडीपी श्रृंखलाओं में दोहरी अपस्फीति के उपयोग पर कुछ प्रश्न उठाया है और भारत ने आईएमएफ को सूचित किया है कि वर्तमान में भारत में वर्तमान डाटा उपलब्धता अनुप्रयोग की अनुमति नहीं देती। दोहरी अपस्फीति को अपनाने से जीडीपी विकास में होने वाले परिवर्तनों को दिखा कर मीडिया रिपोर्ट में माना गया है कि विभिन्न लेखकों द्वारा प्राप्त परिणाम उनके अलग-अलग अनुमानों पर आधारित हैं। इन्हीं विचारों के कारण राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी पर परामर्श समिति वर्तमान अवस्था में दोहरी अपस्फीति के इस्तेमाल पर सहमत नहीं हुई थी। इतना ही नहीं दोहरी अपस्फीति का उपयोग कुछ उन देशों में किया जाता है, जहां इनपुट कम करने के लिए उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई) की व्यवस्था होती है। पीपीआई को अंतिम रूप देने के लिए सांख्यिकी तथा क्रियान्वयन मंत्रालय वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के साथ काम कर रहा है।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमानों में तब संशोधन होता है जब समय पर प्रशासनिक स्रोतों से डेटा कवरेज में सुधार हो और ये सुधार अच्छी तरह से प्रलेखित हों। इसके परिणाम स्वरूप जीडीपी के शुरुआती अनुमान रूढ़िवादी होते हैं। इनमें सुधार लाने के लिए डाटा स्रोत एजेंसियों में क्षेत्रीय डाटा प्रवाह और संबंधित ढांचा नियामक में सहवर्ती परिवर्तन की जरूरत पड़ेगी, तभी अधिक मैक्रो मॉडलिंग तकनीकों के उपयोग में मदद मिलेगी। मंत्रालय आधिकारिक आंकड़ों पर एक राष्ट्रीय डाटा वेयरहाउस स्थापित करने का भी प्रस्ताव कर रहा है, जिसमें वृहत्-आर्थिक राशियों की गुणवत्ता में और सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी को बड़े डाटा विश्लेषण उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा। चूंकि ये सभी सुधार एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि पाठक और उपयोगकर्ता इसे समझें और अनुमान में डाटा और चुनौतियों की सीमाओं की सराहना करें। ये सुधार करते समय यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि नये डाटा सेटों और सर्वेक्षण परिणामों का हमेशा उपयोग किया जाएगा और यह कहना गलत होगा कि पुरानी प्रक्रियाएं नई प्रक्रियाओं की तुलना में बेहतर थीं। सांख्यिकी और कार्यान्वयन मंत्रालय में किए जा रहे सुधारों से भविष्य में बेहतर डाटा सेट और बेहतर अनुमान प्राप्त होंगे और आधार वर्ष संशोधन के दौरान एसीएनएएस द्वारा इन पर विधिवत विचार-विमर्श किया जाएगा।

किसी प्रत्यक्ष गलतफहमी के बारे में यह भी स्पष्ट किया जाता है कि मौजूदा जीडीपी श्रृंखला में अनौपचारिक विनिर्माण क्षेत्र उसी दर से आगे बढ़ा है, जिस दर पर उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण द्वारा औपचारिक विनिर्माण क्षेत्र में माप की गई थी। वास्तव में, यह केवल एएसआई (यानी मालिकाना, साझेदारी और एचयूएफ) में उचित उद्यमों का विकास है और इसे औपचारिक/असंगठित विनिर्माण खंड के बेंच मार्क अनुमानों को आगे बढ़ाने में प्रयोग किया जाता है, न कि पूरे एएसआई की प्रगति में। इसके अलावा, नमूना परिणामों के अनुमाप परिवर्तन के आधार पर प्रद्त पूंजी का उपयोग करते हुए मंत्रालय अब अधिक व्यापक एमसीए डाटा बेस (लगभग 7 लाख सक्रिय कॉरपोरेट) का उपयोग करता है, जहां आरबीआई द्वारा विश्लेषण किए गए केवल 2,500 कॉरपोरेट्स के नमूनों से प्राप्त परिणामों को पूर्व जीडीपी श्रृंखला में उपयोग किया जाता था।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली अपनी सांख्यिकीय प्रक्रियाओं में स्वतंत्र और स्वायत्त पारिस्थितिकी तंत्र में काम करती है। किसी भी प्रकार के बाह्य प्रभाव को पूरी तरह अनुचित माना जाता है। मंत्रालय का यह प्रयास है कि विभिन्न सांख्यिकीय उत्पादों और प्रक्रियाओं के बारे में उपयोगकर्ताओं को लगातार शिक्षित किया जाए, क्योंकि ये उत्पाद और प्रक्रियाएं आवश्यक जन वस्तुएं हैं। इस दिशा में अब मंत्रालय जनता को सभी प्राथमिक संग्रह किए गए डाटा को निशुल्क उपलब्ध करा रहा है। जहां तक ​​बाहरी माध्यमिक और प्रशासनिक डाटा सेट को साझा करने का संबंध है, ये विभिन्न विधानों द्वारा नियंत्रित हैं और अनुसंधानकर्ता अधिक डाटा के बारे में संरक्षक स्रोत एजेंसियों से संपर्क कर सकते हैं।

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