पत्रकार चंदन तिवारी की हत्या के सभी आरोपियों को ज़मानत



रांची-झारखंड,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

● सभी आरोपी ज़मानत पर हुये आज़ाद

● क्या पत्रकार की हत्या को रेयर ऑफ रेयरेस्ट नहीं मान सकते!

चतरा एसपी अखिलेश वी वारियर ने संवाददाता सम्मेलन कर जब यह खुलासा किया था कि पत्रकार चंदन तिवारी की हत्या की साज़िश का खुलासा कर लिया गया है और पुलिस को सभी साक्ष्य मिल गये हैं जिसके बाद आरोपियों को स्पीडी ट्रायल कर सख़्त से सख़्त सज़ा दिलाई जा सके। तब झारखण्ड सहित देश भर के पत्रकारों में एक आस जगी थी और उन्हें यह लगने लगा था कि जो आंकड़े विदेशी एजेंसियों द्वारा पत्रकार हत्या के मामले में पेश किये जाते हैं वे इस बार झूठे साबित होंगे। एसपी चतरा ने हत्या के 72 घंटों के भीतर हत्याकांड का खुलासा करते हुए कहा था कि "तालाब निर्माण में गड़बड़ी उजागर करने को लेकर हुई हत्या की इस वारदात में पिंटू सिंह नाम के एक शख्स और उसके दो साथियों के नाम आ रहे हैं"। एसपी ने यह भी बताया कि घटना का मुख्य साजिशकर्ता पिंटू सिंह नक्सली संगठन का उग्रवादी है और पूर्व में भी इसी तरह के मामले में जेल जा चुका है।

सारी उम्मीदें टूट गयीं और झारखण्ड उच्च न्यायालय ने दिवंगत पत्रकार चंदन तिवारी की हत्या के पुलिस के अनुसार मुख्य साजिशकर्ता पिंटू सिंह जिसे नक्सली समर्थक भी बताया गया था ज़मानत पर रिहा कर दिया। पुलिस की ओर से पिंटू सिंह के मोबाइल का सीडीआर भी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया उसके बावजूद पिंटू सिंह को बेल मिल जाता है।माननीय न्यायालय के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती, पुलिस ने भी पूरी ईमानदारी से न्यायलय के समक्ष सभी साक्ष्य रखे।

क्या एक पत्रकार की हत्या को रेयर ऑफ रेयरेस्ट नहीं माना जा सकता ? क्या इस ज़मानत के विरुद्ध झारखण्ड पुलिस को उच्चतम न्यायालय नहीं जाना चाहिये ? क्या निचली अदालत में दोषियों की सज़ा को लेकर स्पीडी ट्रायल नहीं चलाया जाना चाहिये ? यह सवाल झारखण्ड पुलिस से झारखण्ड का ही नहीं देश का हर एक पत्रकार जानना चाहता है।

क्या वाकई भारत पत्रकारों के लिए असुरक्षित देश बन गया है ? जिस तरह से पत्रकारों की हत्या के बाद आरोपियों के छूटने के आंकड़ों पर हम नज़र डालते हैं यह आंकड़े तो हमें यही बता रहे हैं। माननीय न्यायालय के आदेश पर टिप्पणी नहीं की जा सकती। एसपी के हत्यारे को फांसी की सज़ा और पत्रकार के हत्यारों को ज़मानत मिल जाती है। पत्रकार के समक्ष उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश इंसाफ के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, कैमरे के पीछे रहने वाला पत्रकार न्याय के लिये कहाँ जाकर इंसाफ मांगें।

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