नई दिल्ली, 21 जून 2019, इंडिया इनसाइड न्यूज़।
संसद के बजट सत्र के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने वाले बिल को लोकसभा में रखा। हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए कहा कि यह संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी। सरकार मुस्लिम महिलाओं के हित में काम नहीं कर रही, बल्कि उन पर बोझ डाल रही है। तीन तलाक बिल के प्रावधान के अनुसार, पति जेल चला जाएगा और उसे तीन साल जेल में रहना होगा। ऐसे में मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा! क्या सरकार देगी!
उन्होंने सवाल किया कि मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं। आखिर सबरीमाला पर आपका रुख क्या है! अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे एक साल की सजा और मुसलमान को तीन साल की सजा क्यों। क्या यह संविधान का उल्लंघन नहीं है?
● कांग्रेस ने तीन तलाक बिल का विरोध किया
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये बड़े कष्ट की बात है कि कांग्रेस ने ट्रिपल तलाक विधेयक का विरोध करने का विकल्प चुना। इससे पहले उन्होंने इसका विरोध नहीं किया था। हमने हमेशा कहा है कि ट्रिपल तालाक न तो धर्म का मुद्दा है और न ही प्रार्थना का और न ही किसी अन्य सांप्रदायिक विचार का। यह 'इंसाफ' का एक शुद्ध और सरल मुद्दा है - महिला न्याय, महिला सम्मान और महिला सशक्तिकरण।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोनिया गांधी जी जैसी महिला कांग्रेस पार्टी की नेता हैं, फिर भी कांग्रेस पार्टी लोकसभा में महिला विरोधी स्टैंड लेती है, यहां तक कि विधेयक को भी पेश करने का विरोध करती है, मुझे कहना होगा कि यह न केवल दर्दनाक है बल्कि गहरा खेदजनक है।