उपराष्‍ट्रपति ने शैक्षणिक संस्‍थानों में लिंग अध्‍ययन की वकालत की



नई दिल्ली,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

उपराष्‍ट्रपति एम• वेंकैया नायडू ने शैक्षणिक संस्‍थानों में लिंग संबंधी अध्‍ययन की वकालत की है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा करने से बच्‍चे सभी लिंगों के लोगों का सम्‍मान करना सीखेंगे और छोटी उम्र से ही इन सब के प्रति संवदेनशील बनेंगे।

स्‍क‍ूल शिक्षा पर सोमवार को नई दिल्‍ली में एफआईसीसीआई एआरआईएससी (फिक्‍की अराइज) सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्‍होंने मूल्‍य आधारित शिक्षा का आह्वान किया और कहा कि शिक्षा केवल रोजगार के लिए नहीं है बल्कि व्‍यक्ति और समाज को अधिकार सम्‍पन्‍न बनाने और उसके ज्ञानोदय के लिए है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि छात्र संयम, ईमानदारी, सम्‍मान, सहिष्‍णुता और सहानुभूति जैसे मूल्‍यों को मन में बैठाएं।

श्री नायडू ने पिछले दो दशकों में भारत के उच्‍च शिक्षा क्षेत्र की क्षमता में बढ़ोतरी की सराहना की लेकिन स्‍नातकों को रोजगार नहीं मिलने जैसी खबरों पर चिंता व्‍यक्‍त की।

इस संबंध में उन्‍होंने अध्‍यापन और शिक्षा प्रणाली में सुधार का आह्वान किया ताकि पढ़ाई के बेहतर परिणाम निकलें।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा ‘वैश्विक स्‍तर पर शिक्षकों के पढ़ाने के तरीकों में जबरदस्‍त बदलाव आया है और विद्यार्थी ज्ञान को आत्‍मसात क‍र रहे हैं।’ उन्‍होंने छात्रों से रटने की आदत छोड़कर विश्‍लेषणात्‍मक और आलोचनात्‍मक सोच रखने को कहा।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा, ‘प्रौद्योगिकियों की नई लहर ने हमारे उद्योग और समाज को अभूतपूर्व तरीके से बदला है।’ उन्‍होंने जोर देकर कहा कि भविष्‍य के कार्य बल के लिए जिस कौशल की आवश्‍यकता होगी वह पूरी तरह अलग होगा।

उन्‍होंने स्‍कूलों और विश्‍वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्‍पन्‍न भविष्‍य की इन चुनौतियों के लिए युवा भारतीयों को तैयार और शिक्षित करें।

उन्‍होंने कहा, ‘हमें अपने युवाओं को स्‍वाचालित यंत्रों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स और बड़े आंकड़ो का विशेषज्ञ बनाने के लिए प्रशिक्षित करना होगा ताकि वे अपने देश में चौथी औद्योगिक क्रांति का प्रसार कर सकें।’

श्री नायडू ने इस बात पर चिंता जा‍हिर की कि बाजार में काफी रिक्तता आ गई है क्‍योंकि हम शैक्षणिक संस्‍थानों में ज्ञान प्राप्‍त कर रहे हैं लेकिन नौ‍करियों के लिए आवश्‍यक कौशल नहीं दे पा रहे हैं।

इसके परिणामस्‍वरूप भारतीय कॉर्पोरेट और शैक्षणिक जगत को कौशल प्रशिक्षण, प्रतिभा प्राप्‍त करने और कुशल कार्यबल की कमी को दूर करने में कठिनाई आ रही है।

उपराष्‍ट्रपति ने उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण को बेहद महत्‍वपूर्ण बताते हुए कहा कि हम युवा शक्ति को इतना अधिकार सम्‍पन्‍न बना सकते हैं कि वे भविष्‍य में रोजगार सृजनकर्ता बनेंगे न कि रोजगार चाहने वाले।

उन्‍होंने इस संबंध में अनेक सरकारी पहलों जैसे अटल नवोन्‍मेष मिशन की सराहना की जिसके अंतर्गत स्‍कूलों में अटल टिंकरिंग लैब स्‍थापित किए गए।

श्री नायडू ने ऐसे बच्‍चों की तरफ विशेष ध्‍यान देने का आह्वान किया जो स्‍कूल छोड़ने के खतरे का सामना कर रहे हैं। इनमें लड़कियां, अनाथ बच्‍चे, बाल श्रमिक, लावारिस बच्‍चे तथा दंगों और प्राकृतिक आपदाओं के शिकार बच्‍चे शामिल हैं।

उन्‍होंने कहा, ‘स्‍कूल छोड़ने वाले बच्‍चों को वापस स्‍कूल में लाना हमारी सर्वोच्‍च प्राथमिकता होनी चाहिए’।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हमें युवाओं की एक ऐसी पीढ़ी तैयार करनी चाहिए जो न केवल भारत को एक शक्तिशाली अर्थव्‍यवस्‍था बनाए बल्कि उसके लिए दुनिया की सबसे अधिक समग्र, नवोन्‍मेषी और सौहादपूर्ण समाज में एक स्‍थान सुरक्षित करे।

इस वर्ष के एफआईसीसीआई एआरआईएससी सम्‍मेलन का विषय है ‘फ्यूचर रेडी लर्नर्स एंड स्‍कूल्‍स’। सम्‍मेलन में राज्‍यों और केन्‍द्रीय सरकार के अधिकारियों, नियामकों, प्रमुख शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, परामर्शदाता फर्मों और संस्‍थानों सहित 700 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया।

फिक्‍की के अध्‍यक्ष संदीप सोमानी, फिक्‍की अराइज के अध्‍यक्ष और पीपल कम्‍बाइंड इनिशिएटिवस के अध्‍यक्ष नग प्रसाद तुमल्‍ला, फिक्‍की अराइज की संचालन समिति के सदस्‍य शिशिर जयपुरिया, फिक्‍की अराइज के संस्‍थापक अध्‍यक्ष प्रभात जैन, फिक्‍की अराइज के सह-अध्‍यक्ष मणित जैन ने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

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