जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में शांति, प्रगति एवं समृद्धि के एक नए युग का उदय : अनेक सड़क और राजमार्ग परियोजनाएं विकास को नई गति देंगी



लद्दाख,
जम्मू कश्मीर,
इंडिया इनसाइड न्यूज़।

■ ​​​​​​एक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसार भारती बोर्ड के एक सदस्य अशोक टंडन के एक लेख का मूलपाठ निम्नलिखित है जिसका शीर्षक है: ‘जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में शांति, प्रगति एवं समृद्धि के एक नए युग का उदय: अनेक सड़क और राजमार्ग परियोजनाएं विकास को नई गति देंगी’

‘‘भारतीय जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी का पूर्ववर्ती) के संस्थापक डॉ• श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर राज्य का भारतीय संघ में पूर्ण एकीकरण करने की मांग को लेकर एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह (अहिंसक आंदोलन) की अगुवाई करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

डॉ• मुखर्जी ने 10 मई, 1953 को जम्मू-कश्मीर सीमा पर सरकार के प्रवेश-परमिट आदेश की खुली अवहेलना की थी, और ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान, और दो निशान नहीं चलेंगे’ नारा लगाते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी।

उन्हें श्रीनगर जेल ले जाया गया जहां 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

उस समय डॉ• मुखर्जी को कदाचित यह अहसास नहीं हुआ होगा कि उनका मिशन तब पूरा होगा जब गुजरात से दूसरी पीढ़ी के पार्टी नेता के नेतृत्‍व में पार्टी अपने दम पर केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आए्रगी।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की एनडीए सरकार ने 5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्जे को निरस्त कर दिया, जिससे इस राज्य के लोग केंद्र सरकार के सभी कार्यक्रमों और कानूनों तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने में सक्षम हो गए जिनमें वंचितों के लिए आरक्षण का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और सूचना का अधिकार, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम और अल्पसंख्यक अधिनियम शामिल हैं।

इस राज्य को दी गई स्वायत्तता के सभी प्रावधानों को निरस्त करने वाले ऐतिहासिक राष्ट्रपति आदेश के बाद एक और ऐतिहासिक एवं रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2019 लाया गया, जिसने इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।

उस समय से लेकर अब तक पिछले एक वर्ष में एनडीए सरकार विभिन्न मोर्चों पर कई चुनौतियों का सामना करती रही है जिनमें सीमा सुरक्षा, जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ रचनात्मक जुड़ाव और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित करने का घरेलू राजनीतिक प्रतिरोध शामिल हैं।

और फिर लोगों की समृद्धि, शांति एवं कल्याण सुनिश्चित करते हुए सर्वांगीण विकास में तेजी लाने तथा सभी तीनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रदान करने की विकट चुनौती थी।

केंद्र सरकार ने परिवार-संचालित राजनीतिक दलों, जिन्होंने पिछले सात दशकों में सबसे अधिक समय तक राज्य में शासन किया, द्वारा धारा 370 के नाम पर जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख के लोगों के साथ भी किए गए विश्वासघात पर विराम लगाने के लिए इन चुनौतियों को एक अवसर में बदल दिया।

प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के युवाओं, विशेषकर कश्मीर घाटी में पथ से भटके लोगों से ‘इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा बनने और बड़े उद्देश्‍य की पूर्ति हेतु एक साथ चलने’ के लिए जो व्यक्तिगत अपील की है उसके ठोस परिणाम जमीनी स्‍तर पर दिख रहे हैं।

चूंकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में (जम्मू एवं कश्मीर स्थायी रूप से नहीं) सीधे केंद्र के अधीन आ गए हैं, इसलिए मोदी सरकार ने पूरे क्षेत्र में समावेशी विकास और पारदर्शी शासन के एक नए युग की शुरुआत करते हुए शांति और प्रगति का एक महत्वाकांक्षी रोडमैप पेश किया।

टीम-मोदी ने अत्याधुनिक अवसंरचना के निर्माण के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया और विशेषकर कुटीर, हस्तशिल्‍प, हथकरघा एवं बागवानी उद्यमों सहित लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्यमों (एमएसएमई) के बीच कई सामाजिक कल्याण और रोजगार सृजन योजनाएं एवं कार्यक्रम तेजी से शुरू किए जिनका उद्देश्‍य सभी तीनों विशिष्‍ट क्षेत्रों में व्यापक विकास और समाज के वंचित वर्गों की सामाजिक-आर्थिक उन्‍नति करना है।

बेहतरीन एवं बारहमासी सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों की बदौलत अंतर-क्षेत्र और क्षेत्र के भीतर कनेक्टिविटी, जिसकी अब तक कमी रही थी, बढ़ जाने से विभाजन के बाद की अवधि में रोजगार के नए अवसरों को बढ़ावा देने और सृजित करने में काफी मदद मिली है।

पिछले एक साल में किए गए वादों के क्षेत्र-वार प्रदर्शन ऑडिट से अच्‍छी तस्‍वीर उभर कर सामने आती है। हालांकि, इस खूबसूरत क्षेत्र का परिदृश्य पूरी तरह से तभी बदलेगा जब सभी मौजूदा परियोजनाएं, विशेषकर कठिन इलाकों में बन रही सुरंगों सहित रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई राष्ट्रीय राजमार्ग चालू हो जाएंगे जो अत्‍यंत खराब मौसम को भी झेलने में सक्षम होंगे।

● कश्मीर: ऋषि कश्यप की भूमि:

प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता और कश्मीर पर कई पुस्तकों के लेखक क्रिस्टोफर स्नेडेन के अनुसार कश्मीर संभवत: कश्यप मीर (ऋषि कश्यप की झील) का ही संक्षिप्‍त नाम है।

और प्रसिद्ध भारतीय सूफी कवि एवं विद्वान अमीर खुसरो ने निम्नलिखित शब्दों में कश्मीर की नैसर्गिक सुंदरता का वर्णन किया था:

"गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त
हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त"

(धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यहीं है)

पर्यटन सदैव ही कश्मीर की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा रहा है और तेजी से विस्‍तृत हो रही अवसंरचना इसकी सफलता की कुंजी साबित हो रही है जिससे अब तो घाटी से भी निर्यात बढ़ रहा है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, इसकी स‍हायक इकाइयां एनएचएआई और एनएचआईडीसीएल वर्तमान में बीआरओ और राज्य पीडब्‍ल्‍यूडी के साथ मिलकर उन विभिन्‍न परियोजनाओं को पूरा करने में जुटे हुए हैं जो विकास को नई गति प्रदान करेंगी और इसके साथ ही निर्माता कंपनियों की स्थापना करने में स्टार्ट-अप्‍स की मदद करेंगी। इसके तहत रेशम उद्योग, ठंडे पानी में मत्स्य पालन, लकड़ी से जुड़े कार्यों, क्रिकेट के बल्ले, केसर, बागवानी उपज एवं हस्तशिल्प का आगे और विकास करने पर फोकस किया जाएगा।

अभी जारी परियोजनाओं में श्रीनगर-जम्मू-लखनपुर राजमार्ग; काजीगुंड-बनिहाल सुरंग और श्रीनगर रिंग रोड शामिल हैं।

● जम्मू :

जम्बूपुरा नाम से चर्चित रहा मंदिरों का यह शहर एक समय राजा जम्बू लोचन की राजधानी थी, जो बाहु लोचन के भाई थे जिन्होंने तावी नदी के तट पर बाहु किले का निर्माण किया था। दोनों भाई भगवान राम के वंशज थे।

जम्मू रिंग रोड सहित रेल और सड़क संपर्क के तेजी से विकास के साथ धार्मिक पर्यटन बढ़ने और लकड़ी के कार्य, मिल, बासमती चावल के कारोबार, धान मिल, कालीन, इलेक्ट्रॉनिक सामान और इलेक्ट्रिक सामान जैसे कारोबार से जुड़े स्टार्टअप्स के विकास के साथ जम्मू की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिल रहा है।

● लद्दाख :

लदवाग्स, ऊंचे दर्रों की भूमि और मारियुल ऑफ नगरी के तौर पर भी जाने जाना वाला लद्दाख सामरिक दृष्टि से खासा संवेदनशील क्षेत्र है। यह क्षेत्र कश्मीर घाटी के सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के सौतेले व्यवहार का शिकार रहा है।

लद्दाख को एक अलग संघ शासित क्षेत्र बनाने के मोदी सरकार के फैसले से क्षेत्र के शांतिप्रिय लोगों के लिए शांति, प्रगति और संपन्नता के नए युग की शुरुआत हुई है। साथ ही विकास और आर्थिक विकास के मामलों में क्षेत्रीय संतुलन में सुधार हुआ है।

लद्दाख आल वेदर (हर मौसम में चालू) सड़क से बुनियादी ढांचा में अप्रत्याशित विकास का गवाह बना है और दुर्गम तथा सामरिक क्षेत्रों तक बड़े स्तर पर राजमार्ग नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। लद्दाख में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को प्रोत्साहन मिला है।

लद्दाख के लिए केन्द्रीय वित्तीय पैकेज बढ़ गए हैं, जिससे कृषि और पशुपालन गतिविधियां बढ़ने से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का अभूतपूर्व विकास हो रहा है।

बागवानी और नकदी फसलों के लिए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से उत्पादकता में सुधार हुआ है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई है।

धारा 370 का खत्म होना और राज्य का दो संघ शासित क्षेत्रों में विभाजन सबसे ज्यादा अहम रहा है, जिससे सभी तीन क्षेत्रों के स्थानीय समुदायों में जन भागीदारी की भावना बढ़ी है। घाटी में सुरक्षा बलों और सिविल सेवाओं से जुड़ने वाले युवाओं की भागीदारी बढ़ी है और शिक्षा व खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों की संख्या भी बढ़ी है।

आज कश्मीर के साथ ही लद्दाख में महिला अधिकारियों और बालिका शिक्षा के प्रति लोगों के बीच काफी जागरूकता है।

असामाजिक तत्वों को अलग-थलग करने के लिए लोग स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं और युवाओं को आतंकवाद की राह पर ले जाने के पाकिस्तान प्रायोजित प्रयासों को उजागर कर रहे हैं।

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